इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे हरिलाल जेकिसुनदास कनिया (Harilal Jekisundas Kania) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए हरिलाल जेकिसुनदास कनिया से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Harilal Jekisundas Kania Biography and Interesting Facts in Hindi.
हरिलाल जेकिसुनदास कनिया के बारे में संक्षिप्त जानकारी
नाम | हरिलाल जेकिसुनदास कनिया (Harilal Jekisundas Kania) |
जन्म की तारीख | 03 नवम्बर 1890 |
जन्म स्थान | सूरत, ब्रिटिश भारत (अब गुजरात, भारत) |
निधन तिथि | 06 नवंबर 1951 |
पिता का नाम | जेकिसुंदास |
उपलब्धि | 1950 - सर्वोच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश |
पेशा / देश | पुरुष / वकील / भारत |
हरिलाल जेकिसुनदास कनिया (Harilal Jekisundas Kania)
एच. जे. कनिया भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। 26 जनवरी को जब स्वतंत्र भारत एक गणराज्य बना तो हरिलाल जेकिसुनदास कनिया देश के सर्वोच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश बने और उन्होने भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के सामने अपनी शपथ ग्रहण की। उनका कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 06 नवम्बर 1951 तक रहा।
हरिलाल जेकिसुनदास कनिया का जन्म
हरिलाल जेकिसुनदास कनिया का जन्म 1890 में सूरत, ब्रिटिश भारत (अब गुजरात, भारत) के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जेकिसुनदास था। इनके पिता शामलदास कॉलेज में पहले संस्कृत प्राध्यापक रहे और फिर बाद में प्रधानाचार्य के रूप में काम करते था| इनके बड़े भाई का नाम हीरालाल जेकिसुनदास था जो एक वकील थे|
हरिलाल जेकिसुनदास कनिया का निधन
हरिलाल जेकिसुनदास कनिया का निधन 6 नवंबर 1951 (आयु 61 वर्ष) को नई दिल्ली , भारत में अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई थी।
हरिलाल जेकिसुनदास कनिया की शिक्षा
हीरालाल कानिया 1987 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और बाद में मुख्य न्यायाधीश बने। कनिया ने 1910 में सामलदास कॉलेज से बीए किया, उसके बाद 1912 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बॉम्बे से एलएलबी और 1913 में उसी संस्थान से एलएलएम किया। 1915 में उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में बैरिस्टर के रूप में प्रैक्टिस शुरू की, बाद में कुसुम से शादी की। कुसुम सर चुन्नीलाल मेहता की बेटी थीं, जो कभी बंबई के गवर्नर की कार्यकारी परिषद की सदस्य थे।
हरिलाल जेकिसुनदास कनिया का करियर
हरिलाल जेकिसुनदास कनिया इंडिया लॉ रिपोर्ट्स के कार्यकारी सम्पादक थे। वर्ष 1930 में कुछ वक़्त के लिए वह बम्बई उच्च न्यायालय में कार्यकारी न्यायाधीश बने और जून 1931 में वह उसी न्यायालय में उच्च न्यायाधीश पद पर नियुक्त हुए। यह पद उन्होने 1933 तक सम्भाला। वर्ष 1943 की बर्थडे ऑनर्ज़ लिस्ट में कनिया का नाम था और उन्हे सर की उपाधि मिली। 14 अगस्त 1947 को संघीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीष सर पैट्रिक स्पेन्ज़ सेवानिवृत्त हुए और तब यह पद हरिलाल जेकिसुनदास कनिया को मिला। 26 जनवरी को जब स्वतनत्र भारत एक गणराज्य बना तो कनिया देश के सर्वोच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश बने और उन्होने अपनी शपथ भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद के सामने पढ़ी।
हरिलाल जेकिसुनदास कनिया के पुरस्कार और सम्मान
वर्ष 1943 की बर्थडे ऑनर्ज़ लिस्ट में कनिया का नाम था और उन्हे सर की उपाधि मिली।
भारत के अन्य प्रसिद्ध वकील
व्यक्ति | उपलब्धि |
---|---|
विनोबा भावे की जीवनी | रेमन मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय |
वायलेट अल्वा की जीवनी | राज्यसभा की प्रथम महिला उपाध्यक्ष |
लाल मोहन घोष की जीवनी | ब्रिटिश संसद हेतु चुनाव लड़ने वाले प्रथम भारतीय पुरुष |
अरुण जेटली की जीवनी | भारत के 20वें वित्त मंत्री |
जगदीश सिंह खेहर की जीवनी | भारत के पहले सिख मुख्य न्यायाधीश |
नीरू चड्ढा की जीवनी | ‘इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ द सी" की न्यायाधीश बनने वाली पहली भारतीय |
महात्मा गांधी की जीवनी | अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन |