कुम्भलगढ़ किला संक्षिप्त जानकारी
स्थान | राजसमंद जिला, राजस्थान (भारत) |
निर्माणकाल | 1443 ई. |
निर्माता | राणा कुंभा |
प्रकार | सांस्कृतिक, किला |
कुम्भलगढ़ किला का संक्षिप्त विवरण
भारतीय राज्य राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है जो अपने भीतर भारत की प्राचीन संस्कृति और इतिहास को समेटे हुये है। राजस्थान प्रसिद्ध और धनी रजवाडो की भूमि रहा है रहा है जिस कारण यहाँ पर अनेक प्रकार के किले और ऐतिहासिक स्थल सरलता से देखे जा सकते है। राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित कुम्भलगढ़ किला अपनी नक्काशी, आकार और इतिहास के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
कुम्भलगढ़ किला का इतिहास
इस किले के इतिहास के बारे में कोई जानकारी पूर्णता उपलब्ध नही है परंतु ऐसा कहा जाता है कि इस किले का प्राचीन नाम मछिन्द्रपुर था, जबकि एक प्रसिद्ध इतिहासकार साहिब हकीम ने इसे माहौर का नाम दिया था। कुछ स्थानीय मान्यताओ के अनुसार ऐसा माना जाता है कि वास्तविक किले का निर्माण मौर्य साम्राज्य के प्रसिद्ध राजा सम्प्रति ने छठी शताब्दी में किया था।
जब वर्ष 1303 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने यहाँ आक्रमण किया था उसी के बाद का इतिहास आज स्पष्ट है। वर्तमान में जिस कुम्भलगढ़ किले को हम देखते है उसका निर्माण हिन्दू संप्रदाय के सिसोदिया राजपूतो ने करवाया और वही कुम्भ पर राज करते थे। राणा कुम्भ का मेवाड़ साम्राज्य रणथम्बोर से ग्वालियर तक फैला हुआ था। कुम्भलगढ़ ने मेवाड़ और मारवाड़ को भी अलग-अलग किया है और उस समय मेवाड़ के शासको द्वारा इन किलो का उपयोग किया जाता था।
वर्ष 1535 ई. में एक घटना मेवार के राजकुमार उदय के साथ घटित हुई थी जब छोटे राजकुमार का यहाँ पर अपहरण लिया गया, जिसके बाद पूरे चित्तोड़ की घेराबंदी करके राजकुमार को वापस प्राप्त कर लिया गया था। राजकुमार उदय ने बाद में उदयपुर शहर की स्थापना की थी। आमेर के राजा मान सिंह I, मारवाड़ के राजा उदय सिंह, मुगल सम्राट अकबर और गुजरात में मिर्ज़ा के यहाँ पर पानी की कमी हो गई थी जिसके लिए यहाँ का पानी उनके क्षेत्रो में भेजा गया और यहाँ पर पानी की कमी हो गई थी।
गुजरात के अहमद शाह I ने वर्ष 1457 में इस किले पर आक्रमण किया था लेकिन उनकी कोशिश व्यर्थ हो गई थी। इसके बाद महमूद खिलजी ने इस किले पर आक्रमण करने की कोशिश की थी लेकिन वह भी असफल रहा। वर्ष 1818 में सन्यासियों के एक समूह ने इस किले की सुरक्षा करने का निर्णय लिया परंतु इसके कुछ समय बाद ही किले पर मराठाओ ने अपना नियन्त्रण स्थापित कर लिया था।
कुम्भलगढ़ किला के रोचक तथ्य
- इस किले के वर्तमान स्वरूप का निर्माण लगभग 1443 ई. में कुम्भलगढ़ के राजा राणा कुंभा ने करवाया था।
- यह प्रसिद्ध किला विश्व के सबसे ऊँचे किलो में से एक है, जो अरावली पर्वत की चोटी पर लगभग 1,100 मीटर (3,600 फीट) की ऊंचाई पर बनाया गया है।
- यह किला भारत के सबसे विशाल किलो में से एक है, जो लगभग 268 हेक्टेयर (1.03 वर्ग मील) के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
- इस किले की दीवार विश्व की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है, जो लगभग 38 कि.मी. लंबी और लगभग 36 कि.मी. की परिधि में फैली हुई है।
- इस किले को भूतकाल में सुरक्षा प्रदान करने वाली इसकी सामने की दीवार लगभग 15 फीट मोटी है, जिस कारण यह किला कई बार अपने दुश्मनों से बचने में कामयाब हो जाता था।
- यह किला इतना भव्य है कि इसकी सुंदरता देखते ही बनती है, इस किले में इसकी सुरक्षा को देखते हुए लगभग 7 बड़े और मजबूत द्वारो का निर्माण किया गया था।
- यह किला भारत के सबसे सुंदर और धार्मिक किलो में से एक है, इस किले के भीतर लगभग 360 से अधिक मंदिर हैं, जिनमे से 300 प्राचीन जैन और बाकी हिंदू मंदिर हैं।
- इस किले के भीतर एक विश्व प्रसिद्ध टैंक भी है जिसका नाम लखोला टैंक है, इसका निर्माण वर्ष 1382-1421 ई. के दौरान राणा लक्ष द्वारा किया गया था, यह टैंक स्वतंत्रता से पहले लगभग 40 फीट गहरा था और स्वतंत्रता के बाद लगभग 60 फीट गहरा कर दिया गया है।
- इस किले में कई प्रसिद्ध मंदिर है परंतु इसमें स्थित गणेश मंदिर 12 फीट (3.7 मीटर) ऊँचे मंच पर बनाया गया है जिसे सबसे पहला मंदिर माना जाता है।
- इस किले के पूर्वी हिस्से में स्थित नील कंठ महादेव मंदिर का निर्माण लगभग 1458 ई. के दौरान किया गया था, यह मंदिर हिन्दू देवता शिव को समर्पित है।
- इस किले में स्थित नील कंठ महादेव मंदिर का केंद्रीय मंदिर आयताकार है जिसमे लगभग 24 विशालकाय स्तंभ स्थित है, इसमें स्थित शिव की मूर्ति काले पत्थर से बनी है जिसके 12 हाथ है।
- इस किले की निर्माण शैली, संरचना और इतिहास को देखते हुये वर्ष 2013 में यूनेस्को द्वारा इस किले को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित कर दिया गया है।