बाबू कुंवर सिंह का जीवन परिचय: (Biography of Babu Kunwar Singh in Hindi)
बाबू कुंवर सिंह को भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक के रूप में जाना जाता है जो 80 वर्ष की उम्र में भी लड़ने तथा विजय हासिल करने का माद्दा रखते थे। अन्याय विरोधी व स्वतंत्रता प्रेमी बाबू कुंवर सिंह कुशल सेना नायक थे। अपने ढलते उम्र और बिगड़ते सेहत के बावजूद भी उन्होंने कभी भी अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके बल्कि उनका डटकर सामना किया था।
Quick Info About Babu Kunwar Singh in Hindi
नाम | बाबू कुंवर सिंह |
जन्म तिथि | 1777 |
जन्म स्थान | जगदीशपुर |
निधन तिथि | 23 अप्रैल 1858 |
उपलब्धि | जगदीशपुर की रियासत के राजा |
उपलब्धि वर्ष | 1858 |
बाबू कुंवर सिंह से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य: (Important Facts Related to Babu Kunwar Singh)
- बाबू कुंवर सिंह का जन्म 1777 को बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव में हुआ था।
- इनका पूरा नाम बाबू वीर कुंवर सिंह था।
- इनके पिता का नाम बाबू साहबजादा सिंह प्रसिद्ध शासक भोज के वंशजों में से थे।
- 27 अप्रैल 1857 को दानापुर के सिपाहियों, भोजपुरी जवानों और अन्य साथियों के साथ आरा नगर पर बाबू वीर कुंवर सिंह ने कब्जा कर लिया था।
- कुंवर सिंह न केवल 1857 के महासमर के सबसे महान योद्धा थे, बल्कि वह इस संग्राम के एक वयोवृद्ध योद्धा भी थे।
- कुंवर सिंह की बदौलत अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी भोजपुर लंबे समय तक स्वतंत्र रहा था।
- कुंवर सिंह ने अपनी 80 साल की उम्र में लडाई लड़ी थी।
- 23 अप्रैल, 1858 को जगदीशपुर के लोगों ने उनको सिंहासन पर बैठाया और राजा घोषित किया था।
- ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है, ‘उस बूढ़े राजपूत ने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अद्भुत वीरता और आन-बान के साथ लड़ाई लड़ी।
- इन्होंने 23 अप्रैल 1858 में, जगदीशपुर के पास अंतिम लड़ाई लड़ी थी।
जांचें कि आपने ऊपर क्या पढ़ा? प्रश्नोत्तरी:
कुंवर सिंह का पूरा नाम क्या था?
Correct
Incorrect
अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर कदम कब बढ़ाया था?
Correct
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