जामिया मस्जिद संक्षिप्त जानकारी
स्थान | श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर (भारत) |
स्थापना (निर्माण) | 1394 ई॰ |
निर्माता | सुल्तान सिकंदर |
वास्तुकला | इंडो-सरैसेनिक वास्तुकला |
प्रकार | मस्जिद |
निर्माण सामग्री | देवदार, पत्थर, ईंटें |
जामिया मस्जिद का संक्षिप्त विवरण
भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के एक प्रसिद्ध पुराने शहर नौहट्टा के बीचों-बीच जम्मू-कश्मीर की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक जामिया (जामा) मस्जिद स्थित है। इसका मस्जिद का निर्माण शाह मिरी वंश के छठे सुल्तान सिकंदर ने 1394 ई॰ में करवाया था। इस मस्जिद को श्रीनगर के प्रमुख पर्यटक अकर्षणों में से एक माना जाता है।
जामिया मस्जिद का इतिहास
श्रीनगर की जामा मस्जिद का निर्माण 1394 ई॰ में श्रीनगर के सुल्तान सिकंदर ने करवाया था। परंतु मस्जिद का निर्माण कार्य 1402 ई॰ में मीर सैय्यद अली हमदानी, के पुत्र मीर मोहम्मद हमदानी के कहने पर पूरा हुआ था। इसके बाद 1479 ई॰ में आग लगने के कारण मस्जिद नष्ट हो गई।
इसके बाद 1503 ई॰ में मुगल सम्राट जहाँगीर के प्रभुत्व के दौरान मस्जिद में दौबरा आग लग गई और जिसकी वजह से मस्जिद को एक और घातक विनाश का सामना करना पड़ा।
कुछ समय बाद मस्जिद को दौबरा कश्मीर में स्थित एक वास्तुकार मलिक हैदरचौदरा द्वारा फिर से बनवाया गया। जो एक इतिहासकार भी था और जब 1674 ई॰ में मुगल सम्राट औरंगजेब का शासनकाल था तब मस्जिद को तीसरी बार एक दुर्भाग्यपूर्ण विनाश का सामना करना पड़ा। परंतु मस्जिद के ऐतिहासिक मूल्य को बनाए रखने के लिए इनकी मरम्मत होती रही। महारणा प्रताप सिंह द्वारा भी मस्जिद का पुनः निर्माण होता रहा उन्होने इसके लिए वित्तीय प्रोत्साहन भी दिया था।
जामिया मस्जिद के रोचक तथ्य
- जामा मस्जिद सुल्तान सिकंदर द्वारा 1394 ई॰ में निर्मित मुसलमानों के लिए पवित्र मस्जिद मानी जाती है।
- इस मस्जिद का निर्माण इंडो-सरैसेनिक वास्तुकला के अनुसार किया गया है।
- सिकंदर के बेटे ज़ैन-उल-अबिदीन द्वारा विस्तारित मस्जिद परिसर को 1479 ई॰, 1503 ई॰ और 1674 ई॰ में तीन बार आग से नष्ट करने की कोशिश की गई थी।
- मस्जिद में इंडो-सारासेनिक डिजाइन के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए महाराणा प्रतापसिंह को जामिया मस्जिद के पुनः निर्माण और यूने योगदान के लिए उन्हें याद किया जाता है।
- श्रीनगर में स्थित जामा मस्जिद की लंबाई 384 फीट और चौड़ाई 381 फीट है, जो इसकी संरचना को और भी ज्यादा आकर्षित बनाने का कार्य करती है और मस्जिद में चार चतुष्कोणीय बुर्ज भी है।
- जामिया मस्जिद हरे-भरे स्वगंधित बगीचों और गलियारों से घिरा हुआ है, जो मस्जिद की सुंदरता को दर्शाता है।
- मस्जिद की पूरी संरचना चारों तरफ से चौड़ी गलियों से घिरी हुई है, जिसके बीच में एक चौकोर बगीचा भी है।
- मस्जिद के दक्षिणी ओर के प्रवेश द्वार में एक चित्रित द्वार मंडप शामिल है जो आगे एक आंतरिक आँगन की ओर जाता है।
- मस्जिद का आंगन चार पारंपरिक बाग की योजना पर आधारित है और इसके केंद्र में एक टैंक है। पूरा आँगन धनुषाकार का है जिसे धनुषाकार ईंट से बनाया गया है।
- मस्जिद का आंतरिक क्षेत्र 146,000 वर्ग फुट है और मस्जिद की दीवारें 4 फीट (1.2 मीटर) मोटी हैं जो पक्की ईंटों से बनी हुई हैं। दीवारों के नीचे का भाग आयताकार की रचना के आकार का बना हुआ है।
- मस्जिद के उत्तर, दक्षिण और पूर्वी हिस्से में तीन बड़े प्रवेश द्वार हैं, जहां देवदार की लकड़ी के बुलंद स्तंभों पर तीन बुर्ज खड़े हैं।
- पूर्वी हिस्से में एक बड़ा प्रवेश द्वार है जिसे शाह गेट कहा जाता है, यह द्वार एक चौकोर खुले मंडप से घिरा एक पिरामिड की छत से ढका हुआ है। जो बेहद आकर्षक दिखाई देता है।
- इस मस्जिद को स्थानीय लोग 'शुक्रवार मस्जिद' कहकर संबोधित करते है।
- जामा मस्जिद में काफ़ी जगह है, इसमे एक समय में 30,000 लोग बैठकर नमाज अदा कर सकते हैं।
- इस मस्जिद का देखने लायक मुख्य हिस्सा यहां का प्रार्थना हॉल है, जो 370 खंभों पर खड़ा हुआ है। यह सभी खंभे देवदार के मोटे तनों से बने हुए हैं।
जामिया मस्जिद कैसे पहुँचे
- जामिया मस्जिद का निकटतम रेलवे स्टेशन श्रीनगर कश्मीर रेलवे स्टेशन है, जो मस्जिद से 13.4 किमी की दूरी पर स्थित है।
- इसके साथ ही श्रीनगर का बड़गाम रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन मस्जिद से 11.9 किमी की दूरी पर स्थित है।
- इसके अतिरिक्त मस्जिद का निकटतम हवाई अड्डा शेख उल-आलम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।