राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाली प्रथम भारतीय महिला: लक्ष्मी सहगल का जीवन परिचय
✅ Published on October 2nd, 2017 in प्रसिद्ध व्यक्ति, वरिष्ठ पदाधिकारी
लक्ष्मी सहगल का जीवन परिचय: (Biography of Laxmi Sahgal in Hindi)
लक्ष्मी सहगल भारत की स्वतंत्रता संग्राम की सेनानी हैं। वे आजाद हिन्द फौज की अधिकारी तथा आजाद हिन्द सरकार में महिला मामलों की मंत्री थीं। वे व्यवसाय से डॉक्टर थी जो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय प्रकाश में आयीं। लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 अक्टूबर, 1914 को मद्रास (अब चेन्नई) में हुआ था।
Quick Info about First Indian woman to contest the Presidential Election:
नाम | लक्ष्मी सहगल |
जन्म तिथि | 24 अक्टूबर 1914 |
जन्म स्थान | मालाबार जिला, मद्रास, (भारत) |
निधन तिथि | 23 जुलाई 2012 |
उपलब्धि | राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाली प्रथम भारतीय महिला |
उपलब्धि वर्ष | 2002 |
लक्ष्मी सहगल से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य: (Important Facts Related to Laxmi Sahgal)
- लक्ष्मी सहगल का पूरा नाम कैप्टन लक्ष्मी सहगल था तथा (विवाह से पहले) लक्ष्मी स्वामीनाथन था।
- उनके पिता का नाम डॉ. एस. स्वामीनाथन और माता का नाम एवी अमुक्कुट्टी (अम्मू) था।
- सन 1932 में लक्ष्मी ने विज्ञान में स्नातक परीक्षा पास की और 1938 में मद्रास मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस. की डिग्री हासिल की। उसके बाद उन्होंने डिप्लोमा इन गाइनिकोलॉजी भी किया और अगले वर्ष 1939 में वह महिला रोग विशेषज्ञ बनीं।
- वर्ष 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब अंग्रेज़ों ने सिंगापुर को जापानियों को समर्पित कर दिया तब उन्होंने घायल युद्धबन्दियों के लिये काफ़ी काम किया।
- दितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद ब्रिटिश सेनाओं ने आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिकों की भी धरपकड़ की। सिंगापुर में पकड़े गये आज़ाद हिन्द सैनिकों में डॉ. लक्ष्मी भी थीं। जुलाई 1946 को भारत लाये जाने के बाद उन्हें बरी कर दिया गया।
- वे 1943 में अस्थायी आज़ाद हिंद सरकार की कैबिनेट में पहली महिला सदस्य बनीं। वह ‘आज़ाद हिन्द फौज’ की अधिकारी तथा ‘आज़ाद हिन्द सरकार’ में महिला मामलों की मंत्री थीं।
- 1971 में वह मर्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी/ माकपा (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया/ सीपीआईएम) की सदस्यता ग्रहण की और राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया।
- लक्ष्मी सहगल ने 22 अक्टूबर, 1943 को झाँसी रेजिमेंट में ‘कैप्टन’ पद पर कार्यभार संभाला। अपने साहस और अद्भुत कार्य की बदौलत बाद में उन्हें ‘कर्नल’ का पद भी मिला, जो एशिया में किसी महिला को पहली बार मिला था।
- उन्हें वर्ष 1998 में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाले दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया।
- वर्ष 2002 में उन्होंने वाम दलों की ओर से डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के विरुद्ध राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ीं थीं। वह राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाली प्रथम भारतीय महिला थी।
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