अर्नाला किला संक्षिप्त जानकारी
स्थान | वसई शहर, महाराष्ट्र राज्य (भारत) |
निर्माण | 1516 ई॰ |
प्रथम निर्माता | बाजीराव शिवाजी |
पुनर्निर्माता | सुल्तान महमूद बेगड़ा |
वास्तुकला | प्राचीन मुगल वास्तु शैली |
प्रकार | किला |
किले की वर्तमान स्थिति | संरक्षित खंडहर |
किले पर नियंत्रणकर्ता | बाजीराव शिवाजी, पुर्तगाली राजा, मराठा साम्राज्य एवं ईस्ट इंडिया कंपनी, एवं भारत सरकार |
अर्नाला किला का संक्षिप्त विवरण
अरनाला किला महाराष्ट्र के वसई शहर से उत्तर में 12 किलोमीटर दूर अरनाला द्वीप समूह पर स्थित है। यह किला महाराष्ट्र के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। इसकाएक कारण यह है , की यह एक द्वीप पर स्थित है। इस किले की खास बात यह है की यह चारो तरफ से पानी से घिरा हुआ है जिसके कारण इसे कई नामो से जाना जाता है। इस किले को जलदुर्ग के नाम से जाना जाता है और अरनाला शहर के स्थानीय लोग इसे जंजीर-अरनाला के नाम से संदर्भित करते हैं।
अर्नाला किला का इतिहास
अरनाला किले का निर्माण कार्य 1516 ई॰ में वकई शहर के एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा किया गया था जिसका नाम सुल्तान महमूद बेगड़ा था । जब इसका निर्माण हुआ तब इस पर मराठा साम्राज्य का अधिकार था परंतु 1530 ई॰ में पुर्तगालियों ने जब फोर्ट बेससीन में अपना मुख्यालय स्थापित किया तब उन्होने अरनाला किले के द्वीप पर भी अपना नियंत्रण हासिल कर लिया। पुर्तगालियों ने इसे एक रईस नामक पुर्तगाली को भेंट में दान दे दिया।
उसने पुराने किले के कुछ भाग को नष्ट कर उनको दौबरा बनवाया तब से यह किला लगभग 2 दशक तक पुर्तगालीयों के पास रहा इसके बाद इस किले पर कब्जा करने के लिए मुगल साम्राज्य ने भी काफी संघर्ष किये परंतु वह असफल रहे। 1737 ई॰ में मराठा साम्राज्य के राजा बाजी राव प्रथम ने इस किले पर नियंत्रण पाने के लिए अपने भाई चिमाजी अप्पा को भेजा और वह इस कार्य को करने में सफल हुआ। उसने किले पर आक्रमण कर उस पर अपना अधिपत्य स्थापित कर उसे पुन निर्माण करवाया परंतु जब प्रथम एंग्लो-मराठा युद्ध हुआ तब 1781 ई॰ में इस पर अंग्रेज़ो ने कब्जा कर लिया।
अर्नाला किला के रोचक तथ्य
- अरनाला किले के अंदर एक बड़ा अष्टकोणीय ताजे पानी का जलाशय है।
- इस किले के भीतर अंबकेश्वर, देवी भवानी तथा भगवान शिव की मूर्तियाँ हैं।
- किले के अंदर शाहली और हज्जाली की कब्रें हैं।
- श्री नित्यानंद महाराज की 'पादुका' किले के पूर्वी मुख पर एक गुंबद में रखे हुए हैं।
- किले के प्रवेश द्वार पर कई प्रकार के ठोस चित्र बने हुए हैं, जिनमें हाथियों एवं बाघों के सुंदर चित्र हैं।
- किले के दक्षिण ओर से लगभग 550 मीटर दूर एक मार्टेलो टावर हैं यह टावर लगभग 19 वीं शताब्दी के दौरान ब्रिटिश साम्राज्य में बनाए गए थे। परंतु इसमें कोई प्रवेश द्वार नहीं है।
- वर्तमान में यह किला बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है। किले पर लगातार आक्रमण होने के कारण यह एक खंडहर के रूप में हो गया है, परंतु फिर भी अरब सागर का दृश्य पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
- किले के चारो तरफ पानी होने के कारण यह आने के लिए लोग नौका इत्यादि का प्रयोग करते हैं जिससे यह किला बेहद खूबसूरत दिखाई देता है।
अर्नाला किला कैसे पहुँचे
- अरनाला किले के लिए विरार रेलवे स्टेशन सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हैं जो केवल 10 किलोमीटर दूर स्थित है। वहाँ से ऑटो रिक्शा इत्यादि से किले नजदीकी तट पर आया जा सकताहै।
- इसके अलावा अरनाला किले निकटतम हवाई अड्डा छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।