कोणार्क सूर्य मंदिर संक्षिप्त जानकारी

स्थानपुरी, ओडिशा (भारत)
निर्माण काल13वीं शताब्दी
निर्मातानरसिम्हा देव
प्रकारमंदिर

कोणार्क सूर्य मंदिर का संक्षिप्त विवरण

भारतीय राज्य ओडिशा के पुरी जिले में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर देश के चुनिन्दा सूर्य मन्दिरों में से एक है। भगवान सूर्य देव को समर्पित यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। यूनेस्को द्वारा सन् 1984 में इसे विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी गयी थी। हर साल लाखों की संख्या में सैलानी ओड़िसा के पूरी में स्थित इस भव्य मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।

कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास

इस भव्य का निर्माण गंग वंश के राजा नरसिंह देव (King Narasimha Dev) द्वारा 13वीं शाताब्‍दी (1236-1264 ई.) के दौरान करावाया गया था। ऐसा माना जाता है कि गंग वश के सम्राट ने मुस्लिम साम्राज्य के साथ एक बड़ी लड़ाई लड़ी जिसमें मुस्लिम शासकों की हार हुई और राजा नर सिंहदेव ने अपनी जीत की खुशी के उपलक्ष्य में एक विजय स्मारक के तौर पर कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था।

15वीं शताब्दी के दौरान मुस्लिम सेना ने लूटपाट मचा दी थी, तब मंदिर के पुजारियों ने यहाँ स्थापित सूर्य देवता की मूर्ति को पुरी में ले जाकर सुरक्षित रख दिया, लेकिन पूरा मंदिर काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद धीरे-धीरे मंदिर पर रेत जमा होने लगी और यह पूरी तरह रेत से ढँक गया था।

20वीं सदी में ब्रिटिश शासन के अंतर्गत हुए पुर्ननिर्माण (रेस्टोरेशन) के दौरान सूर्य मंदिर को खोजा गया। 20वीं सदी के मध्य में इसे भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के अधीन कर दिया गया। प्राचीन मुख्य मंदिर तीन मंडपों में बने थे, परन्तु इनमें से दो मण्डप ढह चुके हैं। तीसरे मंडप में जहां पर मूर्ति स्थापित थी अंग्रेज़ों ने भारतीय स्वतंत्रता से पहले ही रेत व पत्थर भरवा कर सभी द्वारों को स्थायी रूप से बंद करवा दिया था।

कोणार्क शब्द, 'कोण' और 'अर्क' शब्दों के मेल से बना है। कोण से अभिप्राय कोने या किनारे से है, जबकि अर्क का अर्थ सूर्य होता है।

कोणार्क सूर्य मंदिर के रोचक तथ्य

  1. कोणार्क शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों से हुई है, जिनका अर्थ है कोण अर्थ का होता है कोनाया कोने और अर्का का अर्थ होता है सूर्य होता।
  2. कोणार्क सूर्य मंदिर को ओडिशा के स्वर्ण त्रिभुज की तीसरी कड़ी माना जाता है जिसमें पुरी में जगन्नाथ मंदिर और भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर शामिल हैं।
  3. अपनी बनावट के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध यह मन्दिर उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से मात्र 65 किलोमीटर की दूरी पर पुरी जिले में स्थित है।
  4. 13वीं शाताब्‍दी में बने इस भव्य मंदिर को 200 वास्तुकारों ने मिलकर बनाया था और इसे बनाने में 28 वर्षो का समय लगा था।
  5. इस भव्य मंदिर की कुल ऊॅचाई 69.7992 मीटर (229 फ़ीट) है।
  6. कोणार्क सूर्य मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया है। और यह मंदिर परिसर लगभग 26 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।
  7. वर्तमान मंदिर को बनाने में लाल रंग के बलुआ पत्थरों तथा काले ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
  8. इस मंदिर का निर्माण रथ के रूप में किया गया था इसमें 24 खूबसूरत पहिये बने हुए है, जिसपर भगवान् सूर्य देव को विराजमान दिखाया गया है। रथ का प्रत्येक पहिया लगभग 10 फुट चौड़ा है और रथ 7 शक्तिशाली घोड़ों द्वारा खींचा जा रहा है। परन्तु वर्तमान में सातों में से एक ही घोड़ा बचा हुआ है।
  9. मंदिर के रथ में बने पहिये सूर्य घड़ी की मुद्रा में बने हैं, जिन्हें वर्तमान घड़ियों की तरह डिज़ाइन किया गया है।
  10. मंदिर के दक्षिणी हिस्से में दो घोड़े बने हुए है, जिसे राज्य सरकार द्वारा अपने राजचिन्ह के तौर पर भी चुना गया है।
  11. कोणार्क के सूर्य मंदिर को अंग्रेज़ी में ‘ब्लैक पैगोडा’ भी कहा जाता है।
  12. मंदिर के प्रवेश द्वार के पास में ही एक नट मंदिर है। ये वह स्थान है, जहां मंदिर की नर्तकियां, सूर्यदेव को खुश करने के लिये नृत्य किया करतीं थीं।
  13. मंदिर के अन्दर सूर्य भगवान की मूर्ति को ऐसे रखा गया था कि उगते हुए सूर्य की पहली किरण उस पर आकर गिरती थी। जिसकी रोशनी से पूरा मंदिर जगमगा उठता था।
  14. मंदिर के अन्दर जगह-जगह पर फूल-बेल और ज्यामितीय नमूनों की सुन्दर नक्काशी की गई है। इनके साथ ही मानव, देव, गंधर्व, किन्नर आदि के सुन्दर चित्रों को भी एन्द्रिक मुद्राओं में प्रदर्शित किया गया हैं।
  15. यह मंदिर प्राचीन उड़िया स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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