ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता (1965 से 2023 तक):

ज्ञानपीठ पुरस्कार किसे कहते है?

भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना साल 1965 में की गयी थी। देश का कोई भी व्यक्ति जो भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार इस सम्मान को प्राप्त कर चुके हैं। साल 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

ज्ञानपीठ पुरस्कार के बारें में संक्षिप्त जानकारी:

पुरस्कार का वर्ग साहित्य
स्थापना वर्ष 1965
पुरस्कार राशि 11 लाख रुपये
प्रथम विजेता जी शंकर कुरुप (मलयालम)
भारत की प्रथम महिला विजेता आशापूर्णा देवी (बांग्ला)
आखिरी विजेता दामोदर माऊज़ो (2021/2022)
विवरण भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार

ज्ञानपीठ पुरस्कार में कितनी पुरस्कार राशि दी जाती है?

इसमें पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा प्रदान की जाती है। जब वर्ष 1965 में ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना हुई थी, तो उस समय पुरस्कार राशि मात्र एक लाख रुपये थी। वर्ष 2005 में पुरस्कार राशि को एक लाख रुपये से बढाकर सात लाख रुपये कर दिया गया, जो वर्तमान में ग्यारह लाख रुपये हो चुकी है।

57वां ज्ञानपीठ पुरस्कार 2021/2022:

दामोदर माऊज़ो गोवा के उपन्यासकार, कथाकार, आलोचक और निबन्धकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास कार्मेलिन के लिये उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित किया गया था।

56वां ज्ञानपीठ पुरस्कार 2020:

मलयालम के प्रमुख कवि अक्कीथम को 56वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चुना गया था। ज्ञानपीठ चयन बोर्ड ने एक बैठक में 56 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार 2019 के लिए मलयालम के प्रसिद्ध भारतीय कवि अक्कीथम को चुना था। अक्कीथम का नाम मलयालम कविता जगत में आदर के साथ लिया जाता है। उनका जन्म 1926 में हुआ था और पूरा नाम अक्कीथम अच्युतन नम्बूदिरी है और वह अक्कीथम के नाम से लोकप्रिय हैं। उन्होंने 55 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें से 45 कविता संग्रह है। पद्म पुरस्कार से सम्मानित अक्कीथम को सहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार (दो बार) मातृभूमि पुरस्कार, वायलर पुरस्कार और कबीर सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।

वर्ष 1965 से अब तक ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची:-

वर्ष ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार
2021/2022 दामोदर माऊज़ो (कोंकणी)
2020 नीलामणि फूकन (असामी)
2019 अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी (मलयालम)
2018 अमिताव घोष (अंग्रेजी)
2017 कृष्णा सोबती (हिन्दी)
2016 शंख घोष (बांग्ला)
2015 रघुवीर चौधरी (गुजराती)
2014 भालचन्द्र नेमाड़े (मराठी) एवं रघुवीर चौधरी (गुजराती)
2013 केदारनाथ सिंह (हिन्दी)
2012 रावुरी भारद्वाज (तेलुगू)
2011 प्रतिभा राय (ओड़िया)
2010 चन्द्रशेखर कम्बार (कन्नड)
2009 अमरकान्त व श्रीलाल शुक्ल (हिन्दी)
2008 अखलाक मुहम्मद खान शहरयार (उर्दू)
2007 ओ.एन.वी. कुरुप (मलयालम)
2006 रवीन्द्र केलकर (कोंकणी) एवं सत्यव्रत शास्त्री (संस्कृत)
2005 कुँवर नारायण (हिन्दी)
2004 रहमान राही (कश्मीरी)
2003 विंदा करंदीकर (मराठी)
2002 दण्डपाणी जयकान्तन (तमिल)
2001 राजेन्द्र केशवलाल शाह (गुजराती)
2000 इंदिरा गोस्वामी (असमिया)
1999 निर्मल वर्मा (हिन्दी) एवं गुरदयाल सिंह (पंजाबी)
1998 गिरीश कर्नाड (कन्नड़)
1997 अली सरदार जाफरी (उर्दू)
1996 महाश्वेता देवी (बांग्ला)
1995 एम.टी. वासुदेव नायर (मलयालम)
1994 यू.आर. अनंतमूर्ति (कन्नड़)
1993 सीताकांत महापात्र (ओड़िया)
1992 नरेश मेहता (हिन्दी)
1991 सुभाष मुखोपाध्याय (बांग्ला)
1990 वी.के.गोकक (कन्नड़)
1989 कुर्तुल एन. हैदर (उर्दू)
1988 डॉ. सी नारायण रेड्डी (तेलुगु)
1987 विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज (मराठी)
1986 सच्चिदानंद राउतराय (ओड़िया)
1985 पन्नालाल पटेल (गुजराती)
1984 तक्षी शिवशंकरा पिल्लई (मलयालम)
1983 मस्ती वेंकटेश अयंगर (कन्नड़)
1982 महादेवी वर्मा (हिन्दी)
1981 अमृता प्रीतम (पंजाबी)
1980 एस.के. पोट्टेकट  (मलयालम)
1979 बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य (असमिया)
1978 एच. एस. अज्ञेय (हिन्दी)
1977 के. शिवराम कारंत (कन्नड़)
1976 आशापूर्णा देवी (बांग्ला)
1975 पी.वी. अकिलानंदम (तमिल)
1974 विष्णु सखा खांडेकर (मराठी)
1973 दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे (कन्नड़) एवं गोपीनाथ महान्ती (ओड़िया)
1972 रामधारी सिंह दिनकर (हिन्दी)
1971 विष्णु डे (बांग्ला)
1970 विश्वनाथ सत्यनारायण (तेलुगु)
1969 फ़िराक गोरखपुरी (उर्दू)
1968 सुमित्रानंदन पंत (हिन्दी)
1967 के.वी. पुत्तपा (कन्नड़) एवं उमाशंकर जोशी (गुजराती)
1966 ताराशंकर बंधोपाध्याय (बांग्ला)
1965 जी शंकर कुरुप (मलयालम)

अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?

ज्ञानपीठ पुरस्कार से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗

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ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रश्नोत्तर (FAQs):

पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक गोविंदा शंकर कुरुप को दिया गया था। उस समय पुरस्कार राशि 1 लाख रुपये थी। 1982 तक यह पुरस्कार लेखक की किसी एक कृति के लिए दिया जाता था। लेकिन तब से यह भारतीय साहित्य में लेखक के समग्र योगदान के लिए दिया जाने लगा।

वर्ष 1968 में सुमित्रानंदन पंत को उनकी कृति चिदम्बरा के लिए पुरस्कृत किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित वे यह पुरस्कार पाने वाले पहले हिंदी लेखक थे। पंत को हिन्दी साहित्य के छायावादी कवियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक और उपन्यासकार अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। चयन समिति ने अमिताव घोष को 54वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा पहले ही कर दी थी।

प्रख्यात तेलुगु उपन्यासकार, लघु कथाकार, कवि और आलोचक रावुरी भारद्वाज को तेलुगु साहित्य में उनके योगदान के लिए वर्ष 2012 का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।

आशापूर्णा देवी भारत की बांग्ला भाषा की कवयित्री और उपन्यासकार थीं, उन्हें 1976 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह यह पुरस्कार पाने वाली पहली महिला हैं।

  Last update :  Thu 30 Mar 2023
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