श्री द्वारकाधीश मंदिर संक्षिप्त जानकारी

स्थानद्वारका शहर, गुजरात राज्य, (भारत)
निर्माण15वीं-16वीं शताब्दी
निर्मातावज्रनाभ
प्रकारऐतिहासिक हिन्दू मंदिर
समर्पितभगवान कृष्ण
अन्य नामजगत मंदिर एवं त्रिलोक सुंदर मंदिर
घूमने का समय (Timings)सुबह 6:30 से दोपहर 1 बजे तक और शाम को 5 बजे से रात 9: 30 बजे तक।

श्री द्वारकाधीश मंदिर का संक्षिप्त विवरण

श्री द्वारकाधीश मंदिर भारत के गुजरात राज्य में द्वारका शहर में स्थित है। यह एक हिन्दू मंदिर है जो भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर गोमती नदी के तट पर बना हुआ है। श्री द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान कृष्ण को द्वारकाधीश के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है "द्वारका के राजा" और द्वारका में भगवान कृष्ण की इसी नाम से पुजा होती है।

श्री द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास

मंदिर की मूल संरचना का निर्माण श्री कृष्ण के पड़ पोते व्रजभान ने करवाया था। मंदिर का यह स्थान पहले "हरि गृह" भगवान कृष्ण का आवासीय स्थान हुआ करता था। श्री द्वारकाधीश मंदिर वर्तमान में हिन्दूओं द्वारा पवित्र माने जाने वाले चार धाम का हिस्सा बन गया है।

जिसमें रामेश्वरम मंदिर, बद्रीनाथ का मंदिर और पुरी का मंदिर शामिल हैं। पुरातात्विक ज्ञाताओं के अनुसार यह मंदिर लगभग 2,200 - 2,500 साल पुराना है। द्वारकाधीश मंदिर एक पुष्टिमार्ग मंदिर है। पुष्टिमार्ग के अनुसार सेवा दो प्रकार से होती है - नाम-सेवा और स्‍वरूप-सेवा। यह भक्ति क्षेत्र महापुभु श्रीवल्‍लभाचार्य जी के द्वारा दिया गया है।

श्री द्वारकाधीश मंदिर के रोचक तथ्य

  1. मंदिर के अंदर एक स्मारक है, जो भगवान कृष्ण की यात्रा के लिए समर्पित है।
  2. 8वीं शताब्दी के सबसे बड़े हिंदू धर्मशास्त्री और दार्शनिक आदि शंकराचार्य ने श्री द्वारकाधीश मंदिर का दौरा किया था।
  3. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के निष्कर्ष यह बताते हैं कि यह मंदिर लगभग 2,200 - 2,500 साल पुराना है।
  4. मंदिर की लंबाई का क्षेत्र 21 मीटर है (पूर्व से पश्चिम तक) और मंदिर की चौड़ाई 23 मीटर है (उत्तर से दक्षिण तक), जिसके साथ ही मंदिर की सबसे ऊंची चोटी 51.8 मीटर ऊंची है।
  5. मंदिर के सर्वश्रेष्ठ चोटी पर एक ध्वज लहराता है, जो सूर्य और चंद्रमा के प्रतीक को दर्शाता है। इसके साथ ही लोगो का यह मानना है कि भगवान कृष्ण तब तक रहेंगे जब तक सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी पर मौजूद रहेंगे।
  6. मंदिर के ध्वज को दिन में 5 बार बदल दिया जाता है, लेकिन प्रतीक में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
  7. यह मंदिर 72 स्तंभों द्वारा समर्थित है तथा 5 मंजिला इमारत का मुख्य मंदिर है।
  8. इस मंदिर को जगत मंदिर या निज मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।
  9. मंदिर का निर्माण चूना पत्थर से हुआ है जो अभी भी प्राचीन स्थिति में है और जो भारत की प्राचीनतम शैली को दर्शाता है।
  10. श्री द्वारकाधीश मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं, जो मुख्य द्वार है वह उत्तर दिशा की ओर है जिसे "मोक्ष द्वार" कहा जाता है। इसका पहला द्वार एक मुख्य बाजार की ओर जाता है। इसके अतिरिक्त मंदिर का दूसरा प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा की ओर है, जिसे "स्वर्ग द्वार" कहा जाता है। इसके साथ दक्षिण द्वार गोमती नदी की ओर जाता है और इस द्वार तक आने के लिए बाहर 56 सीढ़ियाँ हैं।
  11. 1473 ई॰ से 1531 ई॰ के मध्य द्वारिकाधीश मंदिर में कृष्णजन्माष्टमी त्योहार, गोकुलाष्टमी या कृष्ण का जन्म दिवस के कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। जिसे अब हर साल बड़े हर्शौल्लास के साथ मनाया जाता है।

श्री द्वारकाधीश मंदिर कैसे पहुँचे

  • द्वारकाधीश मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर द्वारका रेलवे स्टेशन यह कई जगहों से जुड़ी हुई है।
  • इसके अलावा द्वारकाधीश मंदिर से लगभग 47 किलोमीटर की दूरी पर जामनगर हवाई अड्डा साथ ही आप यहाँ से पोरबंदर एयरपोर्ट तक की फ्लाइट ले सकते हैं और यह से द्वारका का मंदिर केवल 98 किलोमीटर दूर है।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
  Post Views :  7722
सौराष्ट्र गुजरात के सोमनाथ मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
मुंबई महाराष्ट्र के श्री सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
गुवाहाटी असम के कामाख्या मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
तंजावुर तमिलनाडु के बृहदेश्वर मन्दिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
वाराणसी उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
सिमरिप कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
माउंट आबू राजस्थान के दिलवाड़ा जैन मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
उत्तराखंड के बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
प्मिनाक्षी मंदिर मदुरई का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
शिरडी महाराष्‍ट्र के साईं बाबा का मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
अमृतसर पंजाब के स्वर्ण मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी