मशहूर भारतीय हस्तियाँ जिनके जीवनकाल में ही उनके नाम पर स्टैम्प जारी हुए:

संसार में बहुत से ऐसे मशहूर व्यक्ति हुए हैं, जिन्होनें अपने कार्यों के द्वारा जीवनकाल में ही वह ख्याति प्राप्त कर ली थी, जो मरने के बाद भी कई लोगों को नसीब नहीं होती है। ऐसी एक उपलब्धि होती है किसी जीवित व्यक्ति के नाम पर डाक टिकट (स्टैम्प) जारी होना। भारत में भी ऐसे कई प्रसिद्ध व्यक्तियों ने जन्म लिया, जिनके नाम पर उनके जीवनकाल के दौरान ही स्टैम्प जारी किए गए थे। आज आप इस पोस्ट के माध्यम से उन प्रसिद्ध भारतीय व्यक्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त करोगे, जिनके नाम पर उनके जीवनकाल में ही डाक टिकट जारी किए गए हैं।

1. सचिन तेंदुलकर: पूर्व भारतीय खिलाड़ी सचिन रमेश तेंदुलकर का नाम क्रिकेट इतिहास में दुनिया के सबसे महान बल्लेबाज़ों में शुमार हैं।

योगदान: उन्होंने साल 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ क्रिकेट में पदार्पण किया, जिसके के बाद उन्होने बल्लेबाजी में अपने कई ऐसे रिकॉर्ड कायम किए है, जिन्हें तोड़ पाना किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान नहीं होगा। सचिन तेंदुलकर के नाम वनडे और टेस्ट क्रिकेट दोनों में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड है। उनके नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 30,000 से अधिक रन है। एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में दोहरा शतक बनाने वाले वह दुनिया के पहले खिलाड़ी थे। वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में 100 शतक बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी है। सचिन के नाम अंतरराष्ट्रीय मैचों में सबसे ज्यादा 'मैन ऑफ द मैच' खिताब जीतने का भी रिकॉर्ड है।

सम्मान: सचिन तेंदुलकर भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह सर्वप्रथम खिलाड़ी और सबसे युवा व्यक्ति भी हैं। इसके अलावा उन्हें 1994 में अर्जुन पुरस्कार, 1997 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, 1999 में पद्मश्री, 2008 में पद्म विभूषण पुरस्कार से भी पुरस्कृत किये जा चुके है। सचिन तेंदुलकर ऐसे आठवें भारतीय हैं जिनके जीवनकाल में ही उन पर डाक टिकट जारी किया गया है।

2. मदर टेरेसा: वह एक रोमन कैथोलिक नन थी। भारतीय उपमहाद्वीप में ऐसा ही कोई होगा, जो असाधारण व्यक्तित्व की धनी मदर टेरेसा के नाम से वाकिफ न हो।

योगदान: उन्होंने 20वीं सदी में विश्वभर के गरीबों और बीमारी से पीड़ित रोगियों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। उन्होंने लगभग 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की मदद की थी और साथ ही मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया।

सम्मान: उन्हें वर्ष 1962 में पद्मश्री, 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और साल 1980 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार "भारत रत्न" से नवाजा गया था। उनके नाम पर भारत सरकार 28 अगस्त, 2010 को द्वारा 5 रूपए का विशेष सिक्का जारी किया था। वह ऐसी सातवीं भारतीय हैं, जिनके जीवनकाल में ही उन पर डाक टिकट जारी किया गया था।

3. राजीव गांधी: राजीव गांधी भारतीय राजनेता थे, वह 1984 से 1989 तक भारत के छठे प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत रहे थे।

योगदान: वह 1984 में अपनी मां प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मात्र 40 वर्ष की आयु में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने भारतीय संचार प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया था, जिसके कारण वर्तमान समय में भारत संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

सम्मान: राजीव गांधी को साल 1991 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और भारत 2009 में आयोजित नेतृत्व सम्मेलन में आधुनिक भारत के क्रांतिकारी नेता का पुरस्कार भी मिला था। वह ऐसे छठे भारतीय व्यक्ति हैं जिनके जीवनकाल में ही उनके पर स्टैम्प जारी किया गया था।

4. वी. वी. गिरि: वी.वी. गिरि या वराहगिरी वेंकट गिरी एक प्रसिद्ध सामाज सुधारक और देश के चौथे राष्ट्रपति थे।

योगदान: वी.वी. गिरि स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुने जाने वाले एकमात्र राष्ट्रपति हैं। वह भारत के व्यापार संघ आंदोलन में अग्रणी थे और उनके अथक प्रयासों के कारण ही श्रम बल मांग और उनके अधिकारों का अधिग्रहण हो सका।

सम्मान: साल 1975 में उन्हें देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार मिला था और वह ऐसे 5वे भारतीय हैं जिनके जीवनकाल में ही उन पर डाक टिकट जारी किया गया था। इनके सम्मान में 1995 में राष्ट्रीय श्रम संस्थान का नाम बदलकर वी. वी. गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान रखा गया था।

5. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन: डॉ. एस. राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे।

योगदान: वह भारत के पहले उपराष्ट्रपति (1952-1962) और भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। उनका जन्मदिन (5 सितम्बर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

सम्मान: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 1932 में नाइटहुड की उपाधि, वर्ष 1954 में भारत रत्न और साल 1963 में ब्रिटिश रॉयल ऑर्डर ऑफ मेरिट की मानद सदस्यता से नवाजा गया था। वह ऐसे चौथे भारतीय हैं जिनके जीवनकाल में ही उन पर डाक टिकट जारी किया गया था।

6. डॉ. राजेंद्र प्रसाद: वह एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई थी।

योगदान: डॉ. राजेंद्र प्रसाद आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे और भारत गणराज्य को सही आकार देने वाले राजनीतिक वास्तुकारो में से एक थे। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने कुछ समय के लिए स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी काम किया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था।

सम्मान: उन्हें वर्ष 1962 में देश के सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार 'भारत रत्न' से नवाजा गया था और ऐसे तीसरे भारतीय हैं जिनके जीवनकाल में ही उनके पर डाक टिकट जारी किया गया था।

7. डॉ. एम. विश्वेश्वरैया: सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या भारत के महान अभियन्ता एवं राजनयिक थे। भारत में उनका जन्मदिन 15 सितंबर अभियन्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

योगदान: डॉ. एम. विश्वेश्वरैया एक विश्व प्रसिद्ध भारतीय इंजीनियर (अभियन्ता) के रूप में जाने जाते हैं और मंड्या जिले में कृष्णा राज सागर बांध के निर्माण के साथ-साथ हैदराबाद शहर के लिए बाढ़ संरक्षण प्रणाली के प्रमुख डिजाइनरों में से एक थे।

सम्मान: उन्हें साल 1955 में भारत रत्न तथा 1915 में ब्रिटेन ने नाइटहुड की उपाधि पुरस्कार से नवाजा था। इनके सम्मान में औद्योगिक और तकनीकी संग्रहालय, बैंगलोर का नाम बदलकर विश्वेश्वराय औद्योगिक और तकनीकी संग्रहालय रख दिया गया था । वह ऐसे दूसरे भारतीय हैं जिनके जीवनकाल में ही उन पर डाक टिकट जारी किया गया था।

8. धोंडो केशव कर्वे: आधुनिक भारत के सबसे बड़े समाज सुधारक और उद्धारको में से माने जाते थे।

योगदान: प्रसिद्ध सामाजिक सुधारक धोंडो केशव कर्वे ने महिला शिक्षा और विधवा विवाह में महत्त्वपूर्ण योगदान किया था। उन्होने महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले के अग्रणी काम को जारी रखते हुए अपना जीवन महिला उत्थान को समर्पित कर दिया था।

सम्मान: उन्हें सन 1958 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह पहले भारतीय हैं जिनके जीवनकाल में ही उन पर डाक टिकट जारी किया गया था। कर्वे के सम्मान में, मुंबई के क्वीन रोड का नाम बदलकर महर्षि कर्वे रोड कर दिया गया था।

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      Last update :  Mon 7 Nov 2022
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