आगा खान पैलेस संक्षिप्त जानकारी
स्थान | पुणे, महाराष्ट्र (भारत) |
निर्माण | 1892 ई. |
निर्माता | सुल्तान मोहम्मद शाह आगा खान III |
प्रकार | महल, संग्रहालय |
आगा खान पैलेस का संक्षिप्त विवरण
महाराष्ट्र भारत के सबसे विशालकाय और समृद्ध राज्यों में से एक है। यह राज्य न केवल भारत में सबसे धनी राज्य है बल्कि इसमें काफी सारे ऐतिहासिक स्थलों का भी भंडार मौजूद है जिनमे से एक है आगा खान पैलेस। आगा खान पैलेस का इतिहास भारत के सबसे महान व्यक्ति महात्मा गाँधी से जुड़ा हुआ है।
आगा खान पैलेस का इतिहास
इस विश्व प्रसिद्ध महल का निर्माण वर्ष 1892 ई. में सुल्तान मोहम्मद शाह आगा खान III द्वारा अपने विश्राम के लिए करवाया गया था। वर्ष 1942 में आयोजित भारत छोड़ो आंदोलन के शुभारंभ के बाद महात्मा गांधी, उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और उनके सचिव महादेव देसाई को 9 अगस्त 1942 से 6 मई 1944 तक इस महल में बंदी बना लिया गया था।
इस महल में कस्तूरबा गांधी और महादेव देसाई की कैद की अवधि में ही मृत्यु हो गई थी, जिस कारण उनकी समाधियाँ वहां स्थित हैं। लगभग 1960 के दशक के आस-पास यह महल आगा खान चतुर्थ द्वारा भारतीय लोगों को महात्मा गाँधी के दर्शन और सम्मान हेतु सौंप दिया गया था, जिसके बाद से इस महल पर भारत सरकार का नियंत्रण है।
आगा खान पैलेस के रोचक तथ्य
- इस भव्य और ऐतिहासिक संग्रहालय का निर्माण लगभग 1892 ई. के आस-पास प्रसिद्ध शासक सुल्तान मोहम्मद शाह आगा खान III द्वारा करवाया गया था।
- इस महल का निर्माण राजा द्वारा इसलिए कराया गया था ताकि आस-पास के गाँवों में फैले हुये आकाल से लोगो को निकाला जा सके, इस महल के निर्माण के लिए लगभग 1000 स्थानीय मजदूरों का उपयोग किया गया था।
- इस महल के निर्माण में लगभग 5 वर्षो से अधिक का समय लगा था जिसमे लगभग 12 लाख रुपये की लागत आई थी।
- इस भव्य महल में 1942 ई. से लेकर 1944 ई. तक महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और महादेव देसाई को अंग्रेजो द्वारा अपना कैदी बना लिया गया था।
- इस अद्भुत महल में 15 अगस्त 1942 ई. में महादेव देसाई और 22 फरवरी 1944 ई. में कस्तूरबा गांधी की कैद के दौरान ही मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद इस महल में उनकी समाधि व् संग्रहालय बनवाने का कार्य किया गया था।
- यह इमारत भारत के सबसे खूबसूरत इमारतो में से एक है, यह लगभग 19 एकड़ के क्षेत्रफल में फैली हुई है जिसमे से केवल 7 एकड़ में ही इमारत बनाई गई है बाकी के हिस्से में घास का मैदान बना हुआ है।
- यह संग्रहालय लगभग 3 मंजिला है, जिसमे सबसे निचला तल 1756 वर्ग मीटर, प्रथम तल 1080 वर्ग मीटर और द्वितीय तल 445 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में निर्मित किये गये है।
- इस संग्रहालय के चारों ओर लगभग 2.5 मीटर का गलियारा बनाया गया है।
- वर्ष 1969 ई. में यह महल स्थानीय जनता के लिए खो दिया गया था ताकि वह महात्मा गांधी और उनके समर्थको को याद कर सके और वर्ष 1972 ई. में प्रिंस करीम आगा खान ने इस स्मारक को पूर्ण रूप से गांधी स्मारक समिति को सौंप दिया था।
- वर्ष 1974 ई. भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने इस जगह का दौरा किया था और उन्होंने इसके रखरखाव के लिए हर साल लगभग 200,000 रूपये आवंटित करने का वायदा किया था।
- वर्ष 1990 के दशक तक इस महल को सरकार द्वारा लगभग 1 मिलियन रूपये दे दिए गये थे, जिसके बाद भारत के राष्ट्रीय स्मारक पर धन के अनुचित आवंटन पर रोक लगा दी गई थी।
- वर्ष 2003 ई. में इसे भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा गांधी राष्ट्रीय स्मारक के रूप में बदल दिया गया था, जिसके बाद इसमें महात्मा गांधी व अन्य प्रसिद्ध नेताओ की यादगार वस्तुओं को रखा गया था।
- इस महल में गांधी स्मारक समाज द्वारा कई कार्यक्रमों को सार्वजनिक तौर पर मनाया जाता है, जिसमें 30 जनवरी को शहीद दिवस, महाशिवरात्री (कस्तूरबा गाँधी की याद में), 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस और 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती शामिल है।