राष्ट्रपति भवन संक्षिप्त जानकारी
स्थान | राजपथ मार्ग, दिल्ली (भारत) |
निर्माण | 1912 ई. से 1929 ई. |
वास्तुकार | एडविन लैंडसेयर लुटियंस |
वास्तुकला | इंडो-सरसेनिक |
राष्ट्रपति भवन का कुल क्षेत्रफल | 321 एकड़ |
वर्तमान राष्ट्रपति | राम नाथ कोविंद (2017 से) |
प्रकार | भवन |
राष्ट्रपति भवन का संक्षिप्त विवरण
किसी देश की राजधानी उस देश की राजनैतिक और आर्थिक स्थिति की सूचक होती है। भारत की राजधानी नई दिल्ली भारत के इतिहास, संस्कृति और राजनैतिक गतिविधियों का सजीव रूप से प्रतिनिधित्व करती है। देश की राजधानी नई दिल्ली के राजपथ मार्ग पर स्थित राष्ट्रपति भवन भारत के सर्वोच्च व्यक्ति भारत के राष्ट्रपति का निवास स्थान है।
राष्ट्रपति भवन का इतिहास
वर्ष 1911 में तत्कालीन दिल्ली दरबार ने ब्रिटिश भारत की राजधानी को कोलकत्ता से स्थानांतरित कर दिल्ली में बदलने का विचार रखा और 22 दिसंबर 1911 में जॉर्ज पंचम द्वारा ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकत्ता से स्थानांतरित करने की घोषणा की गई थी। इसके बाद भारत के वाइसराय के लिए नई राजधानी में रहने के लिए एक शानदार और विशाल आकार के भवन बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था।
वाइसराय हाउस के निर्माण का कार्य प्रसिद्ध वास्तुकार एडविन लैंडसेयर लुटियंस को सौंपा गया था जिसके बाद उन्होंने इसका नक्शा निकाला और वास्तुकार हर्बर्ट बेकर के साथ मिलकर कार्य करने लगे। वर्ष 1912 में एडविन लैंडसेयर लुटियंस और हर्बर्ट बेकर इमारत के निर्माण का कार्य शुरू किया जिसके कुछ वर्षो बाद सन् 1929 में इसे पूर्णरूप से बनाकर ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया गया था।
जब 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ तो ब्रिटिश सरकार ने इस वाइसराय हाउस को भारत को सौंप दिया था जिसके बाद चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने भारत के पहले गवर्नर जनरल का पद संभाला और इस वाइसराय हाउस में रहने लगे परंतु वह इसमें ज्यादा दिनों तक नही रहे थे।
26 जनवरी 1950 में भारत का संविधान पूर्णरूप से लागू कर दिया गया था, जिसके बाद स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में श्री राजेंद्र प्रसाद को चुना गया और उन्हें इस वाइसराय हाउस में रहने के लिए भेज दिया गया था जिसके बाद इस इमारत का नाम वाइसराय हाउस से बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया गया और तब से ही यह भारत के राष्ट्रपति का निवास स्थान है।
राष्ट्रपति भवन के रोचक तथ्य
- इस भव्य और आकर्षक भवन का निर्माण वर्ष 1912 ई. से वर्ष 1929 ई. के मध्य प्रसिद्ध वास्तुकार एडविन लैंडसेयर लुटियंस के नेतृत्व में किया गया था।
- वर्ष 1947 से पहले इसे पहले वाइसराय हाउस के नाम से जाना जाता था जोकि भारत का सबसे बड़ा निवास स्थान था।
- यह राष्ट्रपति भवन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्रपति भवन है जो लगभग 130 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है, इस भवन को प्राचीन रायसिना की पहाड़ी के ऊपर बनाया गया था।
- यह भवन विश्व के सबसे बड़े राष्ट्रपति भवनों में एक है, यह लगभग 4 मंजिला ऊँचा है जिसमे 340 कमरे शामिल हैं।
- इस भवन के निर्माण में लगभग 1 अरब ईंटों और 3.5 मिलियन घन फीट (85000 घन मीटर) पत्थरो का उपयोग किया गया था।
- इस महान और भव्य भवन में लगभग 750 कर्मचारी कार्यरत है, जिसमे सुरक्षा कर्मचारी, रसोइया, सफाई कर्मचारी आदि सम्मिलित है।
- राष्ट्रपति भवन के पीछे 1 गार्डन है जिसे मुगल गार्डन कहा जाता है, वह प्रत्येक वर्ष फरवरी में उद्यानोत्सव नामक त्यौहार के दौरान खोला जाता है।
- इस प्रसिद्ध भवन में एक ड्राइंग रूम, एक खाने का कमरा, एक बैंक्वेट हॉल, एक टेनिस कोर्ट, एक पोलो ग्राउंड और एक क्रिकेट का मैदान और एक संग्रहालय शामिल है जो इस स्थान को और भी आकर्षित बनाते है।
- एक न्यूज़ रिपोर्टर्स के अनुसार, वर्ष 2007 में भारत सरकार ने इसके रखरखाव में लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किये थे जोकि काफी बड़ी रकम थी।
- राष्ट्रपति भवन का बैंक्वेट हॉल बहुत ख़ास है क्योंकि इसमें एकसाथ लगभग 104 अतिथि एक ही समय में बैठ सकते हैं। इसमें पूर्व राष्ट्रपतियों के चित्र और संगीतकारो का एक समूह हमेशा उपस्थित रहता हैं।
- इसके उपहार संग्रहालय में, राजा जॉर्ज पंचम की 640 किलोग्राम की चाँदी की कुर्सी उपस्थित है, जिस पर वह 1911 में दिल्ली दरबार में बैठे थे।
- राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल के पीछे गौतम बुद्ध की प्रतिमा स्थित है जो 4वीं - 5वीं शताब्दी के मध्य गुप्तकाल के दौरान बनाई गई थी।
- राष्ट्रपति भवन में बच्चो के लिए 2 गैलरी उपलब्ध है| पहली गैलरी में बच्चो के काम को दिखाया जाता है और दूसरी गैलेरी में बच्चों के हित की वस्तुओं की विविधता को प्रदर्शित किया जाता है।
- इस भवन में प्रत्येक शनिवार को सुबह 10 बजे एक औपचारिक 'चेंज ऑफ गार्ड' समारोह आयोजित किया जाता है जो 30 मिनट का होता है जिसमे सामान्य नागरिको को भी आने की अनुमति होती है।
- इस इमारत के बारे में सबसे रोचक बात यह है कि स्वतंत्रता के बाद से इसके वाइसराय वाले कक्ष में आज तक कोई भी भारतीय राष्ट्रपति नहीं ठहरे है और भारत के राष्ट्रपति इस भवन के अतिथि-कक्ष में रहते हैं।