विज्ञान के प्रमुख उत्प्रेरक उनके प्रकार और विशेषताएँ: (Catalyst Types, Characteristics and Their Tasks in Hindi)

उत्प्रेरक का अर्थ या परिभाषा:

उत्प्रेरक (Catalyst) उस पदार्थ को कहते हैं जो किसी रासायनिक क्रिया के वेग को बदल दे, परंतु स्वयं क्रिया के अंत में अपरिवर्तित रहता है, अत: उसे पुन: काम में लाया जा सकता है। अधिकांश क्रियाओं में उत्प्रेरक प्रतिक्रिया की गति को बढ़ा देता है। ऐसे उत्प्रेरकों को धनात्मक उत्प्रेरक (Positive Catalyst) कहते है; परंतु कुछ ऐसे भी उत्प्रेरक है जो रासायनिक क्रिया की गति को धीमा कर देते हैं। ऐसे उत्प्रेरक ऋणात्मक उत्प्रेरक (negative Catalyst) कहलाते हैं। औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण रसायनों के निर्माण में उत्प्रेरकों की बहुत बड़ी भूमिका है क्योंकि इनके प्रयोग से अभिक्रिया की गति बढ जाती है जिससे अनेक प्रकार से आर्थिक लाभ होता है और उत्पादन तेज होता है। इसलिये उत्प्रेरण के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये बहुत सा धन एवं मानव श्रम लगा हुआ है।

उत्प्रेरक की विशेषताएँ:

उत्प्रेरक (Catalyst) की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
  • क्रिया के अंत में उत्प्रेरक अपरिवर्तित बच रहता है। उसके भौतिक संगठन में चाहे जो परिवर्तन हो जाएँ, परंतु उसके रासायनिक संगठन में कोई अंतर नहीं होता।
  • उत्प्रेरक पदार्थ की केवल थोड़ी मात्रा ही पर्याप्त होती है। उत्प्रेरक की यह विशेषता इस तथ्य पर निर्भर है कि वह क्रिया के अंत में अपरिवर्तित रहता है। परंतु कुछ ऐसी क्रियाओं में, जिनमें उत्प्रेरक एक माध्यमिक अस्थायी यौगिक बनता है, उत्प्रेरक की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।
  • उत्प्रेरक उत्क्रमणीय प्रतिक्रियाओं (reversible reactions) में प्रत्यक्ष और विपरीत दोनों ओर की क्रियाओं को बराबर उत्प्रेरित करता है अत: उत्प्रेरक की उपस्थिति से प्रतिक्रिया की साम्य स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता, केवल साम्यस्थापन (equilibrium) के समय में ही अंतर हो जाता है।
  • उत्प्रेरक नई क्रिया को प्रारंभ कर सकता है। यद्यपि विल्हेम ऑस्टवाल्ड (Wilhelm Ostwald) ने सर्वप्रथम यह मत प्रगट किया था कि उत्प्रेरक नई क्रिया प्रारंभ नहीं कर सकता, तो भी आधुनिक वैज्ञानिकों का यह मत है कि उत्प्ररेक नई क्रिया को भी प्रारंभ कर सकता है।
  • प्रत्येक रासायनिक क्रिया में कुछ विशिष्ट उत्प्रेरक ही कार्य कर सकते हैं। अभी तक वैज्ञानिकों के लिए यह संभव नहीं हो सका है कि वे सभी रासायनिक क्रियाओं के लिए किसी एक ही उत्प्रेरक को काम में लाएँ। यह आवश्यक नहीं कि किसी एक क्रिया का उत्प्रेरक किसी दूसरी क्रिया को भी उत्प्रेरित करे।

उत्प्रेरक क्रियाओं के प्रकार:

प्राय: सभी उत्प्रेरित क्रियाओं को दो भागों में बाँटा जा सकता है: (1) समावयवी उत्प्रेरित क्रियाएँ (isomer catalyzed actions) (समावयवी उत्प्रेरण) (2) विषमावयवो उत्प्रेरित क्रियाएँ (heterotrophic catalyzed actions) (विषमावयवी उत्प्रेरण)।
  1. समावयवी उत्प्रेरक isomer catalyzed: इन क्रियाओं में उत्प्रेरक, प्रतिकर्मक तथा प्रतिफल सभी एक ही अवस्था में उपस्थित होते हैं। उदाहरणर्थ, सल्फ़्यूरिक अम्ल बनाने की वेश्म विधि में सल्फर डाइआक्साइड, भाप तथा ऑक्सीजन के संयोग से सल्फ़्यूरिक अम्ल बनता है तथा नाइट्रिक आक्साइड द्वारा यह क्रिया उत्प्रेरित होती है। इस क्रिया में प्रतिकर्मक, उत्प्रेरक तथा प्रतिफल इसी गैसीय अवस्था में रहते हैं।
  2. विषमावयवी उत्प्रेरक heterotrophic catalyzed: इन क्रियाओं में उत्प्रेरक, प्रतिकर्मक तथा प्रतिफल विभिन्न अवस्थाओं में उपस्थित रहते हैं। यथा, अमोनिया बनाने की हाबर-विधि में नाइट्रोजन तथा हाइड्रोजन की संयोगक्रिया की फ़ेरिक आक्साइड उत्प्रेरित करता है। सूक्ष्म निकल की उपस्थिति में वानस्पतिक तेलों का हाइड्रोजनीकरण इस प्रकार की क्रियाओं का एक अन्य उदाहरण है।

भौतिक एवं रासायनिक अभिक्रियाएं:

एक पदार्थ के दुसरे पदार्थ में बदलने के कारण ही नए पदार्थ का निर्माण होता है। जैसे - दुध का दही जमना, कांच का टुटना। पदार्थ में होने वाले इन परिवर्तनों को दो भागों में बांटा जा सकता है।
  1. भौतिक परिवर्तन (physical change)
  2. रासायनिक परिवर्तन (chemical changes)
भौतिक परिवर्तन: पदार्थ में होने वाला वह परिवर्तन जिसमें केवल उसकी भौतिक अवस्था में परिवर्तन होता है तथा उसके रासायनिक गुण व अवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होता है। भौतिक परिवर्तन कहलाता है। जैसे:- शक्कर का पानी में घुलना, कांच का टुटना, पानी का जमना आदि। भौतिक परिवर्तन से पदार्थ के रंग, रूप, आकार, परिमाप में ही परिवर्तन होता है। इससे कोई नया पदार्थ नहीं बनता। अभिक्रिया को विपरित करने पर सामान्यतः पदार्थ की मुल अवस्था प्राप्त की जा सकती है। रासायनिक परिवर्तन: पदार्थ में होने वाला वह परिवर्तन जिसमें नया पदार्थ प्राप्त होता है जो मुल पदार्थ से रासायनिक व भौतिक गुणों में पूर्णतः भिन्न होता है। रासायनिक परिवर्तन कहलाता है। जैसे:- लोहे पर जंग लगना, दुध का दही जमना आदि। विज्ञान के प्रमुख उत्प्रेरक और कार्यो की सूची:
उधोग या प्रक्रिया उत्प्रेरक
अमोनिया गैस बनाने की हैबर विधि लोहे का चूर्ण
वनस्पति तेलों से कृत्रिम घी बनाना निकिल
एल्कोहल से ईथर बनाने की विधि में गर्म एलुमिया
सल्फ्यूरिक अम्ल बनाने की सम्पर्क विधि में प्लेटिनम चूर्ण
क्लोरीन गैस बनाने की डीकन विधि क्यूप्रिक क्लोराइड
ग्लूकोस से एथिल अल्कोहल बनाने में जाइमेस एन्जाइम
गन्ने की शककर से सिरके के निर्माण माइकोडमी ऐसिटी
सल्फ्यूरिक अम्ल बनाने की सीसा कक्ष विधि में नाइट्रोजन के ऑक्साइड

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  Last update :  Thu 25 Aug 2022
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