भारत के वित्त आयोगों की सूची
वित्त आयोग: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 में वित्त आयोग की व्यवस्था की गई हैं। वित्त आयोग का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, परन्तु आवश्यकतानुसार पहले भी इसका गठन किया जा सकता हैं। उल्लेखनीय है कि देश में कर लगाने का काम केंद्र तथा राज्य सरकारें दोनों करती हैं और दोनों के लिए कर लगाने व उनकी वसूली की प्रक्रिया/अधिकार क्षेत्र निश्चित है।
केंद्र सरकार कुछ ऐसे कर लगाती व वसूलती है जिनका विभाजन होता है यानी उनका कुछ हिस्सा राज्यों को जाता है। संविधान के अनुच्छेद-280 (1) के प्रावधानों के तहत वित्त आयोग संवैधानिक व सांविधिक निकाय है। पहला वित्त आयोग 22 नवंबर 1951 को गठित हुआ था।
वित्त आयोग का संक्षिप्त विवरण
नाम | वित्त आयोग |
स्थापना | 22 नवंबर 1951 |
मुख्यालय | नई दिल्ली |
अधिकार - क्षेत्र | भारत सरकार |
स्थापना का उद्देश्य | भारत के केन्द्रीय सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच वित्तीय सम्बन्धों को पारिषित करना। |
प्रथम अध्यक्ष | क्षितिज चंद्र नियोगी |
वर्तमान अध्यक्ष | एन.के. सिंह |
वित्त आयोग का कार्यकाल | 5 वर्ष |
वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सद्स्यों का चुनाव: वित्त आयोग का अध्यक्ष सार्वजनिक मामलों का अनुभवी होना चाहियें, बाकी चार अन्य सदस्य निम्नलिखित क्षेत्रों से चुने जायेगें:-
- उच्च न्यायालय का न्यायाधीष/इस पद के योग्य व्यक्ति।
- भारत का लेखा तथा वित्त मामलों का विषेषज्ञ।
- प्रशासन व वित्तिय मामलों का विशेषज्ञ।
- जो अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञाता हों।
वित्त आयोग के कार्य:
- करों के सभी बंटवारे और केन्द्र एवं राज्यों के बीच करों का सही निर्धारण।
- केन्द्र व राज्यों को प्रदान की जाने वाली सहायता राशि का निर्धारण।
- नगरपालिकाओं, पंचायतों के लिये नियमित राशि व संसाधनों का निर्धारण। यह सिफारिश राज्य वित्त आयोग की संस्तुति के आधार पर की जायेगी।
- ऐसे कार्य जो राष्ट्रपति द्वारा भेजे जायें/निर्धारित हों।
14वें वित्त आयोग का गठन रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई. वी. रेड्डी की अध्यक्षता में 01 जनवरी 2013 को हुआ। जिसने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी। इसकी सिफारिशें 01 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2020 तक है। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नवम्बर 2017 में 15वें वित्त आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। भारत सरकार द्वारा एनके सिंह को 15वें वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। नए वित्त आयोग की सिफारिशें 01 अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाले पांच साल की अवधि के लिए होंगी।
आयोग केंद्र व राज्य सरकारों के वित्त, घाटे, ऋण स्तर व राजकोषीय अनुशासन प्रयासों की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करेगा। यह राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की व्यवस्था पर सुझाव देगा। वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसका गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत हर 5 साल में होता है।
वित्त आयोग के अध्यक्षों की सूची:
वित्त आयोग | अध्यक्ष का नाम | कार्यकाल अवधि |
पहला | क्षितिज चंद्र नियोगी | 1952 से 1957 तक |
दूसरा | कस्तुरीरंगा संथानम | 1957 से 1962 तक |
तीसरा | ए.के.चंदा | 1962 से 1966 तक |
चौथा | पाकला वेंकटरामन राव राजामन्नर | 1966 से 1969 तक |
पॉचवां | महावीर त्यागी | 1969 से 1974 तक |
छठा | ब्रह्मानन्द रेड्डी | 1974 से 1979 तक |
सातवां | जे.एम.शैलट | 1979 से 1984 तक |
आठवां | वाई.वी. चव्हाण | 1984 से 1989 तक |
नौवां | एन.के.पी.साल्वे | 1989 से 1995 तक |
दसवां | कृष्ण चंद्र पंत | 1995 से 2000 तक |
ग्यारहवां | डा. अली मोहम्मद खुसरो | 2000 से 2005 तक |
बारहवां | चक्रवर्ती रंगराजन | 2005 से 2010 तक |
तेरहवां | विजय.एल.केलकर | 2010 से 2015 तक |
चौदहवां | डॉ. यागा वेणुगोपाल रेड्डी | 2015 से 2020 तक |
पंद्रहवां | एनके सिंह | 2020 से 2025 तक |
वित्त आयोग से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
- वित्त आयोग के पहले अध्यक्ष के.सी. नियोगी थे।
- वित्त आयोग में एक अध्यक्ष और चार अन्य अध्यक्ष होते है, जिनका कार्यकाल राष्ट्रपति आदेश द्वारा तय किया जाता है। इनकी पुर्ननियुक्ति भी हो सकती हैं।
- इनकी योग्यता का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता हैं।
- वित्त आयोग 05 साल की अवधि के लिए सिफारिशें देता है।
- वित्त आयोग का मुख्य काम केंद्र-राज्यों के बीच करों की हिस्सेदारी तय करना है।
अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?
☞ वित्त आयोग से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗
यह भी पढ़ें:
- संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, कार्य एवं भूमिका 🔗
- भारत की प्रमुख जांच समितियाँ एवं आयोग के नाम 🔗
- राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष 1992 से 2023 तक 🔗
- भारतीय चुनाव आयोग का इतिहास, कार्य एवं मुख्य शक्तियाँ 🔗
वित्त आयोग प्रश्नोत्तर (FAQs):
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। वह जनता दल (यूनाइटेड) के लिए बिहार से राज्यसभा (2008-2014) में संसद सदस्य के रूप में कार्य करने के बाद मार्च 2014 से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सदस्य हैं।
वित्त आयोग को भारत में केंद्र और राज्यों के बीच और राज्यों के बीच वित्त को विनियमित करने वाला सर्वोच्च संवैधानिक निकाय माना जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित, भारत का वित्त आयोग एक अर्ध-न्यायिक निकाय के रूप में कार्य करता है।
पहला वित्त आयोग 22 नवंबर 1951 को अस्तित्व में आया और इसके अध्यक्ष क्षितिज चंद्र नेगी थे। चंद्र मोहन सिंह नेगी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और 8वीं लोकसभा और 9वीं लोकसभा के सदस्य थे। उन्होंने गढ़वाल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और कांग्रेस राजनीतिक दल के सदस्य थे ।
भारत में वित्त आयोग की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के प्रावधानों के अनुसार वित्त आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है। वित्त आयोग आमतौर पर एक अध्यक्ष और अन्य सदस्यों से बना होता है जो वित्त, अर्थशास्त्र या संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं।
वित्त आयोग का गठन सामान्यतः पाँच वर्षों के लिए किया जाता है। वित्त आयोग की प्राथमिकता भारत के संविधान के अनुच्छेद 280 के अनुसार, हर पांच साल में एक नए आयोग का गठन किया जाना है। यह निर्देश भारतीय संविधान के आर्थिक विभाजन और आर्थिक नियंत्रण के संबंध में निर्णय और सुझाव प्रस्तुत करना है।