प्राचीन भारत का इतिहास - प्रमुख विदेशी यात्री, लेखक और उनका परिचय:

आपको यहाँ भारतीय इतिहास में भारत आने वाले कुछ प्रमुख लेखक और यात्री से सम्बंधित सामान्य ज्ञान जानकारी दी गयी है। यदि हम भारत के प्राचीन इतिहास की बात करे तो हमे उनकी जानकारी मुख्यतः चार स्रोतों से प्राप्त होती है ये धर्म ग्रन्थ ऐतिहासिक ग्रन्थ, पुरातत्व सम्बधी साक्ष्य और विदेशी यात्रियों के विवरण है।

यहाँ हम उन्ही विदेशी यात्रियों के बारे में बात करेंगे जिसें हमे प्राचीन भारत के इतिहास की महत्वपुर्ण और अमूल्य जानकारी उपलब्ध कराई। भले ही भारत पर यूनानियों का हमला रहा हो या मुसलमानों का या फिर अन्य जातियों का, अनेकों विदेशी यात्रियों ने यहाँ की धरती पर अपना पाँव रखा है। इनमें से अधिकांश यात्री आक्रमणकारी सेना के साथ भारत में आये। इन विदेशी यात्रियों के विवरण से भारतीय इतिहास की अमूल्य जानकारी हमें प्राप्त होती है।

भारत आने वाले प्रमुख विदेशी यात्रियों की सूची:

  • ईरानी यात्री अब्दुल रज्जाक: यह ईरानी यात्री विजयनगर के शासक देवराय द्वितीय के शासन काल में भारत आया था।
  • अलबरूनी: यह भारत महमूद गजनवी के साथ आया था। अलबरूनी ने 'तहकीक-ए-हिन्द या 'किताबुल हिन्द' नामक पुस्तक की रचना की थी। इस पुस्तक में हिन्दुओं के इतिहास, समाज, रीति रिवाज, तथा राजनीति का वर्णन है।
  • अरबी यात्री अलमसूदी: यह अरबी यात्री प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के शासन काल में भारत आया था। इसके द्वारा 'महजुल जबाह' नामक ग्रंथ लिखा गया था।
  • चीनी यात्री इत्सिंग: इस चीनी यात्री ने 7 वी शताब्दी में भारत की यात्रा की थी। इसने नालंदा विश्वविद्यालय तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय का वर्णन किया है।
  • हेरोडोटस: हेरोडोटस को 'इतिहास का पितामह' भी कहा जाता है। इसने अपनी प्रथम हिस्टोरिका में 5वीं शताब्दी इस पूर्व के भारत-फारस के संबधो का वर्णन किया है।
  • इब्नबतूता: यह अफ्रीकी यात्री मुहम्मद तुगलक के समय भारत आया था।मुहम्मद तुगलक द्वारा इसे प्रधान काजी नियुक्त किया गया था तथा राजदूत बनाकर चीनी भेजा गया था। इब्नबतूता द्वारा 'रहेला ' की रचना की गई है जिससे फिरोज तुगलक के शासन की जानकारी मिलती है।
  • कैप्टन हॅाकिग्स: यह 1608 ई. से 1613 ई. तक भारत में रहा। यह जहांगीर के समय भारत आया था तथा ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए सुविधा प्राप्त करने का प्रयास किया। यह फारसी भाषा का जानकार था। इसके द्वारा जहांगीर के दरबार की साज सज्जा तथा जहांगीर के जीवन की जानकारी प्राप्त होती है।
  • जीन बैप्टिस्ट तेवर्नियर: यह शाहजहां के शासन काल में भारत आया था। इसके द्वारा ही भारत के प्रसिद्ध हीरा 'कोहिनूर' की जानकारी दी गई हैं।
  • डाइनोसियस: मिस्र नरेश टॉलमी फिलाडेल्फस का राजदूत डाइनोसियस सम्राट अशोक महान के शासन काल में इंडिया आया था।
  • टॅालमी: 'भारत का भूगोल' नामक पुस्तक के लेखक टॅालमी ने दूसरी शताब्दी में भारत की यात्रा की थी।
  • डाइमेकस: यह बिन्दुसार के राजदरबार में आया था। डाइमेकस सीरीयन नरेश आन्तियोकस का राजदूत था। इसके द्वारा किये गए विवरण मौर्य साम्राज्य से संबंधित है।
  • डायोनिसियस: यह यूनानी राजदूत था जो सम्राट अशोक के दरबार में आया था। इसे मिस्र के नरेश टॅालमी फिलेडेल्फस द्वारा दूत बनाकर भेजा गया था।
  • विलियम हाकिन्स: विलियम हाकिन्स 1608 ईसवी में मुग़ल सम्राट जहाँगीर के शासन काल में भारत आया था। उसके यात्रा व्रतांत से जहांगीर की दरबारी व्यवस्था, दरबार में मनाये जाने वाले नौरोज का उत्सव, सम्राट के तुलादान, जहांगीर के व्यक्तिगत जीवन की जानकारी मिलती है।
  • वेनिस यात्री निकोला मैनुकी: यह वेनिस का यात्री था जो औरंगजेब के दरबार में आया था। इसके द्वारा 'स्टोरियो डी मोगोर' नामक ग्रंथ लिखा गया जिसमें मुगल साम्राज्य का वर्णन है।
  • यूरोपीय यात्री पीटर मण्डी: यह यूरोप का यात्री था जो जहांगीर के शासन काल में भारत आया था।
  • प्लिनी: यह भारत में पहली शताब्दी में आया था। प्लिनी द्वारा 'नेचुरल हिस्ट्री' नामक पुस्तक लिखी गयी है। इस पुस्तक में भारतीय पशुओं, पेड़ों, खनिजों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है
  • चीनी यात्री फाहियान: यह एक चीनी यात्री था जो गुप्त साम्राज्य में चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में 405 ई. में भारत आया था तथा 411 ई. तक भारत में रहा। इसका मूल उद्देश्य भारतीय बौद्ध ग्रंथों की जानकारी प्राप्त करना था। इसने अपने विवरण में मध्यप्रदेश की जनता को सुखी और समृद्ध बताया है।
  • पीटर मांडी: पीटर मांडी 1628 में शाहजहां के शासनकाल में भारत आया था। वह भारत में लगभग 8 वर्ष तक रुका। उसके यात्रा व्रतांत से शाहजहाँ के राजनितिक घटनाओ, मुग़ल दरबार की व्यवस्था, मुग़ल सम्राटों के व्यक्तिगत जीवन आदि के बारे में जानकारी मिलती है। उसने भारतियों के सामाजिक एंव धार्मिक रीति-रिवाजो का भी उलेख किया है।
  • फ्रांसीसी यात्री ट्रेवरनियर: फ्रांसीसी यात्री जान बेपटिस्ट ट्रेवरनियर 1604 ईसवी में भारत आया था। उसके यात्रा व्रतांत से भारत की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे जानकरी मिलती है।
  • मनूची: मनूची इटली निवासी था। वह 1653 ईसवी में भारत आया था। वह लंबे समय तक भारत में रहा। उसका यात्रा - व्रतांत 'स्टोरिया-डी-मोगोर के नाम से प्रशिद्ध है। जिसका अनुवाद विलियम ने किया है।
  • फांसीसी डाँक्टर बर्नियर: यह एक फांसीसी डाँक्टर था जो 1556 ई. में भारत आया था। इसने शाहजहां तथा औरंगजेब के शासन काल का विवरण किया है। इसकी यात्रा का वर्णन 'ट्रेवल्स इन द मुगल एम्पायर' में है जो 1670 ई. में प्रकाशित हुआ था।
  • बाराबोसा: यह 1560 ई. में भारत आया था जब विजयनगर का शासक कृष्णदेवराय था।
  • फ्रासीसी सैनिक बेलैंगडर डी लस्पिने: यह एक फ्रासीसी सैनिक था जो 1672 ई. में समुद्री बेड़े के साथ भारत पहुँचा था। इसके द्वारा पाण्डिचेरी नगर की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान रहा था।
  • वेनिस यात्री मार्कोपोलो: यह 13 वी शताब्दी के अन्त में भारत आया था। यह वेनिस का यात्री था जो पांडय राजा के दरबार में आया था।
  • यूनानी शासक मेगास्थनीज: यह एक यूनानी शासक सैल्युकस निकेटर का राजदूत था जो 302 ई.पू. चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। यह 6 वर्षों तक चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा और 'इंडिका' नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक से मौर्य युग की संस्कृति,समाज एवं भारतीय इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है ।
  • चीनी यात्री संयुगन: यह चीनी यात्री था जो 518 ई. में भारत आया था। इसने अपनी यात्रा में बौद्ध धर्म से संबंधित प्रतियाँ एकत्रित किया।
  • तारानाथ: यह एक तिब्बती लेखक था। इसने 'कंग्युर' और 'तंग्युर' नामक ग्रन्थ की रचना की। इनसे भारतीय इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।
  • सर टामस रो: यह 1616 ई. में जहांगीर के दरबार में आया था। इसके द्वारा जहांगीर से ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए व्यापारिक सुविधा प्राप्त करने का प्रयास किया गया था।
  • हमिल्टन: यह एक शल्य चिकित्सक था जो फारुखसियार के शासन काल में ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतिनिधि मंडल का सदस्य बनकर भारत आया था।
  • चीनी यात्री हेुंएनसाँग: यह भी एक चीनी यात्री था जो हर्षवर्धन के शासन काल में भारत आया था। यह 630 ई. से 643 ई. तक भारत में रहा तथा 6 वर्षों तक नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की। हुएनसाँग के भ्रमण वृत्तांत को सि-रू-की नाम से भी जाना जाता है। इसके विवरण में हर्षवर्धन के काल के समाज,धर्म एवं राजनीति का उल्लेख है।

16वीं-17वीं शताब्दी में भारत आने वाले प्रमुख विदेशी यात्रियों की सूची:

यात्री का नाम भारत आगमन का वर्ष
फ़ादर एंथोनी मोंसेरात 1578 ई.
रॉल्फ़ फ़्रिंच 1588 - 1599 ई.
विलियम हॉकिंस 1608 - 1613 ई.
विलियम फ़िंच 1608 ई.
निकोलस डाउटंन 1614 ई.
थॉमस रो 1616 ई.
पियेत्रा देला वाले 1622 ई.
फ़्राँसिस वर्नियर 1658 ई.

अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?

प्रसिद्ध विदेशी यात्री से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗

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विदेशी यात्री प्रश्नोत्तर (FAQs):

भारत की यात्रा करने वाले पहले विदेशी मेगस्थनीज थे, जो सेल्यूकस निकेटर के राजदूत थे और बाद में उन्होंने अपनी यात्राओं के बारे में इंडिका पुस्तक लिखी।

भारत की खोज पुर्तगाली नाविक, खोजकर्ता वास्को डी गामा ने 20 मई 1498 ई. को की थी। वह अपने साथ चार नाविकों के साथ समुद्री मार्ग से वर्तमान भारतीय राज्य केरल के कालीकट बंदरगाह पर पहुँचे।

इब्न बतूता मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल के दौरान भारत आया था। वह एक मुस्लिम यात्री था जो मोरक्को से भारत आया था।

चीनी बौद्ध तीर्थयात्री फा-शिएन, इत्सिंग और जुआन त्सांग ने भारत का दौरा किया। वे सभी बुद्ध के जीवन से संबंधित स्थानों और प्रसिद्ध मठों को देखने आए थे, इसलिए वे सबसे पहले बुद्ध के जीवन से संबंधित स्थानों से परिचित हुए।

आनन्द मठ बांग्ला भाषा का एक उपन्यास है जिसकी रचना बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने सन् 1882 में की थी। इस कृति का भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और स्वतन्त्रता के क्रान्तिकारियों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।

  Last update :  Sat 1 Oct 2022
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