राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा के कटक में राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में दूसरी भारतीय चावल कांग्रेस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर ओडिशा के राज्यपाल श्री गणेशी लाल, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और ओडिशा के कृषि और किसान अधिकारिता, मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास मंत्री श्री रणेंद्र प्रताप स्वैन उपस्थित थे। NRRI ने भारत की पहली उच्च प्रोटीन चावल की किस्म - CCR धान 310 विकसित की है। इसके अलावा, NRRI ने CR धान 315 नामक एक उच्च उपज वाली चावल की किस्म भी जारी की है।

चावल आज हमारी खाद्य सुरक्षा का आधार है, इसलिए इसके पोषण संबंधी पहलुओं पर भी विचार किया जाना चाहिए। चावल के माध्यम से प्रोटीन, विटामिन और आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने से कुपोषण से निपटने में मदद मिल सकती है। इसी संस्था के कारण आज भारत चावल का अग्रणी उपभोक्ता और निर्यातक है, लेकिन जब देश आजाद हुआ तो स्थिति अलग थी, उन दिनों हम अपनी खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर थे।

पिछली शताब्दी में जैसे-जैसे सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ, नए स्थानों पर चावल उगाए गए और नए उपभोक्ता उभरे। धान की फसल के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन दुनिया के कई हिस्से जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर पानी की कमी का सामना कर रहे हैं।

लिंगराज मंदिर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी ओडिशा यात्रा के दौरान यहां 11वीं शताब्दी के प्रसिद्ध श्री लिंगराज मंदिर में पूजा-अर्चना की। राष्ट्रपति कड़ी सुरक्षा के बीच बेटी इतिश्री मुर्मू के साथ मंदिर पहुंचे। इस दौरान उनकी एक झलक पाने के लिए बाहर काफी भीड़ जमा हो गई थी। मुर्मू करीब 40 मिनट तक मंदिर में रहे। इस दौरान उनके साथ राज्यपाल गणेशी लाल भी मौजूद रहे।

मुख्य बिंदु

  • राष्ट्रपति ने कहा कि पिछली सदी में जैसे-जैसे व्यवस्था का विस्तार हुआ, चावल के नए उत्पाद उपलब्ध होते गए और इसके लिए नए उपभोक्ता पैदा होते गए। चावल की खेती के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन दुनिया के कई हिस्से जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं।
  • नए क्षेत्रों में चावल का विस्तार हुआ है, लेकिन ऐसे कई स्थान हैं जहां पारंपरिक वनस्पति को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में आज हमारा काम बीच का रास्ता निकालना है, यानी एक तरफ पारंपरिक साझेदारी को बचाना और दूसरी तरफ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना है।
  • इसके अलावा, एक और चुनौती मिट्टी को रसायनों के अत्यधिक उपयोग से बचाना है, जो आधुनिक चावल की खेती के लिए आवश्यक माने जाते हैं। हमें अपनी मिट्टी को स्वस्थ रखने के लिए ऐसे निर्देशों को कम करने की आवश्यकता है। उनका मानना था कि वैज्ञानिक पर्यावरण के अनुकूल चावल उत्पादन प्रणाली विकसित करने पर काम कर रहे हैं।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि चूंकि चावल हमारी खाद्य सुरक्षा का आधार है, इसलिए हमें इससे खाने वाले भोजन पर भी विचार करना चाहिए। कम आय वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा चावल पर निर्भर करता है, जो आमतौर पर उनके दैनिक पोषण का एकमात्र स्रोत होता है।
  • चावल के माध्यम से प्रोटीन, विटामिन और आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने से कुपोषण को दूर करने में मदद मिल सकती है।

  News Date :  11 फ़रवरी 2023
  News Category :  Economics
  Post Category :  February 2023