विश्व कुष्ठ दिवस संक्षिप्त तथ्य
कार्यक्रम नाम | विश्व कुष्ठ दिवस (World Leprosy Day) |
कार्यक्रम दिनांक | 30 / जनवरी |
कार्यक्रम की शुरुआत | 30 जनवरी 1953 |
कार्यक्रम का स्तर | अंतरराष्ट्रीय दिवस |
कार्यक्रम आयोजक | राउल फोलेरो |
विश्व कुष्ठ दिवस का संक्षिप्त विवरण
सम्पूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष 30 जनवरी को "अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोकथाम दिवस" के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों के इस रोग के प्रति जागरूकता फैलाना है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के प्रयासों की वजह से ही हर वर्ष 30 जनवरी उनकी पुण्यतिथि को कुष्ठ रोग निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विश्व कुष्ठ दिवस का इतिहास
भारत में प्रत्येक वर्ष महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को विश्व कुष्ठ दिवस (World Leprosy Day) मनाया जाता है, जिनकी हत्या आज के ही दिन 1948 में कर की गई थी। इस दिन को फ्रांसीसी मानवीय राउल फोलेरो (French humanitarian Raoul Follereau) ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए चुना था, जिन्होंने कुष्ठ रोगो से पीड़ित लोगों की सहायता की थी।
विश्व कुष्ठ दिवस विषय (Theme)
विश्व कुष्ठ दिवस, कुष्ठ रोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर साल जनवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। विश्व कुष्ठ दिवस की थीम वर्षवार नीचे दी गई है।
- विश्व कुष्ठ दिवस 2020 की थीम - "कुष्ठ रोग वह नहीं है जो आप सोचते हैं" (Leprosy isn"t what you think")
- विश्व कुष्ठ दिवस 2021 की थीम - "कुष्ठ रोग को समाप्त करें, कलंक को समाप्त करें और मानसिक स्वास्थ्य की वकालत करें" ("Beat Leprosy, End Stigma and advocate for Mental Wellbeing")
- विश्व कुष्ठ दिवस 2022 की थीम - "यूनाइटेड फॉर डिग्निटी" ("United for Dignity")
- विश्व कुष्ठ दिवस 2023 की थीम - "एक्ट नाउ एंड लेप्रोसी" ("Act now and leprosy")
विश्व कुष्ठ दिवस के बारे में अन्य विवरण
कुष्ठ रोग किसे कहते है?
कोढ़ को ही कुष्ठ रोग कहा जाता जो कि एक जीवाणु रोग है। यह एक दीर्घकालिक रोग है जो कि माइकोबैक्टिरिअम लेप्राई और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जैसे जीवाणुओं कि वजह से होता है। कुष्ठ रोग के रोगाणु कि खोज 1873 में हन्सेन ने की थी, इसलिए कुष्ठ रोग को हन्सेन रोग भी कहा जाता है।
यह रोग मुख्य रूप से मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है। यह रोग रोगी के शरीर में इतनी धमी-धमी फैलता हैै कि रोगी को कई बर्षोंं तक पता भी नहीं चलता है और यह रोग रोगी के शरीर में पनपता रहता हैै।
यह रोग शरीर को लंबे समय तक हवा व खुली धूप ना मिलना, लंबे समय से गंदा व दूषित पानी पीते रहना, अधिक मात्रा में मीठी चीजों का सेवन करते रहना और नशे का बहुत अधिक सेवन करना के कारण हो सकता है।
कुष्ठ रोग के लक्षण: कुष्ठ रोग में रोगी के शरीर में कई तरह के लक्षण नजर आते हैं जैसे:-
- घावों से हमेशा मवाद का बहना।
- घाव का ठीक ना हो पाना।
- खून का घावों पर से निकलते रहना।
- इस तरह के घावों के होने व उनके ठीक ना होने के कारण रोगी के अंग धीरे-धीरे गलने लगते हैं और पिघल कर गिरने लगते हैं। जिससे रोगी धीरे-धीरे अपाहिज होने लगता है।
कुष्ठ रोग का उपचार:
- अगर आप कुष्ठ रोग ग्रसित हैं तो अपने पास केे डॉक्टर से संर्पक करें।
- कुष्ठ रोग के निवारण केे लिए अधिकतर सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा भी उपलब्ध कराई जाती है।
राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम:
राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम सन 1955 में सरकार द्वारा शुरू की गयी एक योजना है। इस कार्यक्रम को विश्व बैंक की सहायता से 1993-94 से बढ़ाकर 2003-04 तक कर दिया गया और इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य से 2005 तक कुष्ठ उन्मूलन था और इस 1,10,000 की संख्या को कम करना था।
एनएलईपी को राज्य /ज़िला स्तर पर विकेंद्रीकृत किया गया और कुष्ठ रोग सेवाओं को 2001-2002 के बाद सामान्य देखभाल प्रणाली के साथ एकीकृत किया गया। इससे कुष्ठ (पीएएल) से प्रभावित व्यक्तियों के कलंक और भेदभाव को कम करने में मदद मिली।
मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) सभी उपकेंद्रों ,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों ,सरकारी अस्पतालों और औषधालयों में सभी कार्य दिवसों पर निःशुल्क प्रदान की जा रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत के बाद कुष्ठ कार्यक्रम भी मिशन का अनिवार्य हिस्सा रहा है।
राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम के उद्देश्य:
- कुष्ठ रोग को प्राथमिक अवस्था में पहचान कर शीघ पूर्ण उपचार करना।
- संक्रामक रोगियों का शीघ्र उपचार कर संक्रमण की रोकथाम।
- नियमित उपचार द्वारा विकलांगता से बचाव।
- विकृतियों का उपचार कर रोगियों को समाज का उपयोगी सदस्य बनाना।
- स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा समाज में इस रोग क सम्बन्ध में फैली गलत अवधारणाओं को दूर करना।
जनवरी माह के महत्वपूर्ण दिवस की सूची - (राष्ट्रीय दिवस एवं अंतराष्ट्रीय दिवस):
तिथि | दिवस का नाम - उत्सव का स्तर |
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09 जनवरी | प्रवासी भारतीय दिवस - राष्ट्रीय दिवस |
10 जनवरी | विश्व हिन्दी दिवस - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
12 जनवरी | राष्ट्रीय युवा दिवस - राष्ट्रीय दिवस |
24 जनवरी | राष्ट्रीय बालिका दिवस - राष्ट्रीय दिवस |
25 जनवरी | राष्ट्रीय मतदाता दिवस - राष्ट्रीय दिवस |
26 जनवरी | अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
30 जनवरी | विश्व कुष्ठ दिवस - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
विश्व कुष्ठ दिवस प्रश्नोत्तर (FAQs):
विश्व कुष्ठ दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को मनाया जाता है।
हाँ, विश्व कुष्ठ दिवस एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है, जिसे पूरे विश्व हम प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को मानते हैं।
विश्व कुष्ठ दिवस की शुरुआत 30 जनवरी 1953 को की गई थी।
विश्व कुष्ठ दिवस प्रत्येक वर्ष राउल फोलेरो द्वारा मनाया जाता है।