स्वर्ण मंदिर संक्षिप्त जानकारी
स्थान | अमृतसर, पंजाब (भारत) |
निर्माणकाल | 1581 ई. से 1604 ई. |
निर्माता | गुरु अर्जुन देव |
प्रकार | सांस्कृतिक, धार्मिक मंदिर |
स्वर्ण मंदिर का संक्षिप्त विवरण
भारत अपनी विभिन्न विविधताओं के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। भारत में कई प्रकार के धर्म, संस्कृति और जातियां पायी जाती है, जिनकी अपनी-अपनी एक खास विशेषता होती है। भारतीय राज्य पंजाब के शहर अमृतसर में स्वर्ण मंदिर सिखों का सबसे पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है।
जिस प्रकार हिंदुओं के लिए केदारनाथ, अमरनाथ, वैष्णो देवी और मुस्लिमों के लिए काबा व मक्का मदीना सबसे पवित्र स्थल माने जाते है, उसी तरह सिख धर्म के लोगों के लिए स्वर्ण मंदिर का अपना ही एक विशेष महत्व है।
स्वर्ण मंदिर सिखों का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। इसे "अथ सत तीरथ" के नाम से भी जाना जाता है। सिखों के पांचवें गुरु अर्जुनदेव जी ने स्वर्ण मंदिर (श्री हरिमंदिर साहिब) का निर्माण कार्य पंजाब के अमृतसर में शुरू कराया था।
स्वर्ण मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का इतिहास काफी रोचक है क्यूंकि इसके इतिहास में विभिन्न धर्मो के लोगो बीच एकता काफी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इस मंदिर के निर्माण का विचार पांचवें महान सिख गुरु अर्जुन देव ने दिया था। गुरु अर्जुन देव जी चाहते थे की एक ऐसे मंदिर का निर्माण कराया जाए जहां सिख आ कर ईश्वर की उपासना और मानवता की सेवा कर सके।
इस विचार को साकार करने के लिए गुरु रामदास साहब ने एक ज़मीनदार से जमीन खरीद ली। इस मंदिर की नींव एक मुस्लिम संत हजरत मियान मीर जी ने रखी और निर्माण की देखभाल गुरु अर्जुन देव ने की थी।
मंदिर का निर्माण 1581 में शुरू किया गया और 1604 तक इसे बनाकर पूर्ण लिया गया था। गुरु अर्जुन देव और बाबा बुद्ध जी द्वारा गुरू ग्रंथ साहिब को इस मंदिर में स्थापित किया गया था। इस मंदिर को सिख समुदायों के लिए तीर्थयात्रा के खोल दिया गया है।
स्वर्ण मंदिर के कुछ महत्वपूर्ण नियम:
- गुरुवाणी को सुनने के लिए आपको गुरूद्वारे के अंदर जमीन पर ही बैठना चाहिए।
- गुरूद्वारे के भीतर धूम्रपान, मदिरा पान आदि नशे की वस्तुएं पूर्णत: निषेध हैं।
- स्वर्ण मंदिर परिसर में जाने से पहले सभी व्यक्तियों को जूते बाहर निकालने होते हैं।
- गुरूद्वारे के भीतर जाते समय आपका सर ढंका होना चाहिए। मंदिर परिसर द्वारा सर ढंकने के लिए विशेष रूप से कपड़े या स्कार्फ प्रदान किए जाते हैं। सर ढकना ईश्वर के प्रति आदर प्रकट करने का एक तरीका है।
स्वर्ण मंदिर के रोचक तथ्य
- इस मंदिर के निर्माण में लगभग 20 वर्षो का समय लगा था। इसका निर्माण दिसंबर 1581 में शुरू हुआ और इसे 1604 ई. तक पूर्ण रूप से बना लिया गया था।
- गोल्डन टेम्पल को 1762 में अहमद शाह अब्दली नष्ट कर दिया था जिसके बाद इसका पुन निर्माण किया गया और 1830 में महाराजा रणजीत सिंह ने शुद्ध सोने से ढकवा दिया था।
- यह मंदिर 1809 में मरम्मत करने के दौरान संगमरमर और तांबे से पुनर्निर्मित किया गया था जिसे बाद में सोने से ढका गया था।
- 1984 में कुछ आतकंवादियों ने स्वर्ण मन्दिर को अपने कब्जे में ले लिया जिसके खिलाफ तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था, जिसमे मंदिर व कई सिखों को काफी क्षति पंहुची जिसके कारण क्रोधित कुछ सिख अंगरक्षको ने इंदिरा गाँधी को उन्ही के आवास के बाहर गोली मार उनकी हत्या कर दी थी।
- यह मंदिर सभी धर्मो की एकता का प्रतिनिधित्व भी करता है क्यूंकि इसकी नींव एक मुस्लिम संत हजरत मियान मीर जी ने रखी थी।
- इस मंदिर की सीढ़ियाँ अन्य पवित्र स्थानों की तरह ऊपर नहीं जाती बल्कि ये नीचे की तरफ उतरती हैं। यह पूरा मंदिर शहर के स्तर से काफी नीचे की ओर बना हुआ है।
- पहले इस मंदिर को श्री हरमंदिर साहिब और दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता था है जिसे बाद में सोने के कारण स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा।
- इस मंदिर में चारों दिशाओं से प्रवेश किया जा सकता है जो दर्शाता है कि विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को गुरुद्वारा में प्रवेश करने की अनुमति है।
- यह मंदिर चारो ओर से अमृत सरोवर नामक एक पवित्र तालाब से घिरा है जिसके बारे में यह मान्यता है की उसमे नहाने से व्यक्ति के सारे दुःख दूर हो जाते है।
- गुरुद्वारा के केंद्र में एक प्रचलित सिख संग्रहालय भी है, जिसमें सिख धर्म, इसके महान संतों और योद्धाओं से संबंधित अवशेष और कला कार्य सम्मिलित हैं।
- इस प्रसिद्ध मंदिर के प्रथम पुजारी श्री बाबा बुड्ढा जी थे।
- गोल्डन टेम्पल का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है जहां प्रतिदिन लगभग 1 लाख भक्तों के लिए निशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
- स्वर्ण मंदिर की सुंदरता, भव्यता बैसाखी, लोहड़ी, प्रकाशोत्सव, शहीदी दिवस, संक्रांति जैसे त्यौहारों पर और भी निखर जाती हैं।