भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति 2024:

भारत में राष्ट्रपति के बाद उप-राष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के तौर पर विधायी कार्यों में भी हिस्सा लेता है। भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ हैं उन्होंने 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप कार्यभार संभाल है। उन्होंने पहले 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया था। उन्होंने 1990 से 1991 तक चन्द्रशेखर मंत्रालय में संसदीय मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। वह 1989 से 1991 तक लोकसभा के सदस्य रहे और बाद में 1993 से 1998 तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। वह भारत में कई राजनीतिक दलों से भी जुड़े रहे हैं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और जनता दल शामिल हैं।

भारत के उपराष्ट्रपति की सूची व कार्यकाल (1952-2024)

उपराष्ट्रपति का नाम कार्यकाल (कब से कब तक)
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 13 मई 1952 से 14 मई 1957 तक
डॉ. जाकिर हुसैन 13 मई 1962 से 12 मई 1967 तक
वराहगिरि वेंकटगिरि 13 मई 1967 से 03 मई 1969 तक
गोपाल स्वरूप पाठक 31 अगस्त 1969 से 30 अगस्त 1974 तक
बी.डी. जत्ती 31 अगस्त 1974 से 30 अगस्त 1979 तक
मोहम्मद हिदायतुल्लाह 31 अगस्त 1979 से 30 अगस्त 1984 तक
आर. वेंकटरमण 31 अगस्त 1984 से 27 जुलाई 1987 तक
डॉ. शंकर दयाल शर्मा 03 सितम्बर 1987 से 24 जुलाई 1992 तक
के. आर. नारायणन 21 अगस्त 1992 से 24 जुलाई 1997 तक
कृष्णकांत 21 अगस्त 1997 से 27 जुलाई 2002 तक
भैरों सिंह शेखावत 19 अगस्त 2002 से 21 जुलाई 2007 तक
मोहम्मद हामिद अंसारी 11 अगस्त 2007 से 19 जुलाई 2017 तक
वेंकैया नायडू 11 अगस्त 2017 से 10 अगस्त 2022 तक
जगदीप धनखड़ 11 अगस्त 2022 से अब तक

भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्ताएं:-

भारत के राष्ट्रपति पद के लिए निम्नलिखित योग्ताएं होना अनिवार्य है, कोई भी व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के योग्य तभी होगा, जब वह निम्नलिखित शर्तो को पूरा करता है:-

  • भारत का नागरिक हो।
  • 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
  • राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो।
  • संसद के किसी सदन या राज्य विधान मण्डल में से किसी सदन का सदस्य न हो। इसका तात्पर्य यह नहीं हैं कि संसद या राज्य विधान मण्डलों का सदस्य उपराष्ट्रपति नहीं हो सकता, बल्कि इसका तात्पर्य यह है कि यदि कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित किया जाता है और यदि वह संसद या राज्य विधानमण्डलों में से किसी सदन का सदस्य है, तो उसे इस सदस्यता का त्याग करना पड़ता है।
  • भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियन्त्रण में किसी स्थानीय या प्राधिकारी के अधीन लाभ का पद धारण न करता हो।

उपराष्ट्रपति का निर्वाचन या चुनाव:

(1) उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण (electorate) के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा।

(2) उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान उपराष्ट्रपति के रूप में अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।

(3) कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह:

  • भारत का नागरिक है, (ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है और
  • राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है।

(4) कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।

भारत के उपराष्ट्रपति के कार्य:

राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन:-

  • राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से उसके पद में हुई रिक्ति की दशा में उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा जिस तारीख को ऐसी रिक्ति को भरने के लिए इस अध्याय के उपबंधों के अनुसार निर्वाचित नया राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करता है।
  • जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी कारण से अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है तब उपराष्ट्रपति उस तारीख तक उसके कृत्यों का निर्वहन करेगा जिस तारीख को राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को फिर से संभालता है।

उपराष्ट्रपति को उस अवधि के दौरान और उस अवधि के संबंध में, जब वह राष्ट्रपति के रूप में इस प्रकार कार्य कर रहा है या उसके कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ और उन्मुक्तियाँ होंगी तथा वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का जो संसद, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, हकदार होगा।

उपराष्ट्रपति पद की अवधि:

उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण करने की तिथि से पाँच वर्ष तक अपने पद पर बना रहेगा और यदि उसका उत्तराधिकारी इस पाँच वर्ष की अवधि के दौरान नहीं चुना जाता है, तो वह तब तक अपने पद पर बना रहेगा, जब तक उसका उत्तराधिकारी निर्वाचित होकर पद ग्रहण नहीं कर लेता है। लेकिन उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख़ से पाँच वर्ष के अन्दर भी अपने पद से निम्नलिखित ढंग से हट सकता है या हटाया जा सकता है:-

  • राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देकर।
  • राज्यसभा के द्वारा संकल्प पारित करके।

उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए संकल्प या राज्य सभा में पेश किया जाता है, लेकिन उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का संकल्प राज्यसभा में पेश करने के पहले उसकी सूचना उन्हें 14 दिन पूर्व देना आवश्यक है। राज्यसभा में संकल्प पारित होने के बाद उसे अनुमोदन के लिए लोकसभा को भेजा जाता है। यदि लोकसभा संकल्प को अनुमोदित कर देती है तो उपराष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है। कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने की स्थिति में उपराष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा केवल उसी प्रक्रिया के तहत हटाया जा सकेगा, जिस प्रक्रिया से संविधान में राष्ट्रपति पर महाभियोग स्थापित करने का प्रावधान है।

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भारत के उपराष्ट्रपति प्रश्नोत्तर (FAQs):

जब भारत में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के पद एक ही समय में रिक्त होते हैं, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं। यह प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 65(1) में उल्लिखित है।

मुप्पवरपु वेंकय्य नायुडु भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति हैं। 5 अगस्त 2017 को हुए चुनाव में गोपालकृष्ण गाँधी को पराजित करके वे भारत के तेरहवें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए और 11 अगस्त 2017 को उपराष्ट्रपति बने।

भारत के उपराष्ट्रपति जिन्होंने लगातार दो कार्यकाल तक सेवा की, वह डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हैं। उन्होंने राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और डॉ. जाकिर हुसैन के अधीन कार्य करते हुए 1952 से 1962 तक उपराष्ट्रपति का पद संभाला। उपराष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने के बाद, डॉ. राधाकृष्णन 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति बने रहे।

भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों, राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य शामिल होते हैं। राष्ट्रपति के चुनाव के विपरीत, जहां निर्वाचक मंडल में राज्य विधानसभाओं के सदस्य होते हैं, उपराष्ट्रपति का चुनाव केवल संसद के सदस्यों द्वारा किया जाता है।

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से संबंधित चुनाव विवादों का समझौता करने का अधिकार उच्चतम न्यायालय को है। यह उसका मौलिक अधिकार है। मौलिक अधिकार भारत के संविधान के तीसरे भाग में वर्णित भारतीय नागरिकों को प्रदान किए गए वे अधिकार हैं जो सामान्य स्थिति में सरकार द्वारा सीमित नहीं किए जा सकते हैं और जिनकी सुरक्षा का प्रहरी सर्वोच्च न्यायालय है।

  Last update :  Wed 24 Jan 2024
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