एलीफेंटा गुफाएं संक्षिप्त जानकारी

स्थानमुंबई, महाराष्ट्र (भारत)
निर्माण काल6-8 वीं शताब्दी
प्रकारसांस्कृतिक
प्रवेश शुल्कभारतीय: 10 रुपये, अन्य: 250 रुपये
समयसुबह 9 बजे से 5 बजे तक (सोमवार अवकाश)

एलीफेंटा गुफाएं का संक्षिप्त विवरण

एलिफेंटा की गुफाएं देश की आर्थिक राजधानी मुम्‍बई शहर के पास स्थित पौराणिक देवताओं की आकर्षक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। प्राचीन काल में एलिफेंटा को घारापुरी के नाम से भी जाना जाता है, जोकि कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी। एलिफेंटा की गुफाओं में बनी भगवान शिव सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। पहाड़ों को काटकर बनाई गई ये मूर्तियाँ दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित है, जो महाराष्ट्र के मुख्य आकर्षणों में से एक है। गुफा में बनी सुंदर मूर्तियों में हिन्दू और बौद्ध धर्म की झलक साफ देखी जा सकती है।

एलीफेंटा गुफाएं का इतिहास

स्थानीय परम्पराओं के अनुसार यह गुफाएं मानवनिर्मित नहीं है और इन्हें बनाने का श्रेय भारतीय महाकाव्य महाभारत के नायकों और वनमानुषों को दिया जाता है, जोकि भगवान् शिव के भक्त थे। सन 635 ईस्वी में, नौसैनिक युद्ध में बादामी चालुकस सम्राट पुल्केसी द्वितीय (609-642) ने कोंकण के मौर्य शासकों को हराया था।

कुछ इतिहासकार कहते है कि यह गुफाएं उसी समय यानि के छठी शताब्दी की बनी हुई है। विकिपीडिया के अनुसार यह गुफाएं सिल्हारा वंश (8100-1260) के राजाओं द्वारा निर्मित बतायीं जातीं हैं, जिन्होंने नौंवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक यहाँ राज किया था।

16वीं सदी में यहाँ पर पुर्तग़ालियों का अधिकार था। पुर्तगाली यात्री वाँन लिंसकोटन द्वारा लिखित ग्रंथ 'डिस्कोर्स आव वायेजेज' नामक से सूचित होता है कि 16वीं सदी में यह द्वीप पुरी या पुरिका नाम से प्रसिद्ध था, जो कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी। राजघाट नामक स्थान पर सोलहवीं सदी तक हाथी की एक बहुत बड़ी मूर्ति अवस्थित थी। इसी कारण पुर्तग़ालियों ने इस द्वीप का एलिफेंटा रखा था।

एलीफेंटा गुफाएं के रोचक तथ्य

  1. यह द्वीप महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई में गेटवे ऑफ इंडिया से 10 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
  2. इसका व्यास लगभग 4.5 मील (लगभग 7.2 कि.मी.) है।
  3. यह गुफाएं दो भागों में विभाजित हैं, इनमें से 5 गुफाएं भगवान शंकर को समर्पित है तथा दूसरे समूह में स्तूप हिल नामक दो बौद्ध गुफायें स्थित हैं।
  4. एलिफेंटा की गुफ़ाएँ 7 गुफ़ाओं का सम्मिश्रण हैं, जिनमें से महेश मूर्ति गुफ़ा सबसे महत्वपूर्ण है।
  5. मुख्य गुफा में 26 स्तंभ हैं, जिसमें शिव को कई रूपों को दिखाया गया हैं।
  6. इनमें शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे भव्य है। यह मूर्ति 23 या 24 फीट लम्बी और 17 फीट ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शिव के तीन रूपों का चित्रण किया गया है।
  7. गुफा के मुख्य हिस्से में पोर्टिकों के अलावा तीन ओर से खुले सिरे हैं और इसके पिछली ओर 27 मीटर का चौकोर स्थान है और इसे 6 खम्भों के द्वारा सहारा दिया जाता है।
  8. एलिफेन्टा की पहाड़ी में शैलोत्कीर्ण करके उमा महेश गुहा मन्दिर का निर्माण लगभग 8वीं शताब्दी में किया गया।
  9. ए. डी. 757-973 के बीच इस क्षेत्र पर राज कर रहे राष्ट्र कूट राजाओं द्वारा लगभग 8वीं शताब्दी के आस पास उमा महेश गुहा मन्दिर को खोज कर निकाला गया था।
  10. इस गुफाओं में महायोगी, नटेश्वर, भैरव, पार्वती-परिणय, अर्धनारीश्वर, पार्वतीमान, कैलाशधारी रावण, महेशमूर्ति शिव तथा त्रिमूर्ति के अद्भुत चित्र देखने को मिलते हैं।
  11. इन अद्भुत गुफाओं में भगवान् शंकर के विभिन्न रूपों के कारण इन्हें 'टैम्पल केव्स' भी कहा जाता हैं। यहां पर शिव-पार्वती के विवाह का भी सुंदर चित्रण किया गया है।
  12. यूनेस्को द्वारा 1987 में इन गुफाओं को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।
  13. भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है।
  14. यहाँ से हर तीस मिनट के बाद एक नाव जाती है जो केवल प्रात: काल 9 बजे से दोपहर के 12 बजे तक चलती है।
  15. बंदरगाह के पास से गुफाओं के प्रवेश द्वार तक एक मिनी ट्रेन भी चलती है जिसका किराया मात्र 10 रुपये प्रति व्यक्ति है।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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