भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के नाम एवं कार्यकाल: (List of Comptroller and Auditor General (CAG) of India)
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ('कंट्रोलर एण्ड ऑडिटर जनरल' अर्थात 'कैग') को आम तौर पर 'कैग' के नाम से जाना जाता है।भारतीय संविधान के अध्याय 5 द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी है जो भारत सरकार तथा सभी प्रादेशिक सरकारों के आय-व्यय का लेखांकन करता है। वह सरकार के स्वामित्व वाली कम्पनियों का भी लेखांकन करता है। उसकी रिपोर्ट पर सार्वजनिक लेखा समितियाँ ध्यान देती है। नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का भी मुखिया होता है।
यही संस्था सार्वजनिक धन की बरबादी के मामलों को समय-समय पर प्रकाश में लाती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन किया गया है। इस समय पूरे भारत की इस सार्वजनिक संस्था में 58,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक का कार्यालय 9 दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर नई दिल्ली में स्थित है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:
- सीएजी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है और इसे उसके पद से केवल उन्हीं आधारों पर हटाया जाएगा, जिस प्रकार से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
- सीएजी भारत सरकार और राज्य सरकार के व्यय के खातो की लेखा जांचना करने का उत्तरदायी होता है, कैग सुनिश्चित करता है की धन का विवेकपूर्ण ढंग से, विधि पूर्वक वैध साधनों के माध्यम से उपयोग किया गया है और वित्तीय अनियमित्ता की भी जांच करता है।
- डा. भीमराव अंबेडकर के अनुसार, कैग भारतीय संविधान का चौथा स्तम्भ है, अन्य तीन हैं, सर्वोच्च न्यायालय, लोक सेवा आयोग, चुनाव आयोग।
- सीएजी का कार्यकाल, वेतन और सेवानिवृत्त होने की आयु का निर्धारण संसद में पारित किये गए कानून के अनुसार किया जायेगा। सीएजी का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है और सेवानिवृत्त होने की आयु 65 वर्ष होती है।
- सीएजी के हाथों में मामलो आने के बाद वह किसी अन्य सरकारी या सावर्जनिक पद को ग्रहण करने का अधिकारी नहीं होता है।
- सीएजी के रूप में नियुक्त व्यक्ति तीसरी अनुसूची में दिए प्रयोजन के अनुसार, अपना कार्यभार सँभालने से पूर्व राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेते है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के कर्तव्य और शक्तियां:
अनुच्छेद 149 कैग के कर्तव्यों और शक्तियों को निर्धारित करने के लिए संसद को अधिकृत करता है। वह भारत के संचित निधि और प्रत्येक राज्य की संचित निधि तथा प्रत्येक संघ राज्य क्षेत्र की संचित निधि का ऑडिट (लेखा परीक्षा) करता है। इसी तरह, प्रत्येक राज्य और भारत की आकस्मिकता निधि के व्यय का ऑडिट करता है।
वह अपनी सुनिश्चितता हेतु प्रत्येक राज्य तथा केंद्र की प्राप्तियों और व्यय ऑडिट करता है। तथा नियम और प्रक्रियाएं जिनकी रचना अनियमित खर्च की प्रभावी परीक्षा निश्चित करने के लिए हुई है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्य दिये गए हैं। कैग निम्नलिखित के व्यय और प्राप्तियों का ऑडिट करता है:-
- सरकारी कम्पनी।
- केंद्र तथा राज्य के राजस्व से वित्तपोषित सभी संस्थाएं और प्रशासन।
- कानून के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर, अन्य संस्थाएं।
- वह राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल के अनुरोध पर अन्य किसी संस्था के खाते का ऑडिट(लेखा परीक्षा) करता है।
- वह केंद्र के खातों की रिपोर्ट राष्ट्रपति को जमा करता है जो उसे संसद के सामने प्रस्तुत करते हैं।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक 2023:
गिरीश चंद्र मुर्मू भारत के 14 वें नियंत्रक और महालेखा परीक्षक और अंतर-संसदीय संघ के बाहरी लेखा परीक्षक हैं। वह संयुक्त राष्ट्र पैनल ऑफ एक्सटर्नल ऑडिटर्स के अध्यक्ष भी हैं और अगस्त 2020 तक जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल थे। वह 1985 बैच के गुजरात कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के दौरान प्रमुख सचिव थे।
भारतीय नियंत्रक और महालेखा परिकक्षों की सूची:
नाम | कार्यकाल अवधि (कब से कब तक) |
वी. नाराहरी राव | 1948-1954 |
ए. के. चंदा | 1954-1960 |
ए. के. रॉय | 1960-1966 |
एस. रंगनाथन | 1966-1972 |
ए. बख्शी | 1972-1978 |
ज्ञान प्रकाश | 1978-1984 |
टी. एन. चतुर्वेदी | 1984-1990 |
सी. जी. सोमिया | 1990-1996 |
वी. के. शुंगलू | 1996-2002 |
वी.एन. कौल | 2002-2008 |
विनोदराई | 2008-2013 |
शशिकांत शर्मा | 2013-2017 |
राजीव महर्षि | 24 सितम्बर 2017-07 अगस्त 2020 |
गिरीश चंद्र मुर्मू | 08 अगस्त 2020-वर्तमान |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति कौन करता है? भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक एक स्वतंत्र संस्था के रूप में कार्य करते हैं और इस पर सरकार का नियंत्रण नहीं होता। भारत के नियंत्रण और महालेखापरीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं| नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का भी मुखिया होता है|
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को कैसे हटाया जाता है? भारत के एक नियंत्रक-महालेखापरीक्षक होगा जिसकेा राष्ट्रपति अपने हस्तााक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा और उसे उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्ही आधारों पर हटाया जाएगा जिस रीति से और जिन आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
- कैग (CAG) की स्थापना कब हुई? कैग (CAG) की स्थापना वर्ष 1858 में हुई थी।
- भारत के प्रथम नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कौन थे? भारत के प्रथम नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वी० नरहरि राव थे। जिन्हें वर्ष 1948 में भारत का प्रथम नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक बनाया गया था।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक 2022 कौन है? श्री गिरीश चन्द्र मुर्मू ने 8 अगस्त 2020 को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है।
अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?
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प्रश्नोत्तर (FAQs):
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 148 के अनुसार की जाती है। इस कार्य के लिए अध्यक्ष के पदाधिकारी चयन एवं नियुक्ति की प्रक्रिया का पालन करते हैं।
मई 2013 में शशि कांत शर्मा को भारत के नए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के रूप में नियुक्त किया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय, निर्वाचन आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, नियंत्रक महालेखा परीक्षक का कार्यालय जैसी संस्थाओं में एक लक्षण समान है, वो यह की ये सभी संवैधानिक संस्थाएँ हैं। संवैधानिक संस्थाएं वैसी संस्थाएं होती है जिनका वर्णन भारत के संविधान के अंतर्गत किया गया है। अर्थात इन संस्थाओं के कार्यों ,शक्तियों तथा इससे संबंधित अन्य उल्लेख भारत के संविधान के 22 भागों तथा 395 अनुच्छेद मैं से किसी विशेष भाग तथा विशेष अनुच्छेद के अंतर्गत किया गया है।
भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) भारत सरकार के लिए मुख्य लेखाकार और लेखा परीक्षक के रूप में कार्य करता है। उन्हें राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन की जांच करने, सरकारी खातों का मूल्यांकन और नियंत्रण करने, सरकारी व्यय की जांच आदि करना है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कार्यकाल सामान्यतः 6 वर्ष का होता है। उनकी नियुक्ति आयोग द्वारा की जाती है और उनका स्थानांतरण नहीं किया जा सकता। हालाँकि, इसे न्यायाधीश द्वारा किसी अन्य कारण से समाप्त किया जा सकता है।