आजादी का उत्सव अमृत
आजादी के 75 साल के अवसर पर भारतीय संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का जश्न मनाने का एक अभियान रहा। जिसके तहत श्री अरबिंदो की जयंती के उपलक्ष्य में अलग-अलग गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित किए गए|
जीवन परिचय
श्री अरबिंदो का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता में हुआ था, वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में गैर योगदान दिया। लेकिन बाद में वे योगी बन गए उसके बाद उन्होंने पुडुचेरी में एक आश्रम स्थापित किया और वेद, उपनिषद ग्रंथों आदि पर उन्होंने अनेक कमेंटरीज और योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे|
श्री अरबिंदो की शिक्षा
श्री अरबिंदो के पिता डॉ कृष्णधन घोष चाहते थे कि वे उच्च शिक्षा ग्रहण कर उच्च सरकारी पद प्राप्त करें। इसी कारणवस उन्होंने सिर्फ 7 वर्ष के उम्र में ही श्री अरबिंदो को पढ़ने इंग्लैंड भेज दिया। 18 वर्ष के होते ही श्री अरबिंदो ने ICS की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। 18 साल की आयु में इन्हें कैंब्रिज में प्रवेश मिल गया। अरविंद घोष ना केवल आध्यात्मिक प्रकृति के धनी थे बल्कि उनकी उच्च साहित्यिक क्षमता उनके माँ की शैली की थी।
इसके साथ ही साथ उन्हें अंग्रेज़ी, फ्रेंच, ग्रीक, जर्मन और इटालियन जैसे कई भाषाओं में निपुणता थी। सभी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी वे घुड़सवारी के परीक्षा में विफल रहें जिसके कारण उन्हें भारतीय सिविल सेवा में प्रवेश नहीं मिला।
आध्यात्मिक विचार
अलीपुर बम केस श्री अरबिंदो के जीवन का अहम हिस्सा था। एक साल के लिए उन्हें सेंट्रल जेल के सेल में रखा गया जहाँ उन्होंने एक सपना देखा कि भगवान ने उन्हें एक दिव्य मिशन पर जाने का उपदेश दिया। उन्होंने कैद में ही गीता की शिक्षा लेना प्राप्त की और निरंतर अभ्यास किया। वह अपनी अवधि से जल्दी बरी हो गए थे।
रिहाई के बाद उन्होंने कई ध्यान किए और उनपर निरंतर अभ्यास करते रहें। सन् 1910 में श्री अरबिंदो कलकत्ता छोड़कर पांडिचेरी बस गए। वहाँ उन्होंने एक संस्थान बनाई और एक आश्रम का निर्माण किया।
सन् 1914 में श्री अरबिंदो ने आर्य नामक दार्शनिक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया। अगले 6 सालों में उन्होंने कई महत्वपूर्ण रचनाएँ की। कई शास्त्रों और वेदों का ज्ञान उन्होंने जेल में ही प्रारंभ कर दी थी। सन् 1926 में श्री अरबिंदो सार्वजनिक जीवन में लीन हो गए।
श्री अरबिंदो के जीवन की प्रमुख उपलब्धियां
- श्री अरबिंदो स्वतंत्रता सेनानी में प्रमुख क्रांतिकारी थे।
- वे एक महान कवि भी थे। इनकी रचना का वर्णन विश्वभर में प्रख्यात है।
- 7 साल की आयु से ही विदेश में शिक्षा प्राप्त करने वाले श्री अरबिंदो का वर्णन प्रचंड विद्वानों में होता है।
- वह एक योगी और महान दार्शनिक भी थे।
श्री अरबिंदो की प्रमुख रचनाएँ
- द रेनेसां इन इंडिया
- वार एंड सेल्फ डिटरमिनेसन
- द ह्यूमन साइकिल
- द आइडियल ऑफ़ ह्यूमन यूनिटी
- द फ्यूचर पोएट्री