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कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान

नामकोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा (K M Cariappa)
उपनामकीपर
जन्म की तारीख28 जनवरी
जन्म स्थानकोडागु (कुर्ग), कर्नाटक
निधन तिथि15 मई
उपलब्धि1949 - स्वतंत्र भारत के प्रथम सेनाध्यक्ष (फ़ील्ड मार्शल)
पेशा / देशपुरुष / कमांडर / भारत

कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा - स्वतंत्र भारत के प्रथम सेनाध्यक्ष (फ़ील्ड मार्शल) (1949)

फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा भारत के प्रथम सेनाध्यक्ष थे। उनका पूरा नाम कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा था। करिअप्पा का जन्म 28 जनवरी, 1899 में कर्नाटक के कोडागु (कुर्ग) में शनिवर्सांथि नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने साल 1947 में हुए भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया। वे भारतीय सेना के उन दो अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हें फील्ड मार्शल की पदवी दी गयी थी। इसके बाद से ही 15 जनवरी ‘सेना दिवस" के रूप में मनाया जाता है। सन 1953 में फील्ड मार्शल करिअप्पा भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो गए। 15 मई 1993 में 94 वर्ष की आयु में के. एम. करियप्पा का निधन हो गया।

कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा का जन्म 28 जनवरी, 1899 में कर्नाटक के कोडागु (कुर्ग) में शनिवर्सांथि नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा था। करिअप्पा को घर में सभी लोग प्यार से ‘चिम्मा" कहकर पुकारते थे। इनके पिता का नाम मदप्पा था जो कोडंडेरा माडिकेरी में एक राजस्व अधिकारी थे। ये अपने माता पिता के दूसरे संतान थे इनके माता पिता के चार बेटे और दो बेटिया थी।
कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा गठिया और दिल की समस्याओं से पीड़ित थे। 1991 में करियप्पा का स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण इन्हें कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन कुछ समय बाद 15 मई 1993 (उम्र 95 वर्ष) को बैंगलोर , कर्नाटक , भारतको बेंगलुरू कमांड अस्पताल में उनकी नींद में मृत्यु हो गई।
करिअप्पा को उनके क़रीबी लोग "चिम्मा" कहकर पुकारते थे। इन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा "सेंट्रल हाई स्कूल, मडिकेरी" से प्राप्त की थी। आगे की शिक्षा मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से पूरी की। अपने छात्र जीवन में करिअप्पा एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में भी जाने जाते थे। वे हॉकी और टेनिस के माने हुए खिलाड़ी थे। संगीत सुनना भी इन्हें पसन्द था। शिक्षा पूरी करने के बाद ही प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918 ई.) में उनका चयन सेना में हो गया।
करियप्पा को ‘कीपर’ के नाम से पुकारा जाता था। वह फील्ड मार्शल के पद पर पहुंचने वाले इकलौते भारतीय है। के. एम. करिअप्पा भारतीय सेना के पहले अधिकारी हैं जिन्हें फील्ड मार्शल की पदवी दी गई। फील्ड मार्शल सैम मानेकशा दूसरे ऐसे अधिकारी थे, जिन्हें फील्ड मार्शल का रैंक दिया गया था। के. एम. करिअप्पा को 15 जनवरी 1949 में सेना प्रमुख नियुक्त किया गया। साल 1953 में के. एम. करिअप्पा को ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड में भारत के उच्चायुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन द्वारा उन्हें ‘Order of the Chief Commander of the Legion of Merit’ उपाधि से सम्मानित किया। भारत सरकार ने साल 1986 में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें ‘Field Marshal’ का पद प्रदान किया।
अपनी अभूतपूर्व योग्यता और नेतृत्व के गुणों के कारण करिअप्पा बराबर प्रगति करते गए और अनेक उपलब्धियों को प्राप्त किया। सेना में कमीशन पाने वाले प्रथम भारतीयों में वे भी शामिल थे। अनेक मोर्चों पर उन्होंने भारतीय सेना का पूरी तरह से सफल नेतृत्व किया था। स्वतंत्रता से पहले ही ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सेना में "डिप्टी चीफ़ ऑफ़ जनरल स्टाफ़" के पद पर नियुक्त कर दिया था। किसी भी भारतीय व्यक्ति के लिए यह एक बहुत बड़ा सम्मान था। भारत के स्वतंत्र होने पर 1949 में करिअप्पा को "कमाण्डर इन चीफ़" बनाया गया था। इस पद पर वे 1953 तक रहे थे।

कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा प्रश्नोत्तर (FAQs):

कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा का जन्म 28 जनवरी 1899 को कोडागु (कुर्ग), कर्नाटक में हुआ था।

कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा को 1949 में स्वतंत्र भारत के प्रथम सेनाध्यक्ष (फ़ील्ड मार्शल) के रूप में जाना जाता है।

कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा की मृत्यु 15 मई 1993 को हुई थी।

कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा को कीपर के उपनाम से जाना जाता है।

  Last update :  Tue 28 Jun 2022
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