इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए सुमित्रानंदन पंत से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Sumitranandan Pant Biography and Interesting Facts in Hindi.
सुमित्रानंदन पंत के बारे में संक्षिप्त जानकारी
नाम | सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant) |
जन्म की तारीख | 20 मई 1990 |
जन्म स्थान | कौसानी, उत्तर-पश्चिमी प्रांत, ब्रिटिश भारत |
निधन तिथि | 28 दिसम्बर 1997 |
माता व पिता का नाम | सरस्वती देवी / गंगा दत्त पन्त |
उपलब्धि | 1968 - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रथम हिंदी साहित्यकार |
पेशा / देश | पुरुष / साहित्यकार / भारत |
सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant)
सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य के एक मशहूर कवि थे। इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला" और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है। सुमित्रानंदन पंत को हिन्दी का ‘वर्डस्वर्थ" कहा जाता है। सुमित्रानंदन पंत ऐसे साहित्यकारों में गिने जाते हैं, जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था। वर्ष 1968 में सुमित्रानंदन पंत को उनकी प्रसिद्ध कविता संग्रह “चिदम्बरा” के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
सुमित्रानंदन पंत का जन्म
सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले के कैसोनी गाँव में हुआ था। इनका वास्तविक नाम गुसाईं दत्त था। इनके पिता का नाम गंगा दत्त पन्त और माता का नाम सरस्वती देवी था
सुमित्रानंदन पंत का निधन
कौसानी चाय बाग़ान के व्यवस्थापक के परिवार में जन्मे महाकवि सुमित्रानंदन पंत की मृत्यु 28 दिसम्बर, 1977 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुई।
सुमित्रानंदन पंत का करियर
सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है। मात्र सात वर्ष की उम्र में, जब पंत चौथी कक्षा में ही पढ़ रहे थे, उन्होंने कविता लिखना शुरु कर दिया था। 1918 के आसपास तक वे हिंदी के नवीन धारा के प्रवर्तक कवि के रूप में पहचाने जाने लगे थे। इस दौर की उनकी कविताएं वीणा में संकलित हैं। 1926 में उनका प्रसिद्ध काव्य संकलन ‘पल्लव" प्रकाशित हुआ था। वर्ष 1938 में उन्होंने मासिक पत्र निकाला जिसका नाम "रूपाभ" था वे 1950 से 957 तक आकाशवाणी से जुडे रहे और मुख्य-निर्माता के पद पर कार्य किया। उनकी विचारधारा योगी अरविन्द से प्रभावित भी हुई जो बाद की उनकी रचनाओं "स्वर्णकिरण" और "स्वर्णधूलि" में देखी जा सकती है। “वाणी” तथा “पल्लव” में संकलित उनके छोटे गीत विराट व्यापक सौंदर्य तथा पवित्रता से साक्षात्कार कराते हैं। सन् 1922 में उच्छ्वास और 1926 में पल्लव का प्रकाशन हुआ। उन्होंने मधुज्वाल नाम से उमर खय्याम की रुबाइयों के हिंदी अनुवाद का संग्रह निकाला और डाॅ○ हरिवंश राय बच्चन के साथ संयुक्त रूप से खादी के फूल नामक कविता संग्रह प्रकाशित करवाया।
सुमित्रानंदन पंत के बारे में अन्य जानकारियां
कौसानी में उनके बचपन के घर को एक संग्रहालय में बदल दिया गया है। यह संग्रहालय उनके दैनिक उपयोग के लेख, उनकी कविताओं के ड्राफ्ट, पत्र, उनके पुरस्कार, किताबें, कहानियां आदि प्रदर्शित करता है।
सुमित्रानंदन पंत के पुरस्कार और सम्मान
1960 में, पंत को कला अकादमी और बुध्द चंद के लिए भारत के एकेडमी ऑफ लेटर्स द्वारा दिया गया साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। 1969 में, पंत ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले पहले हिंदी कवि बन गए, जिन्हें साहित्य के लिए भारत का सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है। कला और बूढ़ा चाँद के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, लोकायतन पर "सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार" एवं "चिदंबरा" पर इन्हें "भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार" प्राप्त हुआ था। “लोकायतन” कृति के लिए उन्हें सोवियत संघ सरकार की ओर से ‘नेहरु शांति पुरस्कार" से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार ने उन्हें 1961 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। सुमित्रा नंदन पंत ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के कुलपति "-जयति विद्या संस्थान" की रचना की।
भारत के अन्य प्रसिद्ध साहित्यकार
व्यक्ति | उपलब्धि |
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गोविन्द शंकर कुरुप की जीवनी | भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रथम साहित्यकार |
बालकृष्ण शर्मा की जीवनी | साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में ‘पद्म भूषण" पुरस्कार से सम्मानित |