अरुणा आसफ अली का जीवन परिचय एवं उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे अरुणा आसफ अली (Aruna Asaf Ali) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए अरुणा आसफ अली से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Aruna Asaf Ali Biography and Interesting Facts in Hindi.
अरुणा आसफ अली का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान
नाम
अरुणा आसफ अली (Aruna Asaf Ali)
जन्म की तारीख
16 जुलाई
जन्म स्थान
कालका, पंजाब, ब्रिटिश भारत
निधन तिथि
29 जुलाई
माता व पिता का नाम
अम्बालिका देवी / उपेंद्रनाथ गांगुली
उपलब्धि
1964 - संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष
पेशा / देश
महिला / स्वतंत्रता सेनानी / भारत
अरुणा आसफ अली - संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष (1964)
अरुणा आसफ अली एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्हे 1942 मे भारत छोडो आंदोलन के दौरान, मुंबई के गोवालीया मैदान मे कांग्रेस का झंडा फ्हराने के लिये हमेशा याद किया जाता है। अरुणा जी ने शुरूआती शिक्षा नैनीताल में प्राप्त की थी। यह बहुत ही कुशाग्र बुद्धि और पढ़ाई लिखाई में बहुत चतुर थीं।
अरुणा जी का जन्म बंगाली परिवार में 16 जुलाई 1909 कालका ग्राम, पंजाब में हुआ था। इनका बचपन का नाम ‘अरुणा गांगुली" था। यह ब्राह्मण जाति से थे| इनकी माता का नाम अम्बालिका देवी और पिता का नाम उपेन्द्रनाथ गांगुली था| इनके पिता का नैनीताल में एक होटल था जिसके वह मालिक थे|
अरुणा आसफ अली का निधन 29 जुलाई 1996 (आयु 87 वर्ष) को नई दिल्ली , भारत मर हुआ था।
अरुणा आसफ़ अली ने अपने प्रारम्भिक जीवन में ही अपनी बुद्धिमत्ता और चतुरता की धाक जमा दी थी। लाहौर और नैनीताल से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह शिक्षिका बन गई।
अरुणा आसफ़ अली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह शिक्षिका बन गई और कोलकाता के "गोखले मेमोरियल कॉलेज" में अध्यापन कार्य करने लगीं। अरुणा जी ने 1930, 1932 और 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय जेल की सज़ाएँ भोगीं। उनके ऊपर जयप्रकाश नारायण, डॉ॰ राम मनोहर लोहिया, अच्युत पटवर्धन जैसे समाजवादियों के विचारों का अधिक प्रभाव पड़ा। इसी कारण 1942 ई. के ‘भारत छोड़ो आन्दोलन" में अरुणा जी ने अंग्रेज़ों की जेल में बन्द होने के बदले भूमिगत रहकर अपने अन्य साथियों के साथ आन्दोलन का नेतृत्व करना उचित समझा। गांधी जी आदि नेताओं की गिरफ्तारी के तुरन्त बाद मुम्बई में विरोध सभा आयोजित करके विदेशी सरकार को खुली चुनौती देने वाली वे प्रमुख महिला थीं। मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली आदि में घूम-घूमकर, पर पुलिस की पकड़ से बचकर लोगों में नव जागृति लाने का प्रयत्न किया। लेकिन 1942 से 1946 तक देश भर में सक्रिय रहकर भी वे पुलिस की पकड़ में नहीं आईं। 1946 में जब उनके नाम का वारंट रद्द हुआ, तभी वे प्रकट हुईं। सारी सम्पत्ति जब्त करने पर भी उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया। कांग्रेस कमेटी की निर्वाचित अध्यक्ष दो वर्ष के अंतराल के बाद सन् 1946 ई. में वह भूमिगत जीवन से बाहर आ गईं। भूमिगत जीवन से बाहर आने के बाद सन् 1947 ई. में श्रीमती अरुणा आसफ़ अली दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा निर्वाचित की गईं। दिल्ली में कांग्रेस संगठन को इन्होंने सुदृढ़ किया। कांग्रेस से सोशलिस्ट पार्टी में सन 1948 ई. में श्रीमती अरुणा आसफ़ अली "सोशलिस्ट पार्टी" में सम्मिलित हुयीं और दो साल बाद सन् 1950 ई. में उन्होंने अलग से ‘लेफ्ट स्पेशलिस्ट पार्टी" बनाई और वे सक्रिय होकर "मज़दूर-आंदोलन" में जी जान से जुट गईं। अंत में सन 1955 ई. में इस पार्टी का "भारतीय कम्यनिस्ट पार्टी" में विलय हो गया। भाकपा में श्रीमती अरुणा आसफ़ अली भाकपा की केंद्रीय समिति की सदस्या और ‘ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस" की उपाध्यक्षा बनाई गई थीं। सन् 1958 ई. में उन्होंने "मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी" भी छोड़ दी। सन् 1964 ई. में पं. जवाहरलाल नेहरू के निधन के पश्चात वे पुनः "कांग्रेस पार्टी" से जुड़ीं, किंतु अधिक सक्रिय नहीं रहीं। दिल्ली नगर निगम की प्रथम महापौर श्रीमती अरुणा आसफ़ अली सन् 1958 ई. में "दिल्ली नगर निगम" की प्रथम महापौर चुनी गईं। मेयर बनकर उन्होंने दिल्ली के विकास, सफाई, और स्वास्थ्य आदि के लिए बहुत अच्छा कार्य किया और नगर निगम की कार्य प्रणाली में भी उन्होंने यथेष्ट सुधार किए।
अरुणा आसफ अली को वर्ष 1964 के लिए अंतर्राष्ट्रीय लेनिन शांति पुरस्कार और 1991 में इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग के लिए जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 1992 में उनके जीवनकाल में भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण और अंत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया, भारत रत्न, मरणोपरांत 1997 में। 1998 में, उनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया गया था। नई दिल्ली में अरुणा आसफ अली मार्ग को उनके सम्मान में नामित किया गया था। अखिल भारतीय अल्पसंख्यक मोर्चा सालाना डॉ। अरुणा आसफ़ अली सद्भावना पुरस्कार वितरित करता है।
अरुणा आसफ अली प्रश्नोत्तर (FAQs):
अरुणा आसफ अली का जन्म 16 जुलाई 1909 को कालका, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था।
अरुणा आसफ अली को 1964 में संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है।
अरुणा आसफ अली की मृत्यु 29 जुलाई 1996 को हुई थी।
अरुणा आसफ अली के पिता का नाम उपेंद्रनाथ गांगुली था।