भारतीय अर्थव्यवस्था से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची: (Indian Economics Important GK Facts in Hindi) भारतीय अर्थव्यवस्था सामान्य ज्ञान: भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समानता के आधार पर दुनिया में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है। यह विशाल जनशक्ति आधार, विविध प्राकृतिक संसाधनों और सशक्त वृहत अर्थव्यवस्था के मूलभूत तत्वों के कारण व्यवसाय और निवेश के अवसरों के सबसे अधिक आकर्षक गंतव्यों में से एक है। वर्ष 1991 में आरंभ की गई आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया से सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में फैले नीतिगत ढाँचे के उदारीकरण के माध्यम से एक निवेशक अनुकूल परिवेश मिलता रहा है। भारत को आज़ाद हुए 70 साल हो चुके हैं और इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा में ज़बरदस्त बदलाव आया है। औद्योगिक विकास ने अर्थव्यवस्था का रूप बदल दिया है। आज भारत की गिनती दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में होती है। विश्व की अर्थव्यवस्था को चलाने में भारत की भूमिका बढ़ती जा रही है। आईटी सॅक्टर में पूरी दुनिया भारत का लोहा मानती है। भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास: भारत एक समय मे सोने की चिडिया कहलाता था। आर्थिक इतिहासकार एंगस मैडिसन के अनुसार पहली सदी से लेकर दसवीं सदी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। पहली सदी में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विश्व के कुल जीडीपी का 32.9%% था ; सन् 2000 में यह 28.9% था ; और सन् 1700 में 24.4% था। ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था का जमकर शोषण व दोहन हुआ, जिसके फलस्वरूप 1947 में आज़ादी के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था अपने सुनहरी इतिहास का एक खंडहर मात्र रह गई।
भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं :
स्वतंत्रता के बाद, देश की मूल आर्थिक संरचना अधिक शक्तिशाली हो गई है। मात्रात्मक दृष्टि से पर्याप्त विकास हुआ है। हालांकि, 2006-07 में वार्षिक विकास दर 9.6% थी, जिसकी घोषणा 31 वीं वर्षगांठ पर की गई थी भारतीय अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएं और विभिन्न पहलू नीचे दिए जा रहे हैं।- कृषि अर्थव्यवस्था: आजादी के 60 साल बाद भी, भारत की 58.4% कार्य शक्ति अभी भी कृषक है और सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान लगभग 21% है।
- मिश्रित अर्थव्यवस्था: भारतीय अर्थव्यवस्था सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का एक अनूठा मिश्रण है, अर्थात मिश्रित अर्थव्यवस्था। अपनी पूरी योजना अवधि में, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र में 45% पूंजी का निवेश किया है। हालाँकि उत्पादन के प्रमुख स्रोत और संसाधन अभी भी निजी क्षेत्र (लगभग 80%) के हाथों में हैं। उदारीकरण के बाद, भारतीय अर्थव्यवस्था पूंजीवादी अर्थव्यवस्था या बाजार अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़ रही है।
- विकासशील अर्थव्यवस्था: निम्नलिखित तथ्य बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था है:
- भारतीय की राष्ट्रीय आय अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर बहुत कम है और प्रति व्यक्ति आय अन्य विकसित देशों की तुलना में भारतीय में बहुत कम है। भारतीय की प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति आय के अमेरिकी स्तर का लगभग 1/75 है।
- 26.1% आबादी अभी भी गरीबी रेखा से नीचे रह रही है।
- बेरोजगारी का स्तर बहुत अधिक है। भारत में बेरोजगारी मुख्य रूप से प्रकृति में संरचनात्मक है क्योंकि पर्याप्त संख्या में रोजगार पैदा करने के लिए उत्पादक क्षमता अपर्याप्त है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रच्छन्न बेरोजगारी की तीव्र समस्या है। एक व्यक्ति को नियोजित माना जाता है यदि वह एक वर्ष के 273 दिनों तक हर दिन आठ घंटे काम करता है।
- भारत में कम राष्ट्रीय आय और उच्च खपत व्यय के कारण बचत कम है। कम बचत से पूंजी निर्माण में कमी आती है। पूंजी उत्पादन का एक महत्वपूर्ण कारक है। पूंजी और संसाधनों की कमी है, हालांकि हाल के वर्षों के दौरान, घरेलू बचत की दर 26% पर बनी हुई है।
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। 1991-2001 के दौरान जनसंख्या में 21.34% की वृद्धि हुई। जनसंख्या की इस उच्च वृद्धि दर के साथ हर साल लगभग 1.7 करोड़ नए लोगों को भारत की जनसंख्या में जोड़ा जा रहा है। 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत की कुल आबादी 102.7 करोड़ के उच्च स्तर पर है, जो दुनिया की कुल आबादी का 16.7% है। विश्व जनसंख्या का 16.7% बनाए रखने के लिए भारत के पास दुनिया के कुल भूमि क्षेत्र का केवल 2.42% है।
- सी.आर.आर.(नकद आरक्षण अनुपात): सी.आर.आर. वह धन है जो बैंकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास गारंटी के रूप में रखना होता है।
- बैंक दर: जिस दर पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उधार देता है बैंक दर कहलाती है।
- वैधानिक तरलता अनुपात (एस.एल.आर): किसी आपात देनदारी को पूरा करने के लिए वाणिज्यिक बैंक अपने प्रतिदिन कारोबार नकद सोना और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के रूप में एक खास रकम रिजर्व बैंक के पास जमा कराते है जिस एस.एल.आर कहते है।
- रेपो रेट: रेपो दर वह है जिस दर पर बैंकों को कम अवधि के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज मिलता है। रेपो रेट कम करने से बैंको को कर्ज मिलना आसान हो जाता है।
- रिवर्स रेपो रेट: बैंकों को रिजर्व बैंक के पास अपना धन जमा करने के उपरांत जिस दर से ब्याज मिलता है वह रिवर्स रेपो रेट है।
- लीड बैंक योजना: जिलों कि अर्थव्यवस्था को सुधारने के उद्देश्य से इस योजना का प्रारंभ 1969 में किया गया। जिसके तहत प्रत्येक जिले में एक लीड बैंक होगा जो कि अन्य बैंकों कि सहायता के साथ साथ कार्यक्रमों के माध्यम से वित्तीय संस्थाओ के बीच समन्वय स्थापित करेगा।
- निष्पादन बजट: कार्यों के परिणामों या निष्पादन को आधार बनाकर निर्मित होने वाला बजट निष्पादन बजट है, इसे कार्यपूर्ति बजट भी कहते है।
- जीरोबेस बजट: इस बजट में किसी विभाग या संगठन कि प्रस्तावित व्यय मांग के प्रत्येक मद को शुन्य मानते हुए पुनर्मूल्यांकन किया जाता है। भारत में इसे सर्वप्रथम “काउन्सिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CISR)” में लागू किया गया और 1987-88 से सभी विभागों व मंत्रालयों में लागू हो गया।
- आउटकम बजट: इसके तहत प्रत्येक विभाग/मंत्रालय के भौतिक लक्ष्यों को अल्प अवधि में निरीक्षण एवं मूल्यांकन के लिए रखा जाता है।
- जेंडर बजट: इस बजट के माध्यम से सरकार महिलाओं के कल्याण एवं सशक्तिकरण के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रमों और योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु प्रतिवर्ष एक निश्चित राशि का प्रावधान बजट में करती है।
- प्रत्यक्ष कर: वह कर जिसमे कर स्थापितकर्ता (सरकार) और करदाता के बीच प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है। अर्थात जिसके ऊपर कर लगाया जा रहा है सीधे वही व्यक्ति भरता है।
- अप्रत्यक्ष कर: वह कर जिसमे कर स्थापितकर्ता (सरकार) और भुगतानकर्ता के बीच प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता है अर्थात जिस व्यक्ति/संस्था पर कर लगाया जाता है उसे किसी अन्य तरीके से प्राप्त किया जाता है।
- राजस्व घाटा: सरकार को प्राप्त कुल राजस्व एवं सरकार द्वारा व्यय किये गए कुल राजस्व का अंतर ही राजस्व घाटा है।
- राजकोषीय घाटा: सरकार के लिए कुल प्राप्त राजस्व, अनुदान और गैर-पूंजीगत प्राप्तियों कि तुलना होने वाले कुल व्यय का अतिरेक है अर्थात आय (प्राप्तियों) के सन्दर्भ में व्यय कितना अधिक है।
- बॉण्ड अथवा डिबेंचर: ऐसे ऋण पत्र होते है जिन्हें केंद्र सरकार, राज्य सरकार, अथवा कोई संसथान जारी करता है इन ऋण पत्रों पर एक निश्चित अवधि पर निश्चित दर से ब्याज प्राप्त होता है।
- प्रतिभूति: वित्तीय परिसंपत्तियों जैसे शेयर, डिबेंचर, व अन्य ऋण पत्रों के लिए संयुन्क्त रूप से प्रतिभूति शब्द का प्रयोग किया जाता है। बैंकिग में भी ऋणों कि जमानत के सन्दर्भ में प्रतिभूति शब्द का प्रयोग होता है।
अल्पविकसित देशों को विश्व की अर्थव्यवस्था की 'गन्दी बस्तियाँ' कहा है | प्रो० केयर्नक्रॉस ने |
भारत में सर्वाधिक नगरीकरण वाला राज्य है | महाराष्ट्र |
सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व में स्थान है | 12वाँ |
क्रय शक्ति के आधार पर भारत की अर्थव्यवस्था का विश्व में स्थान है | चौथा |
उपभोक्ता की बचत का सिद्धांत दिया है | अल्फ्रेड मार्शल ने |
'बिग पुश सिद्धांत' दिया है | रॉडन ने |
सहकारिता आंदोलन से संबंधित है | मिर्धा समिति |
भारत में निवेश करने वाले प्रमुख देश हैं | सं० रा० अमेरिका एवं ब्रिटेन |
कर ( Tax ) सुधार हेतु सुझाव देने के लिए 1991 ई० में गठित समिति है | चेलैया समिति |
'राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान' की स्थापना 1977 ई० में की गई थी | हैदराबाद में |
भारतीय अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र में आता है | कृषि |
भारतीय अर्थव्यवस्था के द्धितीयक क्षेत्र में आता है | उधोग, बिजली एवं निर्माण कार्य |
भारतीय अर्थव्यवस्था के तृतीयक क्षेत्र में आता है | व्यापार, परिवहन, संचार तथा सेवा |
मिश्रित अर्थव्यवस्था कहलाता है | निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों का सह - अस्तित्व |
📅 Last update : 2020-08-11 19:02:34