चित्तौड़गढ़ किला संक्षिप्त जानकारी

स्थानचित्तौड़गढ़, राजस्थान (भारत)
निर्माणकाल7वीं शताब्दी
निर्मातामौर्य
प्रकारकिला

चित्तौड़गढ़ किला का संक्षिप्त विवरण

देश के सबसे विशाल किलों में से एक है इस किले का निर्माण मौर्य ने 7वीं शताब्दी के दौरान किया था। अगले 834 साल तक किला मेवाड़ की राजधानी के रूप में खड़ा रहा। ऐसा कहा जाता है महाभारत काल में पांडव भाईयों में से भीम ने इस किले का निर्माण किया था।

इस किले का जिक्र महान हिंदू शास्त्र महाभारत में भी किया गया है कि पांडवों के दूसरे भाई भीम ने एक बार भूमि में इतनी तेजी से मुक्का मारा की जमीन से पानी निकलने लगा जो आज यहां एक जल भंडार है, जिसे भिमला के नाम से जाना जाता है।

यह जगह प्राचीन समय में जौहर प्रदर्शन करने वाले महिलाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। राजस्थान में प्राचीन समय में जौहर एक प्रथा थी, जिसमें महिलाये अपने सम्मान को विरोधी सैनिकों और राजा से बचाने के लिए अपने पति के देहांत के बाद जलती चिता में कूद जाती थी। इतिहास में इस किले पर प्रसिद्ध शासकों द्वारा 3 बार आक्रमण किया गया, परन्तु हर बार राजपूत शासकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर किले को बचाया।

सन 1303 में अल्लाउद्दीन खिलजी ने किले पर हमला किया, जो रानी पद्मिनी पर कब्जा करना चाहते थे, जिन्हें आश्चर्यजनक रूप से सुंदर कहा जाता था। वह उन्हें अपने साथ ले जाना चाहता था, लेकिन जब रानी ने मना कर दिया, तो अल्लाउद्दीन खिलजी ने किले पर हमला कर दिया। गुजरात के राजा बहादुर शाह ने किले पर दूसरी बार हमला किया था। मुगल सम्राट अकबर ने सन 1567 में किले पर तीसरी बार हमला किया, जो महाराणा उदय सिंह पर कब्जा करना चाहते थे। 1616 में एक मुगल सम्राट जहांगीर ने किला महाराजा अमर सिंह को वापस कर दिया, जो उस समय मेवाड़ के प्रमुख थे।

चित्तौड़गढ़ किला का इतिहास

देश के सबसे विशाल किलों में से एक है इस किले का निर्माण मौर्य ने 7वीं शताब्दी के दौरान किया था। अगले 834 साल तक किला मेवाड़ की राजधानी के रूप में खड़ा रहा। ऐसा कहा जाता है महाभारत काल में पांडव भाईयों में से भीम ने इस किले का निर्माण किया था।

इस किले का जिक्र महान हिंदू शास्त्र महाभारत में भी किया गया है कि पांडवों के दूसरे भाई भीम ने एक बार भूमि में इतनी तेजी से मुक्का मारा की जमीन से पानी निकलने लगा जो आज यहां एक जल भंडार है, जिसे भिमला के नाम से जाना जाता है।

यह जगह प्राचीन समय में जौहर प्रदर्शन करने वाले महिलाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। राजस्थान में प्राचीन समय में जौहर एक प्रथा थी, जिसमें महिलाये अपने सम्मान को विरोधी सैनिकों और राजा से बचाने के लिए अपने पति के देहांत के बाद जलती चिता में कूद जाती थी। इतिहास में इस किले पर प्रसिद्ध शासकों द्वारा 3 बार आक्रमण किया गया, परन्तु हर बार राजपूत शासकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर किले को बचाया।

सन 1303 में अल्लाउद्दीन खिलजी ने किले पर हमला किया, जो रानी पद्मिनी पर कब्जा करना चाहते थे, जिन्हें आश्चर्यजनक रूप से सुंदर कहा जाता था। वह उन्हें अपने साथ ले जाना चाहता था, लेकिन जब रानी ने मना कर दिया, तो अल्लाउद्दीन खिलजी ने किले पर हमला कर दिया। गुजरात के राजा बहादुर शाह ने किले पर दूसरी बार हमला किया था। मुगल सम्राट अकबर ने सन 1567 में किले पर तीसरी बार हमला किया, जो महाराणा उदय सिंह पर कब्जा करना चाहते थे। 1616 में एक मुगल सम्राट जहांगीर ने किला महाराजा अमर सिंह को वापस कर दिया, जो उस समय मेवाड़ के प्रमुख थे।

चित्तौड़गढ़ किले के भीतर का आकर्षण:

  • विजय स्तम्भ चित्तौड़गढ़: इस विजय स्तम्भ को णा कुम्भा द्वारा महमूद शाह आई खलजी पर विजय का जश्न मनाने के लिए बनाया गया था।
  • टॉवर ऑफ फ़ेम (कीर्ति स्तम्भ): जैन व्यापारी जीजाजी राठौड़ द्वारा 22 मीटर ऊंचे टॉवर फ़ेम (कीर्ति स्तम्भ) का निर्माण किया था। यह स्तम्भ जैन के पहले और सबसे प्रसिद्ध जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है।
  • राणा कुम्भा पैलेस: यह किले का सबसे पुराना ढांचा है और यह महल विजय स्तंभा के पास स्थित है। उदयपुर शहर के संस्थापक महाराणा उदय सिंह का जन्म यही पर हुआ था। महल में सुरज पोल के माध्यम से प्रवेश करते है तथा इस महल में सुंदर नक्काशी और मूर्तियां हैं।
  • पद्मिनी पैलेस चित्तौड़गढ़: किले के दक्षिणी हिस्से में स्थित पद्मिनी पैलेस एक 3 मंजिला सफेद इमारत है। इसके शीर्ष पर मंडप बना है और पानी के खंभे से घिरा हुआ है।

चित्तौड़गढ़ किला के रोचक तथ्य

  1. यह शानदार किला 180 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और लगभग 700 एकड के क्षेत्र में फैला हुआ है।
  2. किले तक पहुँचने का रास्ता बहुत दुर्गम है, आपको किले तक पहुँचने के लिए एक खड़े और घुमावदार मार्ग से लगभग एक मील चलकर जाना होगा।
  3. चित्तौड़गढ़ किले में दाखिल होने के लिए टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर बने पर जरा-जरा दूरी पर बने राम पोल, लक्ष्मण पोल, बड़ी पोल, सूरज पोल वगैरह नाम के एक के बाद एक सात दरवाजों को पार करने पड़ते हैं। इस किले की चौड़ाई लगभग एक किलोमीटर है, लेकिन दीवार 5 किलोमीटर का घेरा तय करती है।
  4. किले के खम्भों पर की गई कलाकृति बहुत ही सुन्दर है, ऐसा कहा जाता है कि इन कलाकृति को बनाने में करीब 10 वर्षों का समय लगा था।
  5. इस किले में अन्दर 7 नुकीले लोहे के दरवाज़े बने हैं, इन द्वारों क नाम हिन्दू देवताओं के नाम पर रखा गया है।
  6. किले के भीतर सुंदर मंदिरों के साथ-साथ आप रानी पद्मिनी और महाराणा कुम्भ के शानदार महल भी बने हुए हैं।
  7. इस भव्य इमारत के अंदर भगवान श्री कृष्ण और खूम्बा श्याम के प्रफुल्लित भक्त मीरा के मंदिर भी बने हैं।
  8. किले में 84 जल स्त्रोत थे, जिनमें से केवल 22 मौजूद हैं जो कुँए, कुंड, और बावरी शामिल हैं।
  9. किले के परिसर में कुल 65 ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिनमें से 4 महल परिसर, 19 मुख्य मंदिर और 4 स्मारक हैं। किले की संरचनाएं और विशेषताएं राजस्थानी वास्तुकला की शैली को दर्शाती हैं।
  10. किले के अन्दर पिछले समय में करीब 100,000 लोग निवास करते थे, परन्तु आज गिनती 25,000 के आसपास है।
  11. चित्तौड़गढ़ किला शहर के सबसे बड़े राजपूत त्योहार ‘जौहर मेले’ की मेजबानी करता है।
  12. किले के अन्दर शाम के 7 बजे से ध्वनि और लाइट शो का भी आयोजन किया जाता है। राजस्थान के पर्यटन विभाग द्वारा इस शो को शुरू किया गया था, ताकि पर्यटक किले के इतिहास के बारे में जान सकें। इसमें वयस्क के लिए प्रवेश शुल्क 50 रूपए और बच्चे के लिए 25 रूपए का शुल्क लगता है।
  13. यूनेस्को द्वारा वर्ष 2013 में चित्तौड़गढ़ किला को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।
  14. चित्तौड़गढ़ किले में भारतीयों लोगो के लिए प्रवेश शुल्क 5 रुपये, विदेशी पर्यटकों के लिए 100 रुपये तथा 15 साल से कम आयु के बच्चों के कोई प्रवेश शुल्क नहीं हैं।
  15. चित्तौड़गढ़ किला काफी बड़ा है इसलिए किले के अन्दर अंदर घुमने के लिए टैक्सी या पर्यटक कैब किराए पर उपलब्ध है।
  16. चित्तौड़गढ़ किले का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा उदयपुर हवाई अड्डा है, जिसकी चित्तौड़गढ़ से दूरी सिर्फ 70 कि.मी. है।
  17. चित्तौड़गढ़ दिल्ली से करीब 585 किलोमीटर दूर है। दिल्ली से सड़क के रास्ते पहुंचने में तकरीबन 12 घंटे का समय लगता हैं।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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