सफदर जंग मकबरा संक्षिप्त जानकारी

स्थानदिल्ली (भारत)
निर्माण1754 ई.
निर्मातानवाब शुजाद दौला
वास्तुकला शैलीमुगल शैली
प्रकारसांस्कृतिक, मकबरा (कब्र)
वास्तुकारइथियोपियाई
प्रवेश शुल्कभारतीयों के लिए 15 रुपए, विदेशी यात्री 200 रुपए

सफदर जंग मकबरा का संक्षिप्त विवरण

भारत आकार की दृष्टि से विश्व के सबसे विशाल देशो में से एक है, जिसमे कई राज्य और द्वीप सम्मिलित है, प्रत्येक राज्य एक-दूसरे से काफी भिन्न है कोई अपनी कला के लिए, कोई अपनी प्राचीन संस्कृति के लिए तो कोई अपनी पर्यावरण के लिए प्रसिद्ध है। भारत की राजधानी दिल्ली भी अपने यहाँ की राजनीति और ऐतिहासिक इमारतो के लिए विश्व में काफी मशहूर है। देश की राजधानी में स्थित सफदरजंग का मकबरा अपनी कलाकृति और ऐतिहासिक घटनाओ के लिए काफी प्रसिद्ध है।

सफदर जंग मकबरा का इतिहास

सफदरजंग फारस के मूल निवासी थे जिनका जन्म 1708 ई. में हुआ था। जन्म के कुछ वर्षो बाद ही वह भारत आ गये थे। वह औध (अवध) के सुबेदार बना दिए गये थे। वह 19 मार्च 1739 तक औध के शासक के पद पर आसीन थे। मुगल साम्राज्य के वंशज मोहम्मद शाह बाकी दूसरे वंशजो से बहुत ही समृद्ध और शक्तिशाली थे, जिस कारण 1748 ई. में उन्हें मुगल साम्राज्य के सम्राट के रूप में घोषित कर दिया गया था।

मोहम्मद शाह के सम्राट बनने के बाद उन्होंने सफदरजंग को साम्राज्य का प्रधानमंत्री (वजीर) बना दिया था। मोहम्मद शाह के शासनकाल में साम्राज्य में काफी गिरावट आई थी क्योंकि उनका शासन केवल उत्तर भारत तक ही सीमित हो गया था। प्रधानमंत्री के रूप में सफदरजंग ने साम्राज्य की सभी शक्तियों को अपने नियंत्रण में ले लिया था क्योंकि राजा अब केवल एक कठपुतली के समान ही रह गया था, जो केवल अपने ऐशोआराम के बारे में सोच रहा था।

सफदरजंग ने अपनी शक्तियों का अधिक से अधिक उपयोग किया, जिस कारण सम्राट के परिवार वाले वजीर से दुखी हो गये और उन्होंने अपने हिंदू मराठा संघ को बुलाया ताकि वे अपने इस तानाशाही वाले वज़ीर से छुटकारा पा सकें। जिसके बाद एक युद्ध हुआ और वर्ष 1753 ई. में सफदरजंग को दिल्ली से बाहर निकाल दिया गया जिसके कुछ समय पश्चात ही उनकी मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे नवाब शुजाद दौला ने मुगल सम्राट से दिल्ली में अपने पिता के लिए एक मकबरे बनाने की अनुमति ली जिसके बाद उन्होंने मुगल शैली में इस मकबरे का निर्माण करवाया था।

सफदर जंग मकबरा के रोचक तथ्य

  1. सफदरजंग का वास्तविक नाम मिर्जा मुकिम अबुल मंसूर खान था जिनका जन्म 1708 ई. में फारस के एक जाने-माने परिवार में हुआ था।
  2. वर्ष 1722 ई. में सफदरजंग भारत आए थे जिसके कुछ सालो बाद वर्ष 1748 ई. में उन्हें मुगल सम्राट द्वारा मुगल साम्राज्य का प्रधानमंत्री (वजीर) बना दिया गया था।
  3. वर्ष 1753 ई. में हुये एक युद्ध के बाद सफदरजंग को मुगल साम्राज्य और दिल्ली से निकाल दिया गया, जिसके कुछ समय पश्चात ही वर्ष 1754 ई. में उनकी मृत्यु हो गई थी।
  4. वर्ष 1754 ई. में सफदरजंग के पुत्र नवाब शुजाद दौला ने मुगल सम्राट से अनुमति लेकर दिल्ली में अपने पिता के लिए मकबरे का निर्माण शुरू कर दिया था और उसी वर्ष में पूरा बनाकर तैयार भी कर दिया था।
  5. सफदरजंग के मकबरे का निर्माण मुगल वास्तुकला में किया गया है। मकबरे की संरचना को एक इथियोपियाई वास्तुकार ने बनाया था।
  6. यह मकबरा लगभग इस 300 वर्ग कि.मी के क्षेत्रफल में फैला है जिसमे बगीचे और क्यारियों से चारो तरफ से घिरा हुआ है।
  7. इस प्रसिद्ध मकबरे में पत्थरों की जिन खुबसूरत पट्टियों का उपयोग किया गया है उन्हें अब्दुल रहीम खंखाना की कब्र पर से लाया गया है।
  8. यह मकबरा चारो ओर से बागो से घिरा हुआ है जिनकी संख्या लगभग 4 है, जिनमे काफी मनमोहक पुष्प और पेड़ो को लगाया गया है।
  9. यह मकबरा दिल्ली में स्थित सभी ऊँचे मकबरों में से एक है, इसकी ऊंचाई लगभग नौ मंजिल है।
  10. इस मकबरे में काफी रहस्मयी चीजे सम्मिलित है जिसमें सबसे रोचक 5 भाग वाले एक मुखौटे के पीछे छिपी हुई सीढ़ी वाले एक बड़े मंच का रहस्य है।
  11. इस मकबरे में कई प्रवेश द्वार सम्मिलित है परंतु इसका सबसे बड़ा प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में स्थित है जोकि लगभग दो मंजिल ऊँचा है।
  12. इस मकबरे में कई गुंबद भी बनी हुई है परंतु सबसे प्रमुख गुंबद केंद्रीय कक्ष के ऊपर स्थित है जोकि लगभग 28 वर्गमीटर के क्षेत्र में बनाया गया है, इस गुंबद के निर्माण में लाल और बदामी रंग का उपयोग किया गया है।
  13. इस मकबरे का सबसे प्रमुख कक्ष केंद्रीय कक्ष है जोकि वर्गाकार है, इस कक्ष के मध्य में सफदरजंग कब्र बनाई गई है।
  14. वर्ष 1823 से 1826 के मध्य कलकत्ता के बिशप रेजिनाल्ड हेबर ने मकबरे के भीतर हल्के भूरे रंगो को देखकर उनका परिक्षण किया और यह पाया कमरों को रंगने के लिए खाद्य पदार्थ के रंगो का प्रयोग किया गया है।
  15. यह मकबरा मुगलों द्वारा बनाई गई ऐतिहासिक इमारतो में सबसे अंतिम है।
  16. सफदरजंग का मकबरा दिल्ली में एएसआई के 174 संरक्षित स्मारकों में से एक है।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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