भारतीय इतिहास के गवर्नर-जनरल एवं वायसराय की सूची:

भारत के गवर्नर जनरल (भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल) भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश राज का प्रधान पद था। यह सूची भारत और पाकिस्तान के आजादी से पहले के सभी वायसराय और गवर्नर-जनरल, भारतीय संघ के दो गवर्नर-जनरल और पाकिस्तानी अधिराज्य के चार गवर्नर-जनरल को प्रदर्शित करती है। गवर्नर जनरल ऑफ द प्रेसीडेंसी ऑफ फोर्ट विलियम के शीर्षक के साथ इस कार्यालय को 1773 में सृजित किया गया था।

1947 में जब भारत और पाकिस्तान को आजादी मिली तब वायसराय की पदवी को हटा दिया गया, लेकिन दोनों नई रियासतों में गवर्नर-जनरल के कार्यालय को तब तक जारी रखा गया जब तक उन्होंने क्रमशः 1950 और 1956 में गणतंत्र संविधान को अपनाया।

भारत के अब तक रहे गवर्नर-जनरल की सूची:

गवर्नर जनरल का नाम कार्यकाल कार्यकाल की प्रमुख घटनाएँ
लॉर्ड विलियम बेंटिंक 1828-1835 लॉर्ड विलियम बैण्टिंक बंगाल का अन्तिम गवर्नर जरनल था वर्ष 1833 के चार्टर एक्ट के तहत बंगाल के गवर्नर-जनरल को भारत का गवर्नर -जनरल बनाया गया। इस प्रकार विलियम बेंटिंक भारत का पहला गवर्नर-जरनल बना। इसने सन 1829 में राजा राममोहन राय के सहयोग से सती प्रथा को प्रतिबन्धित किया था।
लॉर्ड चार्ल्स मेटकॉफ 1835-1836 इसने अपने एक वर्ष के कार्यकाल में प्रस पर से नियन्ञण हटाया इसलिए इसे भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता कहा जाता है।
लॉर्ड ऑकलैण्ड 1836-1842 इसने 1839 में कलकत्ता से दिल्ली तक ग्रैण्ड ट्रंक रोड की मरम्मत करवाई थी।
लॉर्ड एलनबरो 1842-1844 एलनबरो के कार्यकाल को कुशल अकर्मण्यता की नीति का काल कहा जाता है।
लॉर्ड हार्डिंग प्रथम 1844-1848 प्रथम आंग्ल-सिख युध्द इसी के समय में हुअा जिसमें अंग्रेज विजयी हुऐ इसने नर बली प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाया था।
लॉर्ड डलहौजी 1848-1856 डलहौजी के समय में भारत में रेल परिवहन का आरम्भ हुआ था, इसी के समय में पहली बार 16 अप्रैल 1853 में मुम्बई से थाणे के बीच प्रथम रेल चलाई गयी थी। इसी के समय में पोस्ट ऑफिस एक्ट (Post Office Act) पारित हुआ था इसी के समय में पहली बार कलकत्ता से अागरा के बीच पहली बार बिजली से संचालित तार सेवा शूरू हुई

भारत के अब तक रहे वायसराय की सूची:

वायसराय का नाम कार्यकाल कार्यकाल की प्रमुख घटनाएँ
लॉर्ड कैनिंग 1856-1862 1857 का विद्रोह, बंगाल काश्तकारी अधिनियम, भारतीय दंड सहिता एवं उच्च न्यायलय अधिनियम अस्तित्व म आये।
लॉर्ड एल्गिन 1862-1863 वहनियों का विद्रोह
सर जॉन लारेंस 1863-1868 भूटान से युद्ध, भारत एवं यूरोप के मध्य समुद्री टेलीग्राफ सेवा का प्रारम्भ (1865) अफगानिस्तान में हस्तक्षेप नीति।
लॉर्ड मेयो 1868-1872 वित्तीय विकेंद्रीकरण, कृषि एवं वाणिज्य विभाग की स्थापना, पहली अधिनियम जनगणना (1871)
लॉर्ड नोर्थबूक 1872-1876 कूका आंदोलन का दमन, आयात कर कम किया एवं निर्यात कर समाप्त किया।
लॉर्ड रिपन 1876-1880 दिल्ली दरबार (1877 विक्टोरिया भारत की महारानी घोषित), सिविल सेवा में अधिकतम आयु 21 वर्ष से घटकर 19 वर्ष,   मुस्लिम एंग्लो ओरिएण्टल महाविद्यालय (अलीगढ) की स्थापना, रिचर्ड स्ट्रेची की अध्यक्षता में अकाल आयोग का गठन, वर्नाकुलर प्रेस एक्ट (1818)
लार्ड लिटन 1880-1884 नियमित जनगणना की शुरुआत (1818), इल्बर्ट बिल, 1883 (जातीय भेदभाव के आधार पर न्यायिक अयोग्यता को दूर करने का प्रस्ताव)
लॉर्ड डफरिन 1884-1888 भारतीय राष्टीय कांग्रेस की स्थापना (1885), तृतीय आंगल-बर्मा (1885-1888)
लॉर्ड लैंसडाउन 1888-1894 भारत परिषद अधिनियम (1892), डुरंड आयोग का गठन (उद्देश्य-भारत अफगानिस्तान सीमा निर्धारण
लॉर्ड एल्गिन द्वितीय 1894-1899 आंगल-रूस संधि, 1895 (ऑक्सस नदी, ब्रिटिश साम्राज्य की उतरी सीमा निर्धारित) उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, एवं मध्य प्रदेश में भयंकर अकाल
लॉर्ड कर्जन 1899-1905 एंड्रयू फ़्रेज़र की अध्यक्षता में पुलिस आयोग का गठन (1902) पुरातत्व विभाग की स्थापना (1904), बंगाल विभाजन (1905)
लॉर्ड मिंटो II 1905-1910 जर्मनी के खतरे से बचाव के लिए आंगल-रूस संधि 1907, मुस्लिम लीग का गठन, मार्ल मिंटो एक्ट
लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय 1910-1916 दिल्ली दरबार 1911, राजधानी दिल्ली स्थानांतरित बंगाल विभाजन रद्द
लॉर्ड चेम्सफोर्ड 1916-1921 महिला विश्वविद्यालय स्थापना (पूना 1917), मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार, 1919 जलियांवाला बाग कांड
लॉर्ड रीडिंग 1921-1926 प्रिंस वेल्स की भारत यात्रा (1921), स्वराज पार्टी का गठन (1923)
लॉर्ड इरविन 1926-1931 साइमन कमीशन का भारत आगमन, कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929), सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारम्भ (1930), प्रथम गोलमेज सम्मेलन, गांधी इरविन समझौता
लॉर्ड बिलिंग्टन 1931-1936 द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931) कम्युनल अवार्ड (1932), पूना पैक्ट (सितम्बर, 1932), भारत सरकार अधिनियम 1935
लॉर्ड लिनालिथगो 1936-1944 प्रांतीय चुनाव (1937 आठ प्रांतों में कांग्रेस सरकार का गठन) द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत में बिना सहमति के शमिल करने के विरोध में कांग्रेसी मंत्रिमंडल का इस्तीफा, मुस्लिम लीग ने मुक्ति दिवस मनाया (22 दिसम्बर 1939), अगस्त प्रस्ताव (अगस्त, 1940)
लॉर्ड वेवेल 1944-1947 शिमला सम्मेलन (1945), कैबिनेट मिशन का भारत में आगमन
लॉर्ड माउंटेन 1947-1948 माउंटबेटन योजना (3 जून, 1947) भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ई.
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी 1948-1950 लॉर्ड माउण्टबेटन के वापसी के बाद 21 जून 1948 को चक्रवर्ती राजगोपालाचारी भारत के गवर्नर-जनरल बनाए गये थ।े वे स्वतन्ञ भारत के प्रथम भारतीय व अन्तिम गवर्नर-जनरल थे।

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भारतीय के गवर्नर-जनरल और वायसराय 🔗

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गवर्नर जनरल और वायसराय प्रश्नोत्तर (FAQs):

लॉर्ड चार्ल्स कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय भारत के गवर्नर-जनरल थे। कैनिंग ने विद्रोह के दौरान प्रशासन और सरकार के अधिकांश विभागों ने सामान्य रूप से कार्य किया और 1857 में विद्रोह के चरम के दौरान भी प्रमुख प्रशासनिक निर्णय लिए|

लॉर्ड डलहौजी ने व्यपगत सिद्धांत प्रस्तुत किया। व्यपगत सिद्धांत वह मुख्य साधन है जिसके माध्यम से लॉर्ड डलहौजी ने अपने नीति-निर्माण को लागू किया। इस सिद्धांत के तहत, यदि किसी भारतीय राज्य का कोई शासक बिना किसी प्राकृतिक उत्तराधिकारी के मर जाता है, तो वह राज्य ब्रिटिश प्रभुत्व में चला जाएगा।

पहला उद्योगशाला अधिनियम वायसराय लॉर्ड रिपन के शासनकाल में पारित हुआ| यह अधिनियम उद्योगशालाओं में श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यकारी शर्तों के बारे में प्रावधान करता था। इस अधिनियम के माध्यम से श्रमिकों को सुरक्षित और योग्य मानवाधिकारों की गारंटी दी जाती थी।

1905 में बंगाल विभाजन के समय वायसराय का पद लॉर्ड कर्जन को सौंप दिया गया। उन्होंने 1899 से 1905 तक भारत के वायसराय के रूप में कार्य किया। 1905 में लागू बंगाल विभाजन ने उत्तरी और पश्चिमी भागों के बीच एक नया प्रांत बनाने के लिए बंगाल प्रांत को दक्षिणी और पूर्वी भागों में विभाजित कर दिया।

भारत का प्रथम वायसराय लॉर्ड कैनिंग था। वह ब्रिटिश भारत के पहले गवर्नर-जनरल और पहले वायसराय थे। उनका कार्यकाल वर्ष 1856 से 1862 तक रहा। लॉर्ड कैनिंग के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 1857 के सिपाही विद्रोह (भारतीय विद्रोह) के दौरान अहिंसा और धैर्य का आह्वान किया।

  Last update :  Fri 7 Oct 2022
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