पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू संक्षिप्त जानकारी
स्थान | काठमांडू, नेपाल |
निर्माण (किसने बनवाया) | लिच्छवी राजा प्रचंड देव |
निर्माण | 5वीं शताब्दी |
समर्पित | भगवान शिव |
प्रकार | ऐतिहासिक हिन्दू मंदिर |
वस्तुशैली | पैगोडा शैली |
पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू का संक्षिप्त विवरण
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल का एक पवित्र और प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है जो इसकी राजधानी काठमांडू से लगभग 5 कि.मी. की दूरी पर पूर्वी दिशा की ओर बागमती नदी तट पर स्थित है। इस व्यापक हिंदू मंदिर का प्रचलन पवित्र बागमती नदी के किनारे सदियों से बने मंदिरों, आश्रमों, चित्रों और शिलालेखों के विशाल संग्रह के रूप में होता रहा है। इस मंदिर को तमिल के 275 शिव के पवित्र निवास स्थानों में से एक माना जाता है। वर्तमान समय में यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल है।
पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू का इतिहास
मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण लिच्छवी राजा प्रचंड देव द्वारा 5वीं शताब्दी में करवाया गया था और समय के साथ इस 2 मंजिला मंदिर के आसपास कई और मंदिरों का निर्माण किया गया जिनमें 14वीं शताब्दी के एक राम मंदिर के साथ वैष्णव मंदिर परिसर और 11वीं शताब्दी की पांडुलिपि के अनुसार गुह्येश्वरी मंदिर शामिल हैं। परंतु इस मंदिर की उत्पत्ति के बारे में कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है
जिससे इतिहासकारों का मानना है कि पशुपतिनाथ मंदिर का अस्तित्व लगभग 400 ईसा पूर्व का है वहीं स्थानीय लोगो कि अलग-अलग मान्यताओं द्वारा कहा जाता है कि भगवान शिव और पार्वती ने एक बार मृग का रूप धारण किया और बागमती नदी के पूर्वी तट पर जंगल में अज्ञात खेल किया। देवताओं ने बाद में उसे पकड़ लिया और उसके सींगों में से एक को पकड़कर, उसे अपने दिव्य रूप में आने के लिए मजबूर किया था उसी टूटे हुए सींग को एक शिवलिंग के रूप में पूजा जाता था लेकिन समय के साथ इसे दफन कर दिया गया, और सदियों बाद आश्चर्यजनक रूप से चरवाहों ने स्थल पर गहरी खुदाई करते हुए, पशुपतिनाथ के दिव्य लिंग की खोज की थी।
पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू के रोचक तथ्य
- पशुपतिनाथ मंदिर को 1979 ई॰ में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में जोड़ा गया था
- पशुपतिनाथ मंदिर को काठमांडू का सबसे पुराना हिंदू मंदिर माना जाता है।
- पशुपतिनाथ मंदिर का परिसर लगभग 1.58 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है जिसमें 518 मंदिर और स्मारक शामिल हैं।
- मंदिर के पश्चिमी दरवाजे के सामने कांस्य से निर्मित नंदी बैल की एक विशाल मूर्ति है।
- मंदिर की मुख्य वास्तुकला पैगोडा शैली की है जिसे नेपाली शिवालय शैली में बनाया गया है।
- मुख्य मंदिर की छतें सोने के आवरण के साथ तांबे की हैं।
- मंदिर के चार मुख्य द्वार हैं जो चाँदी की चादरों से ढकें हैं जिसके साथ ही मंदिर का शिखर स्वर्ण से बना है।
- मंदिर परिसर के अंदर दो गर्भगृह हैं, बाहरी और आंतरिक जिसमें आंतरिक गर्भगृह में मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं और बाहरी गर्भगृह एक खुला गलियारा-जैसा स्थान है।
- मंदिर के आंतरिक परिसर में वासुकी नाथ मंदिर, उन्मत भैरव मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, कीर्तिमुख भैरव तीर्थ, बुधनीलकंठ तीर्थ, हनुमान मंदिर एवं 184 शिवलिंग तीर्थ शामिल हैं।
- मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव का पत्थर से बना लिंगम स्थापित है जो लगभग एक मीटर ऊंचा है, और जिसमें चाँदी का एक नाग एवं चाँदी का आधार शामिल है।
- मंदिर के बाहरी परिसर में राम मंदिर, विराट स्वरूप मंदिर, 12 ज्योतिर्लिंग और पंडरा शिवालय, एवं गुह्येश्वरी मंदिर शामिल हैं।
- मंदिर में स्थापित मुख्य लिंगम चारों दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है और भगवान शिव के रूप में बने यह चहरे विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं जिनमे "सद्योजता" जिसे बरुन के नाम से भी जाना जाता है, "वामदेव" जिसे अर्धनारीश्वर के नाम से भी जाना जाता है, "तत्पुरुष" जिसे अधिपति और तपोमूर्ति के नाम से जाना जाता है, और "ईशान" इसे महादेव की क्रीड़ामूर्ति कहा जाता है।
- इस मंदिर की अनूठी विशेषता यह है कि केवल 4 पुजारी ही मंदिर की मूर्ति को छू सकते हैं। जिनमें 2 भट्ट या भट्टा पुजारी और बाकी 2 राजभंडारी हैं। भट्ट वे हैं जो दैनिक अनुष्ठान करते हैं और लिंगम को स्पर्श कर सकते हैं, जबकि राजभंडारी सहायक और मंदिर के कार्यवाहक पुजारी हैं जो पूजा अनुष्ठान के कार्य करते हैं।
- मंदिर का आंतरिक प्रांगण भक्तों के लिए सुबह 4 से 7 बजे तक खुला रहता है, लेकिन आंतरिक पशुपतिनाथ मंदिर जहां भगवान पशुपतिनाथ का लिंगम स्थापित है, सुबह के अनुष्ठान और दर्शन के लिए सुबह 5 बजे से 12 बजे तक खुला रहता है और शाम 5 बजे से 7 बजे तक खुला रहता है। जिसमें शाम की पुजा के समय, भक्तों को आंतरिक गर्भगृह परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है, लेकिन बाहरी गर्भगृह के बाहरी परिसर से देखने की अनुमति है।
- मंदिर में पूरे साल कई त्योहार मनाये जाते हैं जिनमे सबसे महत्वपूर्ण त्योहार महा शिवरत्रि, बाल चतुर्थी त्योहार, और तीज त्योहार हैं। तीज पशुपतिनाथ मंदिर में सबसे प्रसिद्ध भारतीय त्योहार में से एक है जिसे मंदिर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू कैसे पहुँचे
- पशुपतिनाथ मंदिर जाने के हवाई मार्ग सबसे अच्छा साधन है क्योंकि मंदिर से सबसे निकटतम हवाई अड्डा त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो मंदिर से केवल 2.4 किमी की दूरी पर स्थित है।
- इसके अतिरिक्त मंदिर से लगभग 222 किमी की दूरी पर जनकपुर रेलवे स्टेशन स्थित है और गोरखपुर रेलवे स्टेशन से पशुपतिनाथ मंदिर लगभग 352 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ से सार्वजनिक बस या टैक्सी द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।