जयगढ़ किला संक्षिप्त जानकारी

स्थानआमेर जिला, राजस्थान (भारत)
निर्माणकाल1726 ई.
निर्माताराजा सवाई जय सिंह II
प्रकारकिला

जयगढ़ किला का संक्षिप्त विवरण

भारत विश्व के सबसे विशाल देशो में से एक है। इस देश ने अपनी विशेष प्रकार की भौगोलिक स्थिति और जलवायु के कारण कई विश्व प्रसिद्ध साम्राज्यों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। क्षेत्रफल के अनुसार भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान भी अपनी भौगोलिक और सांस्कृतिक भिन्नता के कारण पूरे विश्व में विख्यात है।

राजस्थान को राजा-रजवाड़ो की भूमि कहा जाता है, क्योकि प्राचीन काल में यहाँ पर बहुत राजाओं ने राज किया था। उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान राजस्थान में बहुत किले और महलो का निर्माण करवाया था, ऐसा ही एक भव्य किला है जयगढ़ किला, जो अपनी संस्कृति और अपनी स्थापत्य शैली की लिए विश्व में प्रसिद्ध है।

जयगढ़ किला का इतिहास

इस विश्व प्रसिद्ध किले का निर्माण राजस्थान में स्थित आमेर के सबसे प्रसिद्ध शासक राजा सवाई जय सिंह II द्वारा वर्ष 1726 ई. में करवाया था। इस किले को महाराजा द्वारा बनाने का मुख्य उद्देश्य आस-पास के शासको के बढ़ते प्रभाव को रोकना और उनसे अपनी रक्षा करना था।

जयगढ़ किला के रोचक तथ्य

  1. यह विश्व प्रसिद्ध किला भारतीय राज्य राजस्थान के आमेर जिले में अरावली पर्वत श्रेणी के ऊपर स्थित है, यह किला अरावली पर्वत श्रेणी की जिस चोटी पर स्थित है उसे “चील का टीला” कहकर संबोधित किया जाता है।
  2. यह किला राजस्थान में स्थित आमेर किले से भी काफी ऊँचा है, यह किला लगभग 400 मीटर की ऊंचाई वाले पर्वत पर बनाया गया है।
  3. यह किला राजस्थान की राजधानी जयपुर से मात्र 10 कि.मी. की दूरी पर जयपुर-दिल्ली राजमार्ग के एक मोड़ पर स्थित है।
  4. यह किला लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है, इस किले की बाहरी सुरक्षा दीवार अत्यधिक मजबूत है, यह दीवार लगभग 3 कि.मी. लंबी और 1 कि.मी. चौड़ी है।
  5. इस भव्य किले में एक प्रभावशाली वर्गाकार गार्डन भी मौजूद है, जिसमे विभिन्न प्रकार के पुष्प लगाये गये है, यह गार्डन लगभग 50 वर्गमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
  6. इस किले में कई प्रवेश द्वार है, परंतु इसका सबसे बड़ा और सुंदर प्रवेश द्वार “अवानी दरवाजा” है।
  7. इस किले में 3 ऐसे प्रवेश द्वार है जिन पर बड़े बड़े मेहराब बनाये गये थे। यह द्वार पूर्व-पश्चिम दिशा में बनाये गये थे।
  8. इस किले के भीतर 2 प्राचीन मंदिर मौजूद है, इसका पहला मंदिर “हरिहर मंदिर” है, जिसका निर्माण 10वीं शताब्दी में किया गया था और इसका दूसरा मंदिर “काल भैरव मंदिर” है जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था।
  9. इस किले की जल संचय प्रणाली काफी उन्नत थी, किले में जल आपूर्ति के लिए अरावली जलग्रह का उपयोग किया जाता था, जो किले से लगभग 4 कि.मी. की दूरी पर स्थित था, इसे किले के नीचे बने तीन भूमिगत टैंको से जोड़ा गया था, यह टैंक लगभग 6 मिलियन गैलेन पानी को संरक्षित कर सकते थे।
  10. इस किले को लेकर काफी सारी अफवाहे प्रचलित थी, जिनमे से एक यह थी की इस किले के नीचे कच्छवा शासकों के अपार धन संपदा छिपाई गई है, इसे सरकार ने गंभीरता से लेते हुये वर्ष 1975–1977 के मध्य इस किले को मेटल डिटेक्टर की सहयता पूरा खोजा, लेकिन वह असफल रहे थे।
  11. इस किले में एक शस्त्रागार कक्ष भी सम्मिलित है जिसमें तलवारें, ढाल, बंदूकें और 50 किलोग्राम तक भारी तोपों आदि हथियार रखे जाते थे।
  12. इस किले में विश्व की सबसे ताकतवर तोप “जयवाना तोप” का निर्माण वर्ष 1720 में हुआ था, यह तोप विश्व की सबसे भारी तौपो में से एक है, जिसका वजन लगभग 50 टन था और जिसमे लगभग 100 किलोग्राम गनपाउडर भरा जाता था, जिससे लगभग 35 कि.मी. की दूरी तक के दुश्मनों को आसानी से ढेर किया जा सकता था।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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