आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:- (Important Facts about Rocks in Hindi) चट्टान किसे कहते हैं? पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है, किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग होती हैं। यहां पर आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची दी गयी है। आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टानों के आधार पर हर परीक्षा में कुछ प्रश्न अवश्य पूछे जाते है, इसलिए यह आपकी सभी प्रकार की परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। चट्टानों के प्रकार: (1.) आग्नेय चट्टाने: आग्नेय चट्टानों की रचना धरातल के नीचे स्थित तप्त एवं तरल चट्टानी पदार्थ, अर्थात् मैग्मा, के सतह के ऊपर आकार लावा प्रवाह के रूप में निकल कर अथवा ऊपर उठने के क्रम में बाहर निकल पाने से पहले ही, सतह के नीचे ही ठंढे होकर इन पिघले पदार्थों के ठोस रूप में जम जाने से होती है। अतः आग्नेय चट्टानें पिघले हुए चट्टानी पदार्थ के ठंढे होकर जम जाने से बनती हैं। ये रवेदार भी हो सकती है। ये चट्टानें पृथ्वी पर पायी जाने वाली अन्य दो प्रमुख चट्टानों, अवसादी और रूपांतरित के साथ मिलकर पृथ्वी पर पायी जाने वाली चट्टानों के तीन प्रमुख प्रकार बनाती हैं।

  • आग्नेय शब्द लैटिन भाषा के 'इग्निस' से लिया गया है, जिसका सामान्य अर्थ अग्नि होता है।
  • आग्नेय चट्टान स्थूल परतरहित, कठोर संघनन एवं जीवाश्मरहित होती हैं।
  • ये चट्टानें आर्थिक रूप से बहुत ही सम्पन्न मानी गई हैं।
  • इन चट्टानों में चुम्बकीय लोहा, निकिल, ताँबा, सीसा, जस्ता, क्रोमाइट, मैंगनीज, सोना तथा प्लेटिनम आदि पाए जाते हैं।
  • पृथ्वी के धरातल की उत्पत्ति में सर्वप्रथम इनका निर्माण होने के कारण इन्हें 'प्राथमिक शैल' भी कहा जाता है।
  • ज्वालामुखी उदगार के समय भूगर्भ से निकालने वाला लावा जब धरातल पर जमकर ठंडा हो जाने के पश्चात आग्नेय चट्टानों में परिवर्तित हो जाता है तो इसे बहिर्भेदी या ज्वालामुखीय चट्टान कहा जाता है।
  • जब ऊपर उठता हुआ मैग्मा धरातल की सतह पर आकर बाहर निकलने से पहले ही ज़मीन के अन्दर ही ठंडा होकर जम जाता है तो इस प्रकार अंतर्भेदी चट्टान कहते हैं।
  • पृथ्वी की पपड़ी के ऊपरी 16 किलोमीटर (10 मील) मे लगभग 90% से 95% तक आग्नेय चट्टानें और कायांतरित चट्टानें पायी जाती हैं।
  • आग्नेय चट्टान घटना, बनावट, खनिज, रासायनिक संरचना और आग्नेय शरीर की ज्यामिति की विधा के अनुसार वर्गीकृत की जाती है।
  • आग्नेय चट्टानों में ही बहुमूल्य खनिज अयस्क पाए जाते हैं।
  • झारखण्ड, भारत में पाया जाने वाला अभ्रक इन्हीं शैलों में मिलता है।
  • आग्नेय चट्टान कठोर चट्टानें हैं, जो रवेदार तथा दानेदार भी होती है।
  • इन चट्टानों पर रासायनिक अपक्षय का बहुत कम प्रभाव पड़ता है।
  • इनमें किसी भी प्रकार के जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं।
  • आग्नेय चट्टानों का अधिकांश विस्तार ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • आग्नेय चट्टानों में लोहा, निकिल, सोना, शीशा, प्लेटिनम भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
  • बेसाल्ट चट्टान में लोहे की मात्रा अधिक होती है।
  • काली मिटटी बेसाल्ट चट्टान के टूटने से बनती है।
  • बिटुमिनस कोयला आग्नेय चट्टान है।
  • कोयला, ग्रेफाइट और हीरे को कार्बन का अपररूप कहा जाता है।
  • ग्रेफाइट को पेंसिल लैड भी कहा जाता है।

ताप, दवाब, और रासायनिक क्रियाओं के कारण ये चट्टाने आगे चलकर कायांतरित होती है। आग्नेय चट्टानों के कुछ उदाहरण:- ग्रेनाइट, बेसाल्ट, गैब्रो, ऑब्सीडियन, डायोराईट, डोलोराईट, एन्डेसाईट, पेरिड़ोटाईट, फेलसाईट, पिचस्टोन, प्युमाइस इत्यादि आग्नेय चट्टानों के प्रमुख उदाहरण है। आग्नेय चट्टानों के प्रकार: आग्नेय चट्टानें तीन तरह की होती है

  1. प्लूटोनिक चट्टान
  2. ह्यूपैबिसल चट्टान
  3. वाल्कैनिक चट्टान

(2). अवसादी चट्टाने: अवसादी चट्टान से तात्पर्य है कि, प्रकृति के कारकों द्वारा निर्मित छोटी-छोटी चट्टानें किसी स्थान पर जमा हो जाती हैं, और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारकों के द्वारा परत जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती हैं। इन्हें ही 'अवसादी चट्टान' कहते हैं। अवसादी शैलों का निर्माण जल, वायु या हिमानी, किसी भी कारक द्वारा हो सकता है। इसी आधार पर अवसादी शैलें 'जलज', 'वायूढ़' तथा 'हिमनदीय' प्रकार की होती हैं। बलुआ पत्थर, चुना पत्थर, स्लेट, संगमरमर, लिग्नाइट, एन्थ्रासाइट ये अवसादी चट्टाने है। अन्य भाषा में वायु, जल और हिम के चिरंतन आघातों से पूर्वस्थित शैलों का निरंतर अपक्षय एवं विदारण होता रहता है। इस प्रकार के अपक्षरण से उपलब्ध पदार्थ कंकड़, पत्थर, रेत, मिट्टी इत्यादि, जलधाराओं, वायु या हिमनदों द्वारा परिवाहित होकर प्राय: निचले प्रदेशों, सागर, झील अथवा नदी की घाटियों में एकत्र हो जाते हैं। कालांतर में संघनित होकर वे स्तरीभूत हो जाते हैं। इन स्तरीभूत शैलों को अवसाद शैल (सेडिमेंटरी रॉक्स) कहते हैं।

  • अवसादी चट्टान परतदार होती है।
  • अवसादी चट्टानों में जीवाश्म पाया जाता है।
  • अवसादी चट्टानों में खनिज तेल पाया जाता है।
  • एन्थ्रासाइट कोयले में 90 % से ज्यादा कार्बन होता है।
  • लिग्नाइट को कोयले की सबसे उत्तम किस्म माना जाता है।
  • अवसादी चट्टानें अधिकांशत: परतदार रूप में पाई जाती हैं।
  • इनमें वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं के जीवाश्म बड़ी मात्रा में पाये जाते हैं।
  • इन चट्टानों में लौह अयस्क, फ़ॉस्फ़ेट, कोयला, पीट, बालुका पत्थर एवं सीमेन्ट बनाने की चट्टान पाई जाती हैं।
  • खनिज तेल अवसादी चट्टानों में पाया जाता है।
  • अप्रवेश्य चट्टानों की दो परतों के बीच यदि प्रवेश्य शैल की परत आ जाए, तो खनिज तेल के लिए अनुकूल स्थिति पैदा हो जाती है।
  • दामोदर, महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनों की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।
  • आगरा क़िला तथा दिल्ली का लाल क़िला बलुआ पत्थर नामक अवसादी चट्टानों से ही बना है। प्रमुख अवसादी शैलें हैं- बालुका पत्थर, चीका शेल, चूना पत्थर, खड़िया, नमक आदि।

अवसादी चट्टाने कायांतरित होकर क्वार्टजाइट बनती है। अवसाद चट्टानों के प्रकार: अवसाद शैलों का निर्माण तीन प्रकार से होता है।

  • व्यपघर्षण (डेट्राइटल) या एपिक्लास्टिक चट्टाने: इन चट्टानों का निर्माण विभिन्न खनिजों और शिलाखंडों के भौतिक कारणों से टूटकर इकट्ठा होने से होता है। विभिन्न प्राकृतिक आघातों से विदीर्ण रेत एवं मिट्टी नदियों या वायु के झोकों द्वारा परिवाहित होकर उपयुक्त स्थलों में एकत्र हो जाती है और पहली प्रकार की शिलाओं को जन्म देती है। ऐसी चट्टानों को व्यपघर्षण (डेट्राइटल) या एपिक्लास्टिक  चट्टान कहते हैं। बलुआ पत्थर या शैल इसी प्रकार की चट्टानें हैं।
  • रासायनिक चट्टानें: ये चट्टानें जल में घुले पदार्थों के रासायनिक निस्सादन (प्रसिपिटेशन) से निर्मित होती हैं। निस्सादन दो प्रकार का होता है, या तो जल में घुले पदार्थों की पारस्परिक प्रतिक्रियाओं से या जल के वाष्पीकरण से। ऐसी चट्टानों को रासायनिक चट्टान कहते हैं। विभिन्न कार्बोनेट, जैसे चूने का पत्थर, डोलोमाइट आदि फास्फेट एवं विविध लवण इसी वर्ग में आते हैं।
  • तीसरे प्रकार के चट्टानों के विकास में जीवों का हाथ है। मृत्यु के उपरांत प्रवाल (मूँगा), शैवाल (ऐल्जी), खोलधारी जलचर, युक्ताप्य (डाइऐटोम) आदि के कठोर अवशेष एकत्रित होकर चट्टानों का निर्माण करते हैं। मृत वनस्पतियों के संचयन से कोयला इसी प्रकार बना है। रासायनिक शिलाओं के निर्माण में जीवाणुओं का सहयोग उल्लेखनीय है। सूक्ष्म जीवाणुओं की उत्प्रेरणाओं से जल में घुले पदार्थों का निस्सादन तीव्र हो जाता है।

3. कायांतरित चट्टाने (शैल): आग्नेय एवं अवसादी शैलों में ताप और दाब के कारण परिर्वतन या रूपान्तरण हो जाने से कायांतरित शैल (metamorphic rock) का निमार्ण होता हैं। रूपांतरित चट्टानों (कायांतरित शैल) पृथ्वी की पपड़ी के एक बड़े हिस्सा से बनी होती है और बनावट, रासायनिक और खनिज संयोजन द्वारा इनको वर्गीकृत किया जाता है| अवसादी चट्टानों के कुछ उदाहरण

  • शैल - स्लेट
  • चुना पत्थर - संगमरमर
  • लिग्नाइट-एन्थ्रासाइट
  • स्लेट - फाइलाइट
  • फाइलाइट - सिस्ट

अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?

प्रमुख चट्टान व पत्थर से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗

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चट्टानों का वर्गिकरण प्रश्नोत्तर (FAQs):

गैब्रो एक अन्तर्वेधी आग्नेय चट्टान है जिसकी रासायनिक संरचना बेसाल्ट के बराबर होती है। यह एक आग्नेय चट्टान है जो पृथ्वी की सतह के ठीक नीचे मैग्मा के जमने से बनती है। यह एक आंतरिक चट्टान है.

अरकोज़ बलुआ पत्थर एक डेट्राइटल तलछटी चट्टान है, विशेष रूप से एक प्रकार का बलुआ पत्थर जिसमें कम से कम 25% फेल्डस्पार होता है। आर्कोसिक रेत वह रेत है जो फेल्डस्पार में समान रूप से समृद्ध है, और इस प्रकार आर्कोस का संभावित अग्रदूत है।

चट्टान के यथास्थान विघटन और/या अपघटन को सामान्यतः "अपक्षय" कहा जाता है। अपक्षय एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा विभिन्न भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं के माध्यम से चट्टानें और खनिज टूट जाते हैं, कमजोर हो जाते हैं या बदल जाते हैं।

पृथ्वी के अंदर पिघली हुई चट्टान को "मैग्मा" कहा जाता है। मैग्मा एक गहरा और गर्म चट्टानी तरल पदार्थ है जो मुख्य रूप से मैग्माटाइट और ग्रेनाइट सहित कई प्रकार की चट्टानों में पाया जाता है। जब मैग्मा थर्मोडायनामिक्स द्वारा चट्टानों के पिघलने या घुलने की प्रक्रिया से बनता है, तो इसे पिघला हुआ मैग्माटाइट कहा जाता है।

अपरदन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसके कारण मिट्टी की ऊपरी परत जल या वायु के तेज बहाव के साथ बहती चली जाती है और चट्टानों का विखंडन होता जाता है। मशरूम चट्टानों का निर्माण अपरदन की प्रक्रिया के कारण ही होता है।

  Last update :  Thu 18 Aug 2022
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