दीव किला संक्षिप्त जानकारी

स्थानदीव, दमन और दीव (भारत)
निर्माण16वीं शताब्दी ई.
निर्मातापुर्तगाली
प्रकारकिला

दीव किला का संक्षिप्त विवरण

भारत विश्व के उन सफल देशो में से एक है जहाँ एक उचित और अद्भुत संघात्मक व्यवस्था है, यूँ तो भारत 29 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशो में बटा हुआ है परंतु इसके कई हिस्सों में बटे होने के बाद भी इसकी एकता और इसकी अखंडता में कोई कमी नही आई है। भारतीय केन्द्रशासित प्रदेश दमन और दीव अपने भौगोलिक परिवेश, अनोखी संस्कृति और अद्भुत इतिहास के लिए पूरे विश्वभर में विख्यात है। अरब सागर में स्थित “दीव” एक अनोखा द्वीप है जिस पर स्थित दीव किला भारतीय इतिहास में पुर्तगालियो के योगदान की निशानी बना हुआ है।

दीव किला का इतिहास

इस विश्व प्रसिद्ध किले का निर्माण वर्ष 1535 ई. में पुर्तगाली द्वारा मुगलों, गुजरात सल्तनत और राजपूतों को पुर्तगालियो पर आक्रमण करने से बचाने के लिए किया गया था। पुर्तगाली का शासन लगभग 1537 ई. में शुरू हो गया था जो 1961 ई. तक चला था। हालांकि भारत ने वर्ष 1947 ई. में आजादी हासिल कर ली थी ,परंतु पुर्तगालियो का शासन गोवा और कई द्वीपों पर काफी समय तक चलता रहा था।

यह द्वीप और किला वर्ष 1961 तक पुर्तगाली के अधीन बना रहा था क्यूंकि यह अरब सागर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग था। वर्ष 1534 ई. में बहादुर शाह ने मुगल सम्राट हुमायूं से खतरा होने की आशंका के कारण पुर्तगालियों के साथ शांति संधि की और उन्हें बेसिन किला (वसई किला) सौंप दिया था और उन्हें दीव में एक ही किला बनाने की अनुमति भी दे दी थी।

बाद में बहादुर शाह ने यह महसूस किया पुर्तगाली भी भरोसे लायक नहीं है और उन्होंने युद्ध का आगाज कर दिया था, जिसमे उसकी मृत्यु हो गई थी। बहादुर शाह के बाद उसके भतीजे महमूद शाह III को उसका उत्तराधिकारी बना दिया गया था। यह किला 1960 के दशक के बाद से भारतीय सरकार के नियन्त्रण में है।

दीव किला के रोचक तथ्य

  1. इस अद्भुत किले का निर्माण वर्ष 1535 ई. में पुर्तगालियों द्वारा मुगलों और राजपूतो से अपनी रक्षा करने के लिए करवाया गया था।
  2. वर्ष 1509 ई. में पुर्तगाल और चार देशों की सेनाओं के बीच एक युद्ध चल रहा था, जिसमे पुर्तगालियों ने दीव को जोड़ने की कोशिश की लेकिन वह इस काम में असफल रहे थे।
  3. वर्ष 1534 ई. में पुर्तगालियों ने बेसिन की एक संधि पर हस्ताक्षर किए और जिसके माध्यम से उन्होंने बेसिन पर कब्जा कर लिया जिसे अब वसई के नाम से जाना जाता है।
  4. वर्ष 1961 ई. में यह किला और द्वीप दोनों पुर्तगालियों के अधीन थे जिसके बाद ऑपरेशन “विजय” के माध्यम से भारतीय सरकार ने पुर्तगालियों को इसे छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, उस समय इस किले मे लगभग 350 से अधिक पुर्तगाली सैनिक थे, जिसके बाद से इस किले पर भारत सरकार का नियत्रंण स्थापित है।
  5. वर्ष 1538 ई. में गुजरात और पुर्तगालियों के सुल्तान ने तुर्कों को यहाँ से निष्कासित कर दिया था जिसके बाद तुर्कों ने अपने 66 जहाजो और लगभग 20,000 सैनिको को संगठित कर इस किले पर वर्ष 1538 में हमला कर दिया दिया और कुछ अज्ञात कारणों से हमला करने के बाद वापस मिस्र लौट गये थे।
  6. वर्ष 1538 ई. में पुर्तगालियो और तुर्कों के बीच हुये युद्ध के दौरान पुर्तगाली गैरीसन के 400 लोगों में से मात्र 40 ही जीवित बचे थे।
  7. यह किला दीव पर स्थित सबसे बड़ी संरचनाओ में से एक है जिसने उसकी अधिकतर समुद्री तट रेखा को घेर रखा है, इस किले के 3 तरफ के हिस्से समुद्र से लगते है।
  8. इस किले के बाहरी और भीतरी दीवारों के बीच एक दुगनी खाई स्थित है जो आन्तरिक दीवारों को सुरक्षा प्रदान करती है और इस किले को भी अलग करती है। इस किले को बलुआ पत्थर की चट्टानों को काट कर बनाया गया है।
  9. यह किला काफी विशाल है जिसके भीतर जाने के लिए लगभग 3 प्रवेश द्वारो का निर्माण किया गया था। इस किले की दीवारो के बगल में से गहरे पानी की नालियाँ भी गुजरती है जिसका निर्माण पहले सुल्तान ने और बाद में पुर्तगालियों ने करवाया था।
  10. इस किले के मुख्य प्रवेश द्वार में ठीक सामने की दीवार पर पत्थर की दीर्घाओं वाली 5 बड़ी खिड़कियां बनी हुई हैं, जिसमे से काफी मनमोहक नजारे देखने को मिलते है।
  11. इस किले के एक छोर पर 1 बड़ा प्रकाश घर (लाइट हाउस) भी स्थित है। जो इस किले की दीवारों, गेटवे, मेहराब, रैंप और किले के गढ़ों के खंडहर को सुरक्षा प्रदान करती थी।
  12. इस किले में 3 विशालका्य गिरजाघर भी मौजूद है, जिनमे से “सेंट फ्रांसिस ऑफ़ असीस” का निर्माण 1593 ई. में, “सेंट पॉल चर्च, दीव” का निर्माण 1601 से 1610 ई. के मध्य और “सेंट थॉमस चर्च” का निर्माण 1598 ई. में करवाया गया था।
  13. इस किले में स्थित “सेंट थॉमस चर्च” को वर्ष 1998 ऑ. में एक संग्रहालय (दीव संग्रहालय) में परिवर्तित कर दिया गया था जो अब एक पुरातात्विक खजाने का घर है। इसमें 400 वर्ष पुराणी लकडियाँ, प्राचीन मूर्तियों और कलाकृतियों को काफी संभाल कर रखा गया है।
  14. इस किले में एक शिव मंदिर भी स्थित है जिसे “गंगाश्वर महादेव” कहकर संबोधित किया जाता है। ऐसा माना जाता है की इस किले का निर्माण 5 पांडव भाइयों द्वारा किया गया था, जिस कारण इस मंदिर में 5 विभिन्न आकार के शिवलिंग पाए जाते है।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
  Post Views :  16399
हैदराबाद तेलंगाना के गोलकुंडा किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
ग्वालियर मध्य प्रदेश के ग्वालियर किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
जोधपुर राजस्थान के मेहरानगढ़ किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
जैसलमेर राजस्थान के जैसलमेर किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
जयपुर राजस्थान के आमेर किला आंबेर का किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
आगरा उत्तर प्रदेश के आगरा का किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
विल्लुपुरम तमिलनाडु के जिंजी किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
राजसमंद राजस्थान के कुम्भलगढ़ किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
चित्तौड़गढ़ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
मंड्या जिला कर्नाटक के श्रीरंगपटना किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी