राज्य स्तर पर सबसे कड़ी न्यायिक शक्ति देश में हाई कोर्ट यानी उच्च न्यायालय के पास होती है। देश में कुल 25 हाई कोर्ट हैं, जिनमें से सात में कई न्यायालय हैं। इनका क्षेत्राधिकार राज्य, केंद्र शासित प्रदेश या राज्यों के समूह पर होता है। सबसे पुराना हाई कोर्ट वर्ष 1862 में कलकत्ता में स्थापित हुआ था। हाई कोर्ट के तहत सिविल और आपराधिक निचली अदालतें और ट्रिब्यूनल कार्य करते हैं। परंतु सभी हाई कोर्ट भारत की सुप्रीम कोर्ट के तहत आते हैं।
भारतीय उच्च न्यायालयों की सूची:
न्यायालय (स्थापना वर्ष) | स्थापित अधिनियम | न्यायक्षेत्र |
हैदराबाद उच्च न्यायालय (05 जुलाई 1957) | उच्च न्यायालय अधिनियम, 1953 | आंध्र प्रदेश और तेलंगाना |
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (1971) | हिमाचल प्रदेश अधिनियम, 1970 | हिमाचल प्रदेश |
सिक्किम उच्च न्यायालय (16 मई 1975) | भारतीय संविधान का 38 वाँ संशोधन | सिक्किम |
राजस्थान उच्च न्यायालय (21 जून 1949) | राजस्थान उच्च न्यायालय अध्यादेश, 1949 | राजस्थान |
मेघालय उच्च न्यायालय (23 मार्च 2013) | पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम, 2012 | मेघालय |
मुंबई उच्च न्यायालय (14 अगस्त 1862) | उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 | महाराष्ट्र, गोवा, दादरा आणि नगर-हवेली, दमण आणि दीव. |
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (2 जनवरी 1936) | भारत सरकार अधिनियम, 1935 | मध्य प्रदेश |
मद्रास उच्च न्यायालय (5 अगस्त 1862) | उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 | तमिलनाडु, पुडुचेरी |
मणिपुर उच्च न्यायालय (25 मार्च 2013) | पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम, 2012 | मणिपुर |
पटना उच्च न्यायालय (2 सितम्बर 1916) | भारत सरकार अधिनियम, 1915 | बिहार |
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (15 अगस्त 1947) | उच्च न्यायालय (पंजाब) आदेश, 1947 | पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ |
दिल्ली उच्च न्यायालय (31 अक्टूबर 1966) | दिल्ली उच्च न्यायालय अधिनियम, 1966 | राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश (दिल्ली) |
त्रिपुरा उच्च न्यायालय (26 मार्च 2013) | पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम, 2012 | त्रिपुरा |
झारखण्ड उच्च न्यायालय (15 नवंबर 2000) | बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 | झारखंड |
जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय (28 अगस्त 1928) | पत्र अधिकार-दान-पत्र काश्मीरचे महाराजा यांनी जारी. | जम्मू और कश्मीर |
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (1 नवंबर 2000) | मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 | छत्तीसगढ |
गुवाहाटी उच्च न्यायालय (1 मार्च 1948) | भारत सरकार अधिनियम, 1965 | अरुणाचल प्रदेश, आसाम, नागालँड, मिझोरम |
गुजरात उच्च न्यायालय (1 मई 1960) | बॉम्बे पुनर्गठन अधिनियम, 1960 | गुजरात |
केरल उच्च न्यायालय (1956) | राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 | केरल, लक्षद्वीप |
कलकत्ता उच्च न्यायालय (2 जुलाई 1862) | उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 | पश्चिम बंगाल, अंदमान आणि निकोबार |
कर्नाटक उच्च न्यायालय (1884) | मैसूर उच्च न्यायालय अधिनियम, 1884 | कर्नाटक |
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय (9 नवंबर 2000) | उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 | उत्तराखण्ड |
उड़ीसा उच्च न्यायालय (3 अप्रैल 1948) | ओडिसा उच्च न्यायालय आदेश, 1948 | ओडिशा |
इलाहाबाद उच्च न्यायालय (11 जून 1866) | उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 | उत्तर प्रदेश |
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय (1 जनवरी 2019) | आंध्रप्रदेश |
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति:
उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय के परामर्शानुसार की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इस प्रसंग में राष्ट्रपति को परामर्श देने से पूर्व अनिवार्य रूप से चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के समूह से परामर्श प्राप्त करते हैं तथा इस समूह से प्राप्त परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं। अनुछेद 124 के अनुसार मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह लेगा।
वहीं अन्य जजों की नियुक्ति के समय उसे अनिवार्य रूप से मुख्य न्यायाधीश की सलाह माननी पड़ेगी। संविधान के अनुच्छेद 214 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय का प्रावधान है। अनुच्छेद 231 के तहत संसद को यह अधिकार प्राप्त है कि वह दो या अधिक राज्यों के लिए उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकता है। उच्च न्यायालय को अभिलेख न्यायालय अनुच्छेद 215 के अनुसार घोषित किया गया है।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यताएँ:
- व्यक्ति भारत का नागरिक हो।
- कम से कम पांच साल के लिए उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या दो या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम से कम पांच वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो।
- किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार दस वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका हो।
- वह व्यक्ति राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिए।
- उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने हेतु किसी भी प्रदेश के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश का पांच वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है और वह 62 वर्ष की आयु पूरी न किया हो।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का कार्यकाल:
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष होती है। न्यायाधीशों को केवल (महाभियोग) दुर्व्यवहार या असमर्थता के सिद्ध होने पर संसद के दोनों सदनों द्वारा दो-तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव के आधार पर ही राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
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