बिग बेन संक्षिप्त जानकारी

स्थानवेस्टमिंस्टर, लंदन, इंग्लैंड (यूनाइटेड किंगडम)
स्थापना31 मई 1859
वास्तुकारऑगस्टस पगिन, चार्ल्स बैरी
प्रकारघंटाघर

बिग बेन का संक्षिप्त विवरण

विश्व की सबसे अनोखी इमारतो में से एक बिग बेन लंदन के वेस्टमिंस्टर पैलेस के उत्तरी छोर पर स्थित है। यह मीनार असल में एक घड़ी है जिसका उपयोग अतीत में लंदन में समय देखने के लिए किया जाता था। यह विश्व की चार सबसे बड़ी मुखमंडल वाली घंटानाद घड़ियों में से एक है। इस मीनार का 2012 से पहले आधिकारिक नाम क्लॉक टॉवर था, लेकिन एलिजाबेथ द्वितीय के शासनकाल के 60 वर्ष पूर्ण करने की खुशी में इस टावर का नाम बदलकर एलिजाबेथ टॉवर रख दिया गया था।

बिग बेन का इतिहास

बिग बेन का इतिहास वेस्टमिंस्टर महल के साथ जुड़ा हुआ है। वर्ष 1834 में वेस्टमिंस्टर के पैलेस में आग लग गई थी जिसके कारण यह नष्ट हो गया था। इस महल को पुन: निर्मित करने के लिये कई वास्तुकारो को आमंत्रित किया गया, जिन्हें इसके लिए कुछ डिज़ाइन जमा करने का भी कार्य सौंपा गया था। अंत में एक कमीशन का गठन किया गया जिसमे सर्वश्रेष्ठ वास्तुकारो को सम्मिलित किया गया था उनमे ऑगस्टस पगिन और चार्ल्स बैरी भी सम्मिलित थे।

वर्ष 1836 में चार्ल्स बैरी ने एक योजना तैयार की जिसका समर्थन ऑगस्टस पगिन ने भी किया था। उन्होंने वेस्टमिंस्टर महल नव-गॉथिक शैली में बनाने का निश्चय किया, जिसमे एक घंटाघर भी सम्मिलित था और 28 सितंबर 1843 को उन्होंने इसकी नींव भी रख दी थी। चूँकि चार्ल्स बैरी एक घड़ी विशेषज्ञ नहीं थे, इसलिए उन्होंने टावर की घड़ी के लिए उपयुक्त डिजाइन खोजने के लिए 1846 में एक प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमे पहले डमंड बेकेट डेनिस के डिजाइन को चुना गया था परंतु उसमे कुछ खामियों के कारण यह कार्य एडवर्ड जॉन डेंट को दे दिया गया था।

जब डेंट की मृत्यु हो गई, तो उनके सौतेले फ्रेडरिक ने 1854 में घड़ी का कार्य पूरा किया और अप्रैल 1859 में इसे क्लॉक टावर में स्थापित कर दिया गया था। इस महान क्लॉक टावर को 31 मई 1859 में सामान्य जनता के लिए खोल दिया गया था।

बिग बेन के रोचक तथ्य

  1. इस ऐतिहासिक घंटाघर को “बिग बेन” नाम वर्ष 1856 में जॉन वार्नर और उनके बेटों द्वारा दिया गया था जोकि सर बेंजामिन हॉल के नाम पर रखा गया था। इस मीनार को वर्ष 1859 में पूर्ण रूप से बनाकर तैयार किया गया था।
  2. यह घंटाघर विश्व के 4 सबसे बड़े मीनारों में से एक है जिसकी कुल ऊंचाई 96 मीटर है।
  3. इस घंटाघर में पहले जो घंटी उपयोग की गई थी उसका कुल वजन लगभग 16 टन था, जिसकी ऊंचाई लगभग 2.1 मीटर थी जो बाद में टूट गई और उसे बदलकर उसके स्थान पर एक 16 टन वाली घंटी लगाई गई जिसकी ऊंचाई लगभग 61 मीटर है।
  4. इस घंटाघर में उपयोग की गई घड़ी का मुख ऑगस्टस पगिन द्वारा डिजाइन किया गया था।
  5. इस घड़ी के मुख का व्यास लगभग 23 फुट (7.0 मीटर) है, जिसमे रोमन गिनती में अंक लिखे गये है।
  6. इस मीनार में उपयोग किया गया लङ्गर (pendulum) लगभग 3 फीट (4.0 मीटर) लंबा और लगभग 300 कि.ग्रा. तक भारी है।
  7. इस मीनार के शीर्ष तक पहुंचने के लिए 334 सीढियाँ है और इसमें कोई लिफ्ट की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है।
  8. यह घंटाघर हर 15 मिनट पर बजता है, जिसे तकरीबन 8 किलोमीटर (5 मील) तक आसानी से सुना जा सकता है।
  9. हर साल घड़ी की गति को नियंत्रित करने के लिए उसमें पुरानी अंग्रेजी पैनी (ब्रिटेन की भूतपूर्व मुद्रा) डाली जाती है, घड़ी की गति ज्यादा करने के लिए उसमे एक पैनी निकल ली जाती है और घड़ी की गति कम करने के लिए उसमे एक पैनी डाल दी जाती है।
  10. यह घंटाघर उत्तर-पश्चिम की तरफ लगभग 8.66 इंच तक थोड़ा सा झुका हुआ है। वर्ष 2003 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार यह प्रत्येक वर्ष लगभग 1 मिली.मी. तक झुकता जा रहा है।
  11. प्रत्येक वर्ष लगभग 6 मिलियन लोग लंदन घुमने के लिए जाते है, जिनमे से अधिकतर पर्यटक इस मीनार को देखने के लिये वहाँ पर जाते है।
  12. वर्ष 2012 में रानी एलिजाबेथ द्वितीय के शासन के 60वीं वर्षगांठ पर इस घंटाघर का आधिकारिक नाम क्लॉक टावर से बदलकर एलिजाबेथ टॉवर कर दिया गया था।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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