इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे नागराज राव हवलदार (Nagaraja Rao Havaldar) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए नागराज राव हवलदार से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Nagaraja Rao Havaldar Biography and Interesting Facts in Hindi.
नागराज राव हवलदार के बारे में संक्षिप्त जानकारी
नाम | नागराज राव हवलदार (Nagaraja Rao Havaldar) |
जन्म की तारीख | 17 जुलाई 1959 |
जन्म स्थान | होसपेट शहर, बेल्लारी जिला, कर्नाटक |
पिता का नाम | ओमकारनाथ |
उपलब्धि | 1983 - मूर्ति देवी पुरस्कार से सम्मानित प्रथम भारतीय पुरुष |
पेशा / देश | पुरुष / गायक / भारत |
नागराज राव हवलदार (Nagaraja Rao Havaldar)
डॉ॰ नागराज राव हवलदार भारत के एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक हैं। नागराज राव मूर्ति देवी पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय व्यक्ति है। वे नियमित रूप से विप्रो, कंप्यूटर एसोसिएट्स, बिरला 3M और खोडेज जैसे कंपनियों के लिए संगीत पर व्याख्यान और वर्कशॉप का आयोजन करते हैं, साथ ही वे कर्नाटक पाठ्यपुस्तक निदेशालय के लिए हिन्दुस्तानी संगीत के लिए पाठ्यपुस्तक समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं।
नागराज राव हवलदार का जन्म
डॉ॰ नागराज राव हवलदार का जन्म 17 जुलाई 1959 को कर्नाटक के होसापेटा शहर में हुआ था।
नागराज राव हवलदार की शिक्षा
उन्होंने कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में “संगीता रत्न” डिग्री प्राप्त की है। साथ ही इतिहास और पुरातत्व में वे स्वर्ण पदक स्नातकोत्तर हैं।
नागराज राव हवलदार का करियर
डॉ॰ हवलदार) पूर्व में म्यूज़िक अराइव्स, ऑल इंडिया रेडियो, हुबली में (1988-1991) में प्रोग्राम एक्जिक्यूटीव के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने पूरे भारत में प्रदर्शन किया है जिसमें प्रतिष्ठित स्थान जैसे हम्पी उत्सव, मैसूर दशहरा दरबार महोत्सव और वाराणसी में संकट मोचन संगीत समारोह शामिल हैं। साथ ही उन्होंने बड़े पैमाने पर संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन में भी दौरा किया है। वे कर्नाटक पाठ्यपुस्तक निदेशालय के लिए हिन्दुस्तानी संगीत के लिए पाठ्यपुस्तक समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। संगीतकार के रूप में डॉ॰ हवलदार ने कई नाटक और टेलीविजन शो के लिए संगीत रचना की है। वे नियमित रूप से विप्रो, कंप्यूटर एसोसिएट्स, बिरला 3M और खोडेज जैसे कंपनियों के लिए संगीत पर व्याख्यान और वर्कशॉप का आयोजन करते हैं, जिसमें स्ट्रेस मेनेजमेंट थ्रु म्यूज़िक और एप्रिसिएसन ऑफ हिन्दुस्तानी क्लासिकल म्यूज़िक जैसे विषय होते हैं। संगीतकार के रूप में डॉ॰ हवलदार ने कई नाटक और टेलीविजन शो के लिए संगीत रचना की है, जिसमें गिरीश कर्नाड के तलेडंडा, पी. लंकेश के गुनामुखा जिसका मंचन रूपांतरा थिएटर समूह द्वारा किया गया था, मास्टर हिरान्नया के लंचावतार जैसे टेलीविजन संस्करण और टी.एन सीथाराम के टेलीसिरीयल मुखामुखी शामिल हैं।[4][6] साथ ही उन्होंने इंडियानापोलिस में एक थिएटर ग्रुप के साथ आध्यात्मिक धुन के साथ नाटक के संगीत पर काम भी किया है। वे सुनादा आर्ट फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष हैं, जो कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रचार के लिए एक समर्पित संगठन है। डॉ॰ हवलदार ने हिंदुस्तानी संगीत का प्रशिक्षण दिया है और आज भी देते हैं, स्थानीय रूप से बंगलुरू जारी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्कशॉप और टेलीफोनिक सत्रों के माध्यम से संयुक्त राज्य और ब्रिटेन के छात्रों को भी शिक्षा देते हैं। उनके कई छात्र, प्रमुख संगीतकार बन गए हैं, जिसमें ओमकारनाथ हवलदार और कन्नड पार्श्व गायक चैत्रा एचजी उल्लेखनीय हैं।
नागराज राव हवलदार के पुरस्कार और सम्मान
वर्ष 1983 में उन्हें मूर्ति देवी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, वे इस सम्मान को पाने वाले पहले भारतीय थे।
भारत के अन्य प्रसिद्ध गायक
व्यक्ति | उपलब्धि |
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मोहम्मद ज़हूर “खय्याम” हाशमी की जीवनी | पद्म भूषण से सम्मानित |