भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है, जो अपनी विविधता तथा अपनी एकता के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। भारत पर लगभग 200 वर्षो तक ब्रिटिश साम्राज्य ने शासन किया, उनके शासन काल के दौरान उन्होने न केवल भारत सामाजिक एवं संस्कृति को प्रभावित किया बल्कि उन्होने भारत की राजनीति को भी प्रभावित किया।
15 अगस्त 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो उस समय भारत के संविधान निर्माण का सुनेहरा दौर चल रहा था, लेकिन संविधान सभा के सामने सबसे बड़ा प्रश्न यह था कि भारत में किस प्रकार कि शासन प्रणाली अपनाई जाए, तब गहन विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि भारत के अधिकतर लोग ब्रिटेन कि शासन प्रणाली से परिचित है इसलिए भारत में संसदीय प्रणाली को अपना लिया गया।
राष्ट्रपति किसे कहते है या राष्ट्रपति कौन होता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 52 के अनुसार भारत का राष्ट्रपति राष्ट्र का संवैधानिक प्रमुख है, जो भारत कि संसदीय प्रणाली का प्रधान होता है। राष्ट्रपति को देश के पहले नागरिक होने का दर्जा दिया जाता है। राष्ट्रपति राज्य तथा विभिन्न राज्यों के बीच में सहयोग के लिए एक "अंतर्राज्यीय परिषद की नियुक्ति करता है। भारत की संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से ली गई है ऐसे में वहाँ की रानी के पद को भारत में राष्ट्रपति के पद के रूप में उपयोग किया जाता है और बाकी अन्य पद समान रखे गए है।
भारत के राष्ट्रपति की योग्यताएं
भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 और 59 में कुछ महत्वपूर्ण योग्यताएं व शर्ते रखी गई है जो निम्नलिखित है-
- वह भारत का नागरिक हो।
- 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
- लोकसभा का सदस्य रह चुका हो या सदस्य चुनने लायक हो।
- किसी भी सरकारी लाभ के पद पर न हो।
- दिवालिया और मानसिक रूप से बीमार न हो।
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव या निर्वाचन
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव भारत कि स्वतंत्र संवैधानिक निकाय "चुनाव आयोग" करवाता है। यह चुनाव गुप्त चुनाव होता है, जिसमें भारत कि सामान्य जनता भाग नहीं लेती है। भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए संसद के दोनों सदनो के निर्वाचित सदस्य, राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्य और केंद्र शासित प्रदेशों में केवल पुदुचेरी और दिल्ली के विधायक ही भाग ले सकते है। राष्ट्रपति का चुनाव समानुपातिक प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत पद्धति के तहत किया जाता है। जब चुनाव में कोई उम्मीदवार जीत जाता है तो उसकी संवैधानिक नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश करते हैं और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ही राष्ट्रपति को पद का शपथ दिलाते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के लिये किसी भी उम्मीदवार की उम्र 35 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिये, लोकसभा सदस्य होने की पात्रता रखता हो, संसद अथवा राज्य सदन का सदस्य न हो, कोई लाभ का पद धारण न करता हो, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल, केन्द्रीय मंत्री तथा किसी राज्य के मंत्री अपने पद से इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति चुनाव के लिये खड़े हो सकते है। नीचे आजादी के बाद से अब तक भारत के सभी राष्ट्रपतियों की सूची उनके महत्वपूर्ण विवरण के साथ दी गयी है।
भारत के राष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्य
(A) कार्यपालिका शक्तियाँ-
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 53 के तहत भारतीय संसद कि सारी की सारी शक्तियाँ भारत के राष्ट्रपति में निहित होंगी, जो उनका उपयोग केवल मंत्रि मण्डल की सलाह (42वें संशोधन) पर ही कर सकता है। राष्ट्रपति की कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ निम्नलिखित है-
- शासन के समस्त कार्य राष्ट्रपति के नाम- अनुच्छेद 53 के अनुकसार केंद्र की कार्यपालिका की पूरी शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी, ऐसे में कार्यपालिका जो भी कार्य करेगी वे सब कार्ये राष्ट्रपति के नाम पर ही किए जाएंगे।
- मंत्रिमंडल का निर्माण करना और उनके निर्णयों की जानकारी रखना-भारत में जब भी लोकसभा के चुनाव पूर्ण होते है तो बहुमत दल के नेता को भारत का प्रधानमंत्री नियुक्त करने का कार्य भी राष्ट्रपति ही करते है और मंत्रिमंडल बनाने की भी सलाह देते है, जो भविष्य में राष्ट्रपति को उनके कार्य करने की सलाह देगी। भारत के राष्ट्रपति को यह अधिकार है की वह प्राय मंत्री मण्डल द्वारा लिए गए निर्णयों के बारें में जानकारी प्राप्त करें।
- मंत्रिमंडल के निर्णयों से संबंधित संदेहास्पद निषेधाधिकार (वीटो पावर)- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 (अ) के अनुसार राष्ट्रपति मंत्री मण्डल के निर्णयों व प्रस्तावो को पुन: विचार के लिए मंत्री मण्डल के पास वापस भेज सकता है परंतु मंत्री मण्डल के पुन: विचार विमर्श के बाद वह उन्हे व्यवहार में लाने के लिए बाध्य होगा।
- तीन सेना का प्रधान- भारत का राष्ट्रपति भारत की स्थल, जल और वायु का सर्वोच्च प्रधान होता है तथा सेना के अन्य अधिकारियों की नियुक्ति करता है।
- नियुक्ति तथा सेवामुक्त संबंधी शक्तियाँ- भारत का राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री, मंत्री, महान्यायवादी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यपाल, जल विवाद आयोग, वित्त आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं राज्य भाषा आयोग आदि की नियुक्ति एवं सेवामुक्ति करता है।
- कूटनीतिक संबंध स्थापित करना- कूटनीतिक संबंधों को स्थापित करने के लिए राष्ट्रपति अन्य राष्ट्रो में समय-समय पर राजदूतों की नियुक्ति करते है।
(B) विधायी शक्तियाँ
- संसद का अभिन्न अंग- भारतीय संविधान की धारा 79 के अनुसार भारत की संसद का निर्माण भारत के राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा से मिलकर होता है इसलिए राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है।
- संसद को आमंत्रित, स्थगित, संबोधित तथा भंग करने का अधिकार- भारत का राष्ट्रपति ही संसद को आमंत्रित करने का कार्य करता है वह चाहे तो संसद के दोनों सदनो को एक साथ बुला सकता है। राष्ट्रपति ही संसद को स्थगित और संबोधित करता है। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर संसद को भंग भी कर सकता है।
- संसदीय सदस्यो को मनोनीत करना- राज्यसभा में कला, साहित्य तथा विज्ञान से संबंधित 12 लोगो को मनोनीत करने का अधिकार भी राष्ट्रपति के पास है।
- बिलो को स्वीकृति प्रदान करना- कोई बिल कानून रूप तब तक धारण नहीं कर सकता जब तक की राष्ट्रपति उस पर हस्ताक्षर न कर दे। विशेष प्रकार के बिलो जैसे धन विधेयक, संचित विधि में व्यय संबंधी विधेयक, राज्यों के नाम, क्षेत्र निर्माण संबंधी विधेयक, कराधन विधेयक, संविधान संशोधन विधेयक और आदि में राष्ट्रपति की सलाह लेना अनिवार्य है।
(C) न्यायिक शक्तियाँ
- न्यायधीशों की नियुक्ति करना- भारत के राष्ट्रपति ही उच्च न्यायलय और सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीशों की नियुक्ति कर सकते है पर वह उन्हे अपदस्थ नहीं कर सकते।
- क्षमा करने का अधिकार- यदि किसी व्यक्ति को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मृत्यु दंड का आदेश दिया गाय हो तो वह व्यक्ति राष्ट्रपति से गुहार लगा सकता है और राष्ट्रपति क्षमा करने के अधिकार का उपयोग करके उसे माफ या उसकी सजा को कम कर सकता है।
(D) वित्तीय शक्तियाँ
- धन विधेयक को पूर्व स्वीकृति देना- भारत का कोई भी धन विधेयक भारत के राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के बिना लोकसभा में प्रस्तावित नही हो सकता।
- बजट प्रस्तुत करना- राष्ट्रपति ही भारत के केंद्रीय बजट और संसद के बजट को वित्त मंत्री की सहायता से संसद में पेश करता है।
- आकस्मिकता निधि संबंधी अधिकार- भारत में जब भी किसी क्षेत्र में अचानक धन की की जरूरत होती है तो राष्ट्रपति भारत के मुद्राकोष में से धन निकाल सकता है इसके लिए उसे संसद की अनुमति की जरूरत नहीं है।
- वित्त आयोग की नियुक्ति करना- भारत के राष्ट्रपति के पास ही यह अधिकार है की वह केंद्र तथा राज्य के मध्य धन के बटवारें को लेकर वित्त आयोग का गठन कर सकता है।
- महान्यायवादी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति करना- भारत का राष्ट्रपति ही की महान्यायवादी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति करता है। महान्यायवादी नियंत्रक ही सरकारी लेखे-जोखे की रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुत करता है।
(E)आपातकालीन शक्तियाँ
भारत का राष्ट्रपति भारत में केवल 3 स्थितियों में ही आपातकाल की घोषणा कर सकता है जो निम्नलिखित है:
- विदेश आक्रमण (युद्ध) व सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में- अनुच्छेद 352 के अनुसार भारत का राष्ट्रपति भारत में विदेश आक्रमण, युद्ध, व सशस्त्र विद्रोह की स्थिति की आशंका में पूरे भारत में आपातकाल लागू कर सकता है।
- राज्य में संवैधानिक शासन की असफलता पर- अनुच्छेद 356 के अनुसार जब किसी राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चल रहा हो तो उस स्थिति में राष्ट्रपति उस राज्य में आपातकाल घोषित कर सकता है।
- वित्तीय संकट- अनुच्छेद 360 के तहत यदि भारत को यह लगता है की किसी राज्य में धन के अभाव के कारण कोई बड़ा संकेट उत्पन्न होने वाला है तो वह उस राज्य में आपातकाल घोषित कर सकता है।
आपातकाल की अवधि-
आपातकाल की अवधि भारतीय संविधान में 44वें संशोधन के बाद ही निश्चित की गई है। इसके अनुसार भारत के किसी राज्य अथवा भारत में आपातकाल जब तक जारी रह सकता है जब तक संसद इसे मंजूरी देती रहेगी। आपात काल के दौरान प्रत्येक 6 माह पर संसद को अगर इसकी जरूरत महसूस होगी तो वह इसे जारी रखेगी नहीं तो इसे हटाकर पुन: चुनावो का आयोन करेगी।
राष्ट्रपति पर महाभियोग
समान्यत: राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्षो का होता है, परंतु विशेष स्थितियों में उन्हे अपना पद छोडना पद सकता है। अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति पर महाभियोग उस स्थिति में लगाया जा सकता है जब राष्ट्रपति ने संविधान का उल्लघंन किया हो। महाभियोग लगाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया जाता है, जिकी सूचना राष्ट्रपति को 14दिन पहले ही दे दी जाती है। जब उस प्रस्ताव को दोनों सदन मिलकर 1/4 समर्थन दे देते है तो वह प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है और राष्ट्रपति को अपना पद छोडना पड़ता है।
वर्ष 1950 से 2024 तक भारत के राष्ट्रपतियों की सूची:
नाम | कार्यकाल | रोचक तथ्य |
डा. राजेन्द्र प्रसाद | 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक | संविधान सभा के अध्यक्ष |
डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | 13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक | उप-राष्ट्रपति |
डा. जाकिर हुसैन | 13 मई 1967 से 03 मई 1969 तक | कार्यकाल में मृत्यु |
वी.वी. गिरि (कार्यवाहक) | 3 मई 1969 से 20 जुलाई 1969 तक | उप-राष्ट्रपति |
मोहम्मद हिदायतउल्ला (कार्यवाहक) | 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक | मुख्य न्यायाधीश |
वी.वी. गिरी | 24 अगस्त 1969 से 24 अगस्त 1974 तक | स्वतन्त्र उम्मीदवार के रूप में ते |
फखरुद्दीन अली अहमद | 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 तक | केन्द्रीय मंत्री (कार्यकाल में मृत्यु) |
बीडी जत्ती (कार्यवाहक) | 11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई 1977 तक | उप-राष्ट्रपति |
नीलम संजीव रेड्डी | 25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 1982 तक | निर्विरोध निर्वाचित, 1929 में पराजित |
एम. हिदायतुल्ला (कार्यवाहक) | 02 अक्टूबर 1982 से 31 अक्टूबर 1982 तक | उप-राष्ट्रपति |
ज्ञानी जैल सिंह | 25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 1987 तक | प्रथम सिख राष्ट्रपति |
रामास्वामी वेंकटरामन | 25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992 तक | उप-राष्ट्रपति |
शंकरदयाल शर्मा | 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997 तक | उप-राष्ट्रपति (4 प्रधानमंत्रियों के साथ काम) |
डा. के. आर.नारायणन | 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक | प्रथम दलित |
डा. ए.पी. जे. अब्दुल कलाम | 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक | वैज्ञानिक, मिसाइल कार्यक्रम के प्रणेता |
श्रीमती प्रतिभा पाटिल | 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 तक | प्रथम महिला राष्ट्रपति |
प्रणब मुख़र्जी | 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक | वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री |
रामनाथ कोविंद | 25 जुलाई 2017 से 24 जुलाई 2022 | बिहार के राज्यपाल |
द्रौपदी मुर्मू | 25 जुलाई 2022 से अभी तक | ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीती और विधायक बनीं। 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था। |
भारत के राष्ट्रपति से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- राष्ट्रपति चुनाव में पहली महिला उम्मीदवार मनोहर होल्कर थी जिन्होंने 1967 में निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
- भारत में अभी तक किसी भी राष्ट्रपति के ऊपर महाभियोग नहीं लगाया गया है।
- राष्ट्रपति के रुप में सबसे छोटा कार्यकाल डाँ जाकिर हुसैन का था, वे लगभग 2 वर्ष तक राष्ट्रपति रहे।
- डाँ राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, वी. वी गिरि, आर वेंकटरमण, शंकर दयाल शर्मा एवं के. आर नारायणन उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति बने थे।
- राष्ट्रपति भवन जो कि स्वतंत्रता के पहले वायसराय भवन था उसके वास्तुकार लुटियंस थे।
- राष्ट्रपति का कार्यकाल समान्यत: पाँच वर्षो का होता है।
- राष्ट्रपति का 1 महीने का वेतन करीब 5 लाख रुपए है।
अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?
☞ भारत के राष्ट्रपति से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗
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भारत के राष्ट्रपति प्रश्नोत्तर (FAQs):
अप्रैल 2013 में, अब्दुल हमीद को बांग्लादेश के नए राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया था। अब्दुल हमीद बांग्लादेश गणराज्य में उच्च पद पर आसीन होने वाले पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया था। उन्होंने 2013 से 2018 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। उन्हें 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में सेवा की गई थी। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
डॉ राजेन्द्र प्रसाद प्रथम ऐसे भारतीय थे, जो लगातार राष्ट्रपति के दो कार्यकाल तक अपने पद पर बने रहे। वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति भी थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई।
केरल में जन्मे कोच्चेरी रामण नारायणन (के आर नारायण) भारत के दसवें राष्ट्रपति थे। उन्होंने त्रावणकोर विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। उनकी गणना भारत के कुशल राजनीतिज्ञों में की जाती है।
राष्ट्रपति के अध्यादेश की अधिकतम अवधि 6 माह तक होती है। अध्यादेश ऐसे कानून हैं , जिन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर भारत के राष्ट्रपति (भारतीय संसद) द्वारा प्रख्यापित किया जाता है , जिसका संसद के अधिनियम के समान प्रभाव होगा । उन्हें केवल तभी जारी किया जा सकता है जब संसद सत्र में नहीं हो।