कुतुब मीनार संक्षिप्त जानकारी
स्थान | महरौली, दिल्ली |
निर्माण | 1193 से 1368 तक |
निर्माता (किसने बनबाया) | कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश और फीरोजशाह तुगलक |
वास्तुशिल्पीय शैली | इस्लामी वास्तुकला |
नियंत्रण-कर्ता | भारत सरकार |
युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल | वर्ष 1983 में |
कुतुब मीनार का संक्षिप्त विवरण
क़ुतुब मीनार भारत की राजधानी नई दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। क़ुतुब मीनार दिल्ली के दक्षिण में महरौली क्षेत्र में स्थित है। यह ईंट से बनी भारत और विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। युनेस्को द्वारा साल 1983 में इसे विश्व विरासत स्थल के रूप में स्वीकृत किया गया था।
कुतुब मीनार का इतिहास
दिल्ली सल्तनत के प्रथम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा साल 1193 में कुतुब मीनार का निर्माण कार्य आरम्भ किया गया था, परन्तु केवल इसका आधार ही बनवा पाया। इसका जमीनी हिस्सा ढिल्का के किले लाल कोट के खंडहरों पर बनाया गया था। बाद में उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन मंजिलों का निर्माण करवाया।
मीनार की सबसे ऊंची मंजिल साल 1369 में बिजली से क्षतिग्रस्त हो गई थी और फिरोज शाह तुगलक ने इसका पुनर्निर्माण करवाया, जिन्होंने एक और मंजिला को जोड़ा। सन 1505 में, एक भूकंप ने कुतुब मीनार को क्षतिग्रस्त कर दिया और सिकंदर लोदी द्वारा इसकी मरम्मत करवाई गयी थी।
ब्रिटिश भारतीय सेना के प्रमुख रॉबर्ट स्मिथ ने 1828 में टावर का पुनर्निर्माण किया और जिसमें एक स्तंभित कपोल स्थापित किया था। साल 1848 में कपोल को भारत के गवर्नर जनरल द विस्काउंट हार्डिंग के निर्देशों के तहत नीचे ले जाया गया था। यह मीनार मुगल वास्तुकला का एक बहुत बड़ा उदाहरण है।
कुतुब मीनार के रोचक तथ्य
- इसका नाम मुस्लिम सूफी संत ख़्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था।
- अरबी भाषा में 'कुतुब' को एक 'धुरी', 'अक्ष', 'केन्द्र बिंदु' या 'स्तम्भ या खम्भा' कहा जाता है यह एक खगोलीय शब्द है इस प्रकार कुतुब मीनार का अर्थ खगोलीय स्तम्भ या टॉवर भी होता है।
- इसकी ऊँचाई 72.5 मीटर (237.86 फीट) और व्यास 14.3 मीटर है।
- इसमें कुल 379 सीढ़ियां हैं जो गोलाकार में बनी हुईं हैं।
- यह शंक्वाकार आकार में 14.3 मीटर के आधार व्यास और 2.7 मीटर के शीर्ष व्यास वाली सबसे ऊँची मीनारों में से एक है।
- कुतुब मीनार ऊर्ध्वाधर से सिर्फ 65 सेंटीमीटर झुकी हुई है परंतु इसे सुरक्षित सीमा के भीतर माना जाता है।
- इसका निर्माण इंडो-इस्लामिक स्थापत्य शैली में लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग करके किया गया है।
- इसकी पहली तीन मंजिलों का निर्माण करने में लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग है जबकि बाद में चौथी और पाँचवीं मंजिल बनाने के लिए संगमरमर और बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गय है।
- यह भारत की दूसरी सबसे ऊँची मीनार है। भारत की पहली सबसे ऊँची मीनार फतेह बुर्ज है, जो चप्पड़ चिड़ी, मौहाली (पंजाब) में स्थित है।
- इसके आधार में एक कुव्वत-उल-इस्लाम नाम की एक मस्जिद भी स्थित है, जिसे भारत में निर्मित पहली मस्जिद माना जाता है।
- कुतुब परिसर में 7 मीटर की ऊँचाई वाला एक ब्राह्मी शिलालेख के साथ लौह स्तंभ भी मौजूद है।
- इसकी दिवारों पर कुरान (मुस्लिमों का पवित्र पौराणिक शास्त्र) की बहुत सी आयतें भी लिखी गई हैं।
- साल 1974 से पहले, आम लोगों को आंतरिक सीढ़ियों के माध्यम से मीनार के शीर्ष तक पहुंच की अनुमति थी, लेकिन 4 दिसंबर 1981 को हुए एक हादसे में 47 मारे गए और कुछ घायल हो गए थे, जिसके बाद से टावर को जनता के लिए बंद कर दिया गया।
- कुछ लोगो और इतिहासकारो के अनुसार क़ुतुब मीनार को विष्णु स्तंभ भी बाताया जाता है।
- कुतुब मीनार देश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है, हर साल विश्व के विभिन्न हिस्सों से बहुत लोग इसे देखने के लिए आते है।
- पर्यटन मंत्रालय ने हाल ही में अपनी 'एडॉप्ट ए हेरिटेज स्कीम' के तहत सात कंपनियों को चौदह स्मारकों के लिए 'लेटर्स ऑफ इंटेंट' दिया है जिसमें कुतुब मीनार स्मारक को भी शामिल किया गया है।
- दिल्ली मेट्रो रेल निगम द्वारा जारी ट्रैवल कार्ड पर इसकी तस्वीर को अंकित किया गया है।
- कुतुब मीनार सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 6 बजे खुलती है और शाम को 6 बजे बन्द होती है।