हुमायूँ का मकबरा संक्षिप्त जानकारी

स्थानमथुरा रोड, दिल्ली, (भारत)
अन्य नाममकबरा-ए-हुमायूँ
निर्माण1565-1572
निर्माता (किसने बनवाया)हाजी बेगम
वास्तुकारमिरक मिर्ज़ा गियास और उसका बेटा सैय्यद मुहम्मद
प्रकारमकबरा
वास्तुकला शैलीमुगल शैली
निर्माण की लागत1.5 करोड़ रुपये
आयाम47 मीटर (ऊंचाई) x 91 मीटर (चौड़ाई)
उपयोग की गई सामग्रीलाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर
समयसप्ताह के सभी दिन सुबह 6:00 से शाम 6:00 बजे तक
स्थितियूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
प्रवेश शुल्कभारतीयों के लिए 30 रु तथा विदेशियों के लिए 500 रु
वीडियो कैमरे का शुल्क₹ 25
नजदीकी मेट्रो स्टेशनजवाहरलाल नेहरू स्टेडियम

हुमायूँ का मकबरा का संक्षिप्त विवरण

मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा देश की राजधानी नई दिल्ली के दीनापनाह अर्थात् पुराने किले के निकट लोधी रोड और मथुरा रोड के बीच पूर्वी निज़ामुद्दीन के इलाके में स्थित एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। यूनेस्को द्वारा साल 1993 में इसे विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया गया था। यह मकबरा भारत में मुगल स्थापत्य कला का एक बहुत ही सुन्दर उदाहरण है।

हुमायूँ का मकबरा का इतिहास

हुमायूँ का मक़बरा उनकी पत्नी हमीदा बानो बेगम द्वारा उनकी याद में बनवाया था। इसका निर्माण कार्य आठ सालों (1565 से 1572 तक) चला था। हमीदा बानो बेगम तीसरे मुगल सम्राट अकबर की माता थी। ग़ुलाम वंश के समय में यह भूमि किलोकरी क़िले में स्थित थी, जो कि नसीरूद्दीन महमूद (शासन 1246-1266 ई.) के पुत्र सुल्तान केकूबाद की राजधानी थी। इस मक़बरे की शैली वही है, जिसने ताजमहल को जन्म दिया। मकबरे के लिए इस स्थान का चुनाव इसलिए किया गया था क्योकि यमुना नदी के किनारे हजरत निजामुद्दीन (दरगाह) भी थी। संत निज़ामुद्दीन दिल्ली के प्रसिद्ध सूफ़ी संत हुए हैं व इन्हें दिल्ली के शासकों द्वारा काफ़ी माना गया था।

इस जगह के अन्य मकबरे और इमारते:
  • चारबाग उद्यान (गार्डेन): पूरे दक्षिण एशिया में पारसी शैली का यह पहला बगीचा है। इसका आकार चतुर्भुजाकार है। मक़बरे की पूर्ण शोभा इसको घेरे हुए 30 एकड़ में फैले चारबाग़ शैली के मुग़ल उद्यानों से निखरती है।
  • नाई का मकबरा: चहारदीवारी के अन्दर नाई-का-गुम्बद नामक एक मकबरा है जो एक शाही नाई की कब्र है।
  • अफ़सरवाला मक़बरा: इस परिसर में ही अफ़सरवाला मक़बरा भी बना है, जो अकबर के एक नवाब के लिये बना था। इसके साथ ही इसकी मस्जिद भी बनी है।
  • हुमायूँ के मकबरे के परिसर के अन्दर अन्य इमारतों में बू हलीमा की कब्र और बगीचा, ईसा खान की कब्र और मस्जिद, नीला गुम्बद, चिल्लाह निज़ामुद्दीन औलिया और अरब सराय शामिल हैं।

हुमायूँ के मकबरा की वास्तुकला (Humayun’s Tomb Architecture):

भव्य मकबरे का परिसर मिरक मिर्जा गियास द्वारा बनाया गया था, जो एक फारसी वास्तुकार था जिसे बेगम ने खुद चुना था। यह भारतीय और फारसी शैलियों के तत्वों के साथ मुगल वास्तुकला की शैली का एक ज्वलंत उदाहरण है। 154 फीट की ऊंचाई और 299 फीट की चौड़ाई के साथ विशाल मकबरा मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर में बनाया गया है जबकि सफेद संगमरमर गुंबद के लिए इस्तेमाल किया गया है। एक डायनैस्टिक मकबरे के रूप में डिज़ाइन की गई संरचना में इसकी दीवारों के भीतर 124 छोटे छोटे गुंबददार कक्ष हैं। मकबरे की संरचना के आसपास एक फारसी शैली में उद्यान बनाए गए है जिसे चारबाग के नाम से जाना जाता है।

हुमायूँ का मकबरा के रोचक तथ्य

  1. हुमायूँ के मकबरे को उनकी मृत्यु के नौ साल बाद बनवाया गया था।
  2. इसका निर्माण फ़ारसी वास्तुकार मिराक मिर्ज़ा गियाथ के डिजाइन पर 1565 से 1572 ईसवी के बीच हुआ था।
  3. एक समकालीन इतिहासकार अब्द-अल-कादिर बदांयुनी के अनुसार इस मकबरे का निर्माण 1565 से 1572 ईसवी के बीच स्थापत्य फारसी वास्तुकार मिराक मिर्ज़ा गियाथ (मिर्ज़ा घियाथुद्दीन) द्वारा किया था, जिन्हें हेरात, बुखारा (वर्तमान उज़्बेकिस्तान में) से विशेष रूप से इस इमारत के लिये बुलवाया गया था।
  4. इसे मकबरे को बनाने में मूलरूप से पत्थरों को गारे-चूने से जोड़कर किया गया है और उसे लाल बलुआ पत्थर से ढंका हुआ है। इसके निर्माण में सर्वप्रथम लाल बलुआ पत्थर का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग हुआ था।
  5. इसके ऊपर पच्चीकारी, फर्श की सतह, झरोखों की जालियों, द्वार-चौखटों और छज्जों के लिये सफ़ेद संगमरमर के पत्थरों का प्रयोग किया गया है।
  6. जब इस मकबरे का निर्माण किया गया था, तब इसकी लागत 15 लाख रुपये थी।
  7. इस इमारत में अन्दर जाने के लिये दो 16 मीटर ऊंचे दुमंजिले प्रवेशद्वार पश्चिम और दक्षिण में बने हैं।
  8. मुख्य इमारत के ईवान पर सितारे के समान बना एक छः किनारों वाला सितारा मुख्य प्रवेश द्वार को ओर भी आकर्षक बना देता है।
  9. इस मकबरे की ऊंचाई 47 मीटर और चौड़ाई 300 फीट है।
  10. इस मकबरे पर एक फारसी बल्बुअस गुम्बद भी बना हुआ है। यह गुम्बद 42.5 मीटर के ऊंचे गर्दन रूपी बेलन पर बना है। जिसके ऊपर 6 मीटर ऊंचा पीतल का किरीट कलश स्थापित है और उसके ऊपर चंद्रमा लगा हुआ है, जो तैमूर वंश के मकबरों में मिलता है।
  11. इस इमारत में मुख्य केन्द्रीय कक्ष सहित नौ वर्गाकार कमरे बने हुए हैं। इनमें बीच में बने मुख्य कक्ष को घेरे हुए शेष 8 दुमंजिले कक्ष बीच में खुलते हैं।
  12. यह बगीचे युक्त मकबरा चारों तरफ से दीवारों से घिरा है जिसमें सुन्दर बगीचे, पानी के छोटी नहरें, फव्वारे, फुटपाथ और अन्य प्रकार की आकर्षक चीजें देखी जा सकती हैं।
  13. ये मकबरा मुगलों द्वारा निर्मित हुमायुं के पिता बाबर के काबुल स्थित मकबरे बाग-ए-बाबर से बिल्कुल अलग था।
  14. बाबर को मकबरे में दफनाने के साथ ही सम्राटों को बाग में बने मकबरों में दफ़्न करने की परंपरा आरंभ हुई थी।
  15. बाद में यही पर मुग़लों के शाही परिवार के अन्य सदस्यों को दफ़नाया गया था।
  16. इस जगह पर हमीदा बेगम (अकबर की मां), दारा शिकोह (शाहजहाँ का बेटा) और बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय (अंतिम मुग़ल शासक) का मक़बरा भी है।
  17. इस मक़बरे की देखरेख भारतीय पुरातत्त्व विभाग द्वारा की जाती है।
  18. इस मक़बरे में भारतीय परम्परा एवं पारसी शैली की वास्तुकला का चित्रण साफ़ दिखाई देता है।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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