प्रतापगढ़ किला संक्षिप्त जानकारी
स्थान | सतारा जिला, महाराष्ट्र (भारत) |
निर्माण | 1656 |
निर्माता | छत्रपति शिवाजी महाराज |
प्रकार | किला |
प्रतापगढ़ किला का संक्षिप्त विवरण
प्रतापगढ़ किला भारतीय महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित एक प्राचीन किला है। प्रतापगढ़ के किले को “साहसी किला” भी कहा जाता है। यह किला महाराष्ट्र का सबसे बड़ा किला है। यह किला मराठा साम्राज्य के संस्थापक और भारत के महान योद्धा शिवाजी द्वारा फतह किए किलों में से एक है। वीर शिवाजी का नाम मुगल सम्राट औरंगजेब को अपनी बहादुरी से झुका देने वाले देश के योद्धाओं में शुमार है।
महाराष्ट्र का इतिहास काफी गौरवपूर्ण रहा है और आज भी यहां बने ऐतिहासिक किलों को देखा जा सकता है, हालांकि यह किले अब काफी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। समुद्र किनारे बने ये ऐतिहासिक किले पर्यटकों के बीच आज भी आकर्षण का केंद्र बने हुए है।
प्रतापगढ़ किला का इतिहास
इस ऐतिहासिक किले का निर्माण महान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा करवाया गया था, जो वर्ष 1656 में बनकर पूर्ण हुआ था। प्रतापगढ़ का किला वीर योद्धा शिवाजी महाराज की बहादुरी की कहानी बयान करता है। उसी साल 10 नवम्बर को इसी किले पर छत्रपति शिवाजी और अफज़ल खान के बीच युद्ध हुआ था। शहर से 20 किमी. दूर बने इस किले में ही शिवाजी ने अफजल खान को मौत के घाट उतार दिया था और युद्ध में विजय प्राप्त की। साल 1818 में अंग्रेजों से हुए तीसरे युद्ध में मराठा साम्राज्य को भारी नुकसान उठाना पड़ा और उन्हें प्रतापगढ़ किले से भी हाथ धोना पड़ा था।
प्रतापगढ़ किला के रोचक तथ्य
- छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा इसकिले का निर्माण नीरा और कोयना नदियों के तटों और पार दर्रे की सुरक्षा के लिए करवाया गया था।
- समुद्र से 1000 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस किले के उत्तर-पश्चिम में भगवान शिवजी का एक मंदिर भी स्थापित है।
- इस किले को दो भाग निचले किले और ऊपरी किले में विभाजित किया जा सकता है।
- ऊपरी किला पहाड़ी के शिखर पर बनाया गया था। यह मोटे तौर पर वर्गाकार है और प्रत्येक तरफ 180 मीटर लंबा है। इसमें महादेव भगवान के लिए एक मंदिर समेत कई स्थायी इमारते हैं। यह किले के उत्तर-पश्चिम में स्थित है और 250 मीटर तक की बूंदों के साथ घिरा चट्टानों से घिरा हुआ है।
- साल 1661 में, शिवाजी महाराज तुलजापुर में देवी भवानी के मंदिर नहीं जा पाए थे, इसलिए उन्होंने किले में माता का मंदिर बनाने का निर्णय लिया। यह मंदिर निचले किले के पूर्वी भाग पर स्थित है। यह मंदिर पत्थर से बना है और इसमें माँ काली की पत्थर की प्रतिमा स्थापित है।
- इस मंदिर के भवन को मूल निर्माण के बाद फिर से पुनर्निर्मित किया गया है,जबकि वास्तविक कक्ष में 50′ लम्बे, 30′ चौड़े और 12′ ऊंचे लकड़ी के स्तंभ थे।
- निचला किला लगभग 320 मीटर लंबा और 110 मीटर चौड़ा है। यह किले के दक्षिण-पूर्व में स्थित है, जिसे10 से 12 मीटर ऊंचे टावर और बुर्जों द्वारा निर्मित किया है।
- किले के अंदर वर्ष 1960 में एक गेस्ट हाउस और एक राष्ट्रीय पार्क का निर्माण भी करवाया गया था।
- वर्तमान समय में यह किला पूर्व सातारा रियासत राज्य के उत्तराधिकारी उदय राजे भोसले के स्वामित्व में है।
- किले केदक्षिण-पूर्व भाग में अफजल खान का एक मकबरा भी बना हुआ है, जो किले का प्रमुख आकर्षण हैं।
- इसी किले में वर्ष 1659 में शिवाजी महाराज ने अफजल खान के खिलाफ अपनी पहली विजय हासिल की थी, इस जीत को मराठा साम्राज्य के लिए नीव माना जाता है।
- समुद्र ताल से ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यह किलापर्यटकों के बीच ट्रैकिंग के लिए खासा लोकप्रिय है। ट्रैकिंग के दौरान आप चारो और फैली हरियाली का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं।
- यह किलासतारा शहर से 20 किलोमीटर, महाबलेश्वर से लगभग 25 कि.मी. और समुद्र तल से 1,080 मीटर दूरी पर स्थित है।
- राज्य द्वारा चलाई जाने वालीप्राइवेट और सरकारी बसों के माध्यम से आपमहाबलेश्वर आसानी से आ सकते है,जिनका किराया 75 से लेकर 250 रू तक होता है। यहाँ से आप टेम्पो याऑटो- रिक्शा के माध्यम से किले तक पहुँच सकते है।