गंगोत्री धाम संक्षिप्त जानकारी

स्थानउत्तरकाशी जिला, उत्तराखंड (भारत)
निर्माणलगभग 18वी शताब्दी
निर्माता (किसने बनबाया)अमर सिंह थापा
प्रकारमंदिर
क्षेत्रफल (ऊँचाई)3042 मीटर

गंगोत्री धाम का संक्षिप्त विवरण

गंगोत्री देश के पहाड़ी इलाकों में एक उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में बसा एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। गंगोत्री को गंगा नदी का उद्गम स्थल कहा जाता है। यह भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। हर साल मई से अक्टूबर के महीनो के बीच देश के कोने-कोने से गंगा माता के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या तीर्थयात्री यहां आते है।

यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पतित पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है और दिवाली के दिन मंदिर के दरवाजो को बंद कर दिया जाता है। चार धाम एवं दो धाम दोनों तीर्थयात्राओं के लिए यह बहुत ही पवित्र स्थल माना जाता है।

गंगोत्री धाम का इतिहास

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार पृथ्वी पर जिस स्‍थान पर माता गंगा अवतरण हुई, उसे “गंगोत्री धाम” के नाम से जाना जाता है। गंगोत्री शहर धीरे-धीरे इस मंदिर के आस-पास ही विकसित हुआ। प्राचीन काल में चारधामों की तीर्थयात्रा पैदल हुआ करती थी तथा उन दिनों इसकी चढ़ाई बहुत ही कठिन थी, इसलिये साल 1980 के दशक में गंगोत्री धाम में यात्रा के लिए सड़क का निर्माण किया गया और तब से इस शहर के विकास ने तेजी पकड़ी।

यहां पर प्राचीन काल में कोई मंदिर नहीं बना था। भागीरथी शिला के निकट एक मंच था, जहां यात्रा मौसम के तीन-चार महीनों के लिये देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी जाती थी। आसपास मौजूद गांवों के विभिन्न मंदिरों जैसे श्याम प्रयाग, गंगा प्रयाग, धराली तथा मुखबा आदि से इन प्रतिमाओं को लाया जाता था, जिन्हें यात्रा मौसम के बाद फिर उन्हीं गांवों में लौटा दिया जाता था।

18वीं सदी में गंगोत्री मंदिर का निर्माण गढ़वाल के गुरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने उसी जगह करवाया जहां राजा भागीरथ ने तप किया था। मंदिर में प्रबंध के लिये सेनापति थापा ने मुखबा गंगोत्री गांवों से पंडों को भी नियुक्त किया। ऐसा कहा जाता है कि जयपुर के राजा माधो सिंह द्वितीय ने 20वीं सदी के दौरान मंदिर की मरम्मत भी करवाई थी।

गंगोत्री धाम के रोचक तथ्य

  1. यह समुद्र तल से 3750 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर्वतमाला में स्थित है।
  2. गंगा नदी या गंगा का स्रोत जिसे 'गौमुख' कहा जाता है, गंगोत्री से मात्र 19 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
  3. अपने उद्गम स्थल पर गंगा नदी को 'भागीरथी' के नाम से जाना जाता है।
  4. गंगोत्री से लगभग 50 कि.मी. पहले गंगनानी नामक एक स्थान है। यहाँ पर गर्म पानी का कुंड़ है तथा यह पानी कहां से आ रहा है इसके स्पष्ट साक्ष्य नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह भी गंगा का ही एक स्वरूप है।
  5. गंगोत्री से पहले बाल शिव का एक प्राचीन मंदिर भी है, जिसे बाल कंडार मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यह गंगोत्री धाम का प्रथम पूजा स्थल है।
  6. गंगोत्री के आस पास पर्यटकों को अल्पाइन शंक्वाकार वृक्षों के वन, अल्पाइन झाड़ियां और घास के हरे-भरे मैदानों का लुत्फ़ उठाने को मिलता है।
  7. यहाँ के आसपास के वनक्षेत्र को गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया जा चुका है तथा इसका विस्तार भारत-चीन सीमा तक है।
  8. पर्यटक 'ज्ञानेश्वर मंदिर' और 'एकादश रुद्र मंदिर' भी देख सकते हैं। बाद वाला मंदिर एकादश रूद्राभिषेकम पूजा के उत्सव के लिए प्रसिद्ध है।
  9. यहाँ आये हुए श्रद्धालु मंदिर के पास में स्थित सुंदर गौरी कुंड और सूर्य कुंड का भी जमकर आनन्द ले सकते हैं।
  10. इस शहर से एक छोटा सा रास्ता पाण्डव गुफा की ओर भी जाता है। यह गुफा देश के सबसे बड़े महाकाव्य 'महाभारत' के पौराणिक योद्धाओं ’पांडवों‘ का आराधना स्थल माना जाता है।
  11. सर्दियों के मौसम में आने वाले श्रद्धालु और तीर्थयात्री नार्डिक और अल्पाइन स्कीइंग का भी भरपूर मजा उठा सकते हैं।
  12. गंगोत्री के पास में स्कीइंग के लिए आदर्श औली, मंडली, कुश कल्याण, केदार कंठ, टिहरी गढ़वाल, बेडनी बुग्याल और चिपलाकोट घाटी जैसे स्थान भी मौजूद हैं।
  13. गंगोत्री के आसपास अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में ग्लेशियर गंगा, मनीरी, केदार ताल, नन्दनवन, तपोवन विश्वनाथ मंदिर, डीडी ताल, टिहरी, कुटेती देवी मंदिर, नचिकेता ताल तथा गंगनी आदि भी शामिल हैं।

गंगोत्री धाम कैसे पहुँचे

सड़क मार्ग द्वारा गंगोत्री मंदिर का रास्ता:

सड़क मार्ग द्वारा जाने के इच्छुक पर्यटक नजदीकी शहरों से बस द्वारा गंगोत्री आसानी से पहुंच सकते हैं। इन सभी शहरों से राजकीय और निजी दोनो प्रकार की बस सेवा हर समय उपलब्ध हैं।

ट्रेन मार्ग द्वारा गंगोत्री मंदिर का रास्ता:

गंगोत्री का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो यहाँ से 250 कि.मी. दूरी पर स्थित है। यहाँ से पब्लिक ट्रांसपोर्ट और टैक्सी द्वारा आसानी से गंतव्य तक पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन अधिकतर प्रमुख भारतीय शहरों जुड़ा हुआ है।

हवाई (एयर) मार्ग द्वारा गंगोत्री मंदिर का रास्ता:

गंगोत्री के सबसे निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जो शहर के केंद्र से लगभग 226 कि.मी. दूरी पर स्थित है। यात्री हवाई अड्डे से गंगोत्री के लिए टैक्सी व कैब्स ले सकते हैं। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे,नई दिल्ली से देहरादून के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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