इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे लाल मोहन घोष (Lalmohan Ghosh) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए लाल मोहन घोष से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Lalmohan Ghosh Biography and Interesting Facts in Hindi.
लाल मोहन घोष के बारे में संक्षिप्त जानकारी
नाम | लाल मोहन घोष (Lalmohan Ghosh) |
जन्म की तारीख | 01 जनवरी 1849 |
जन्म स्थान | कृष्णानगर, पश्चिम बंगाल |
निधन तिथि | 18 अक्टूबर 1909 |
पिता का नाम | रामलोचन घोष |
उपलब्धि | - ब्रिटिश संसद हेतु चुनाव लड़ने वाले प्रथम भारतीय पुरुष |
पेशा / देश | पुरुष / वकील, राजनीतिज्ञ / भारत |
लाल मोहन घोष (Lalmohan Ghosh)
लालमोहन घोष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सोलहवें अध्यक्ष और प्रख्यात बंगाली बैरिस्टर थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सह-संस्थापक भी थे।
लाल मोहन घोष का जन्म
लाल मोहन घोष का जन्म 1849 में कृष्णानगर, पश्चिम बंगाल में हुआ था, जो रामलोचन घोष के दूसरे पुत्र थे।
लाल मोहन घोष का निधन
लालमोहन घोष का निधन 18 अक्टूबर 1909 को कोलकाता में हुआ था।
लाल मोहन घोष की शिक्षा
पहले डिवीजन में प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद, घोष 1869 में बैरिस्टर के रूप में क्वालीफाई करने के लिए इंग्लैंड रवाना हो गए। उन्हें 19 नवंबर 1870 को मध्य मंदिर में भर्ती कराया गया और उसी साल कलकत्ता बार में शामिल होने के लिए 7 जून 1873 को बार में बुलाया गया। उनके बड़े भाई मोनोमोहन घोष भी एक बैरिस्टर और भारत के प्रसिद्ध राजनीतिक व्यक्तित्व थे।
लाल मोहन घोष का करियर
प्रथम श्रेणी में प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद वह साल 1869 में वह बैरिस्टर-एट-लॉ की योग्यता हासिल करने के लिए इंग्लैंड चले गए। सन् 1873 में वह कलकत्ता बार से जुड़ गए। लालमोहन घोष ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन के मुख्य सदस्य बने और 1879 में वह भारतीयों के दुख और उनकी मांगों को ब्रिटिश जनता के सामने रखने के लिए इंग्लैंड गए। जुलाई 1880 में लॉर्ड हैरिंगटन के साथ वह प्रेस एक्ट और आर्म्स एक्ट और भारतीय सिविल सर्विस परीक्षा की परीक्षा में उम्र सीमा को बढाने के लिए वकालत करने वाली कमेटी के सदस्य रहे। वर्ष 1903 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए। उनके सामाजिक और राजनीतिक आदर्श ज्यादातर विक्टोरियन इंग्लैंड के उदारवादी मानवतावाद से प्राप्त हुए थे। 1885 में, घोष लंदन के डिपार्टफोर्ड के नव निर्मित संसदीय क्षेत्र के लिए उदार उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए। यद्यपि वह अपने प्रयास में असफल रहे, लेकिन वह ब्रिटिश संसद में चुनाव के लिए खड़ा होने वाला पहला भारतीय बन गए। लालमोहन घोष के सामाजिक और राजनीतिक विचार काफी हद तक विक्टोरियन इंग्लैंड के उदार मानवतावाद से प्रेरित थे।
भारत के अन्य प्रसिद्ध वकील, राजनीतिज्ञ
व्यक्ति | उपलब्धि |
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नीचे दिए गए प्रश्न और उत्तर प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं। यह भाग हमें सुझाव देता है कि सरकारी नौकरी की परीक्षाओं में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं। यह प्रश्नोत्तरी एसएससी (SSC), यूपीएससी (UPSC), रेलवे (Railway), बैंकिंग (Banking) तथा अन्य परीक्षाओं में भी लाभदायक है।
महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (FAQs):
- प्रश्न: लाल मोहन घोष कलकत्ता बार से कब जुड़े थे?उत्तर: 1873
- प्रश्न: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 16वें अध्यक्ष कौन थे?उत्तर: लालमोहन घोष
- प्रश्न: 1903 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में अध्यक्ष कौन चुने गए?उत्तर: लालमोहन घोष
- प्रश्न: 1879 में भारतीयों के दुःख और उनकी मांगों को ब्रिटिश जनता के सामने रखने के लिए लालमोहन घोष कहाँ गया थे?उत्तर: इंग्लैंड
- प्रश्न: लालमोहन घोष बैरिस्टल-एट-लॉ की योग्यता हासिल करने के लिए इंग्लैंड कब गए थे?उत्तर: 1869