भारतीय चुनाव आयोग का इतिहास, कार्य एवं मुख्य शक्तियॉ:

भारत चुनाव/निर्वाचन आयोग: भारतीय चुनाव/निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्था है। इसका गठन भारत में स्तवंत्र एवं निष्पक्ष रूप से प्रतिनिधिक संस्थानों में जन प्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया था। 'भारतीय चुनाव आयोग' की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी। आयोग में वर्तमान में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं। भारत जैसे बड़े और भारी जनसंख्‍या वाले देश में चुनाव कराना एक बहुत बड़ा काम है। संसद के दोनों सदनों-लोकसभा और राज्य सभा के लिए चुनाव बेरोक-टोक और निष्‍पक्ष हों, इसके लिए एक स्‍वतंत्र चुनाव (निर्वाचन) आयोग बनाया गया है।

चुनाव आयोग के बारे में संक्षिप्त जानकारी

स्थापना: 25 जनवरी 1950
अधिकार-क्षेत्र: भारत सरकार
मुख्यालय: नई दिल्ली
पहले मुख्य चुनाव आयुक्त: सुकुमार सेन (21 मार्च 1950 - 19 दिसम्बर 1958)
वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त: सुनील अरोड़ा (2 दिसंबर 2018 - अक्तूबर 2021)

भारत निर्वाचन आयोग का इतिहास: आयोग में वर्तमान में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं। जब यह पहले पहल 1950 में गठित हुआ तब से और 15 अक्टूबर, 1989 तक केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित यह एक एकल-सदस्यीय निकाय था। 16 अक्टूबर, 1989 से 1 जनवरी, 1990 तक यह आर. वी. एस. शास्त्री (मु.नि.आ.) और निर्वाचन आयुक्त के रूप में एस.एस. धनोवा और वी.एस. सहगल सहित तीन-सदस्यीय निकाय बन गया। 2 जनवरी, 1990 से 30 सितम्बर, 1993 तक यह एक एकल-सदस्यीय निकाय बन गया और फिर 1 अक्टूबर, 1993 से यह तीन-सदस्यीय निकाय बन गया।

मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एवं कार्यावधि: चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। पहले यह अवधि 65 साल तक होती थी। प्रोटोकाल में चुनाव आयुक्त/निर्वाचन आयुक्त का सम्मान और वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के सामान होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के द्वारा ही हटाया जा सकता हैं। भारत निर्वाचन आयोग के पास विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति आदि चुनाव से सम्बंधित सत्ता होती है जबकि ग्रामपंचायत, नगरपालिका, महानगर परिषद् और तहसील एवं जिला परिषद् के चुनाव की सत्ता सम्बंधित राज्य निर्वाचन आयोग के पास होती है।

निर्वाचन आयोग का कार्य तथा कार्यप्रणाली:

  • निर्वाचन आयोग के पास यह उत्तरदायित्व है कि वह निर्वाचनॉ का पर्यवेक्षण, निर्देशन तथा आयोजन करवाये वह राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति, संसद, राज्य विधानसभा के चुनाव करता है।
  • निर्वाचक नामावली तैयार करवाता है।
  • राजनैतिक दलॉ का पंजीकरण करता है।
  • राजनैतिक दलॉ का राष्ट्रीय, राज्य स्तर के दलॉ के रूप मे वर्गीकरण, मान्यता देना, दलॉ-निर्दलीयॉ को चुनाव चिन्ह देना।
  • सांसद/विधायक की अयोग्यता (दल बदल को छोडकर) पर राष्ट्रपति/राज्यपाल को सलाह देना।
  • गलत निर्वाचन उपायों का उपयोग करने वाले व्यक्तियॉ को निर्वाचन के लिये अयोग्य घोषित करना।

निर्वाचन आयोग की मुख्य शक्तियाँ क्या होती है?

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयानुसार अनुच्छेद 324 मे निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ कार्यपालिका द्वारा नियंत्रित नहीं हो सकती उसकी शक्तियां केवल उन निर्वाचन संबंधी संवैधानिक उपायों तथा संसद निर्मित निर्वाचन विधि से नियंत्रित होती है निर्वाचन का पर्यवेक्षण, निर्देशन, नियंत्रण तथा आयोजन करवाने की शक्ति मे देश मे मुक्त तथा निष्पक्ष चुनाव आयोजित करवाना भी निहित है जहां कही संसद विधि निर्वाचन के संबंध मे मौन है वहां निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिये निर्वाचन आयोग असीमित शक्ति रखता है यधपि प्राकृतिक न्याय, विधि का शासन तथा उसके द्वारा शक्ति का सदुपयोग होना चाहिए, निर्वाचन आयोग की मुख्य शक्तियाँ निम्नलिखित है:

  • निर्वाचन आयोग विधायिका निर्मित विधि का उल्लघँन नहीं कर सकता है और न ही ये स्वेच्छापूर्ण कार्य कर सकता है उसके निर्णय न्यायिक पुनरीक्षण के पात्र होते है।
  • निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ निर्वाचन विधियों की पूरक है न कि उन पर प्रभावी तथा वैध प्रक्रिया से बनी विधि के विरूद्ध प्रयोग नही की जा सकती है।
  • यह आयोग चुनाव का कार्यक्रम निर्धारित कर सकता है चुनाव चिन्ह आवंटित करने तथा निष्पक्ष चुनाव करवाने के निर्देश देने की शक्ति रखता है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी शक्तियों की व्याख्या करते हुए कहा कि वह एकमात्र अधिकरण है जो चुनाव कार्यक्रम निर्धारित करे चुनाव करवाना केवल उसी का कार्य है।
  • जनप्रतिनिधित्व एक्ट 1951 के अनु 14,15 भी राष्ट्रपति, राज्यपाल को निर्वाचन अधिसूचना जारी करने का अधिकार निर्वाचन आयोग की सलाह के अनुरूप ही जारी करने का अधिकार देते है।

भारत मे निर्वाचन आयोग द्वारा किये गये सुधार: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम संशोधन 1988 के तहत भारतीय निर्वाचन आयोग ने निम्नलिखित संशोधन किये हैं:-

  • इलैक्ट्रानिक मतदान मशीन का प्रयोग किया जा सकेगा. वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव मे इनका सर्वत्र प्रयोग हुआ
  • राजनैतिक दलों का निर्वाचन आयोग के पास अनिवार्य पंजीकरण करवाना होगा यदि वह चुनाव लडना चाहे तो कोई दल तभी पंजीकृत होगा जब वह संविधान के मौलिक सिद्धांतों के पालन करे तथा उनका समावेश अपने दलीय संविधान मे करे
  • मतदान केन्द्र पर कब्जा, जाली मत

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भारतीय चुनाव आयोग प्रश्नोत्तर (FAQs):

वर्ष 2014 में भारत निर्वाचन आयोग ने अभिनेता आमिर खान को लोकसभा चुनाव के लिए ब्रांड एंबेसडर (राष्ट्रीय आइकन) नियुक्त किया था।

सुकुमार सेन भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त थे जो 21 मार्च 1950 से 19 दिसंबर 1958 तक इस पद पर रहे। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें 1954 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। यह पश्चिम बंगाल राज्य से हैं।

मतदाता शिक्षा पर पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 19 अक्टूबर 2016 को नई दिल्ली में चुनाव आयोग द्वारा आयोजित किया गया था। सम्मेलन का विषय समावेशी, सूचित और नैतिक भागीदारी के लिए मतदाता शिक्षा है। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रबंधन निकायों द्वारा सर्वोत्तम प्रथाओं, नीतियों और मतदाता शिक्षा पहलों को साझा करना था।

11 अप्रैल 2019 को, भारत के चुनाव आयोग ने नरेंद्र मोदी के जीवन पर आधारित बायोपिक फिल्म की रिलीज पर प्रतिबंध लगा दिया, जो 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार थे।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी वह पार्टी थी जिसे पहली बार 2003 में भारत के चुनाव आयोग द्वारा एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में अमान्य घोषित किया गया था। हालाँकि, बाद में इसे 2006 में एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में पुनः मान्यता दी गई थी।

  Last update :  Mon 7 Nov 2022
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