बुलंद दरवाजा फतेहपुर सीकरी संक्षिप्त जानकारी
स्थान | फतेहपुर सीकरी, उत्तर प्रदेश (भारत) |
स्थापना | 1602 ई. |
निर्माता | अकबर |
निर्माण काल | मुग़ल काल |
बुलंद दरवाजा फतेहपुर सीकरी का संक्षिप्त विवरण
बुलंद दरवाजा देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से करीब 43 किमी दूर फतेहपुर सीकरी नामक स्थान पर स्थित एक दर्शनीय स्मारक है। इसका निर्माण मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर के पौत्र सम्राट अकबर द्वारा साल 1602 में करवाया था। ये स्मारक विश्व का सबसे बड़ा दरवाजा है, जिसमे हिन्दू और फारसी स्थापत्य कला का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।
बुलंद दरवाजा फतेहपुर सीकरी का इतिहास
तीसरे मुग़ल शासक सम्राट अकबर ने 1602 ई. में गुजरात के राजा को हराया था। अपनी जीत की ख़ुशी को जगजाहिर करने के लिए अकबर ने आगरा के जिले फतेहपुर सीकरी नामक स्थान पर मस्जिद की तरह दिखने वाले इस दरवाजे को बनवाया था। इसके प्रवेशद्वार के पूर्वी तोरण पर फारसी में शिलालेख अंकित हैं, जो 1601 में दक्कन पर अकबर की विजय के अभिलेख हैं। यह दरवाजा मुग़ल काल की सबसे अद्भुत और आकर्षक वास्तुकलाओ में से एक है।
बुलंद दरवाजा फतेहपुर सीकरी के रोचक तथ्य
- इस मुग़लकालीन धरोहर के निर्माण में 12 वर्षों का समय लगा था।
- इस दरवाजे की ऊंचाई 53.63 मीटर और चौड़ाई 35 मीटर है, जिसमे कुल 42 सीढ़ियां है।
- इसके निर्माण में लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया था जिसके अंदरूनी भाग पर सफेद और काले संगमरमर की नक्काशी की गई है।
- इस दरवाजे के बाहरी हिस्सों और स्तंभों पर कुरान की आयतें लिखी हुई हैं।
- इस दरवाजे में एक बड़ा आंगन भी है जो जामा मस्जिद की ओर खुलता है।
- यह दरवाज़ा समअष्टकोणीय आकार वाला है जो गुम्बदों और मीनारों से सजा हुआ है।
- दरवाजे़ के तोरण पर ईसा मसीह से संबंधित कुछ पंक्तियां भी लिखी हुई हैं।
- इस दरवाज़े में लगभग 400 साल पुराने आबनूस से बने विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।
- शेख की दरगाह में प्रवेश करने के लिए इसी दरवाज़े से होकर जाना पड़ता है।
- इसके बाईं ओर जामा मस्जिद है और सामने शेख का मज़ार। मज़ार या समाधि के पास उनके रिश्तेदारों की क़ब्रें भी मौजूद हैं।
- इस दरवाजे का उपयोग प्राचीन काल में फतेहपुर सिकरी के दक्षिण-पूर्वी प्रवेश द्वार पर गार्ड खड़ा रखने के लिए किया जाता था।
- बंदरगाह के पास से गुफाओं के प्रवेश द्वार तक एक मिनी ट्रेन भी चलती है जिसका किराया मात्र 10 रुपये प्रति व्यक्ति है।
- उत्तर प्रदेश द्वारा संरक्षित इस इमारत का प्रवेश शुल्क भारतीय लोगो के 50 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 485 रुपये प्रति व्यक्ति है।
- इसके खुलने का समय सुबह 8 बजे और बंद होने का समय शाम 7 बजे है।
- इसे देखने का सबसे अच्छा समय नवम्बर से मार्च के बीच होता है, क्योकि भारत में इस तापमान सामान्य रहता है न तो ज्यादा ठण्ड होती है और न ही ज्यादा गर्मी पड़ती है।
- यह नई दिल्ली से 200 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।