एकंबरेश्वर मंदिर संक्षिप्त जानकारी

स्थानकांचीपुरम, तमिलनाडु (भारत)
निर्माणसातवीं शताब्दी
निर्मातापल्लव वंश के शासको द्वारा
प्रकारहिन्दू मंदिर
मुख्य देवताभगवान शिव

एकंबरेश्वर मंदिर का संक्षिप्त विवरण

दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक एकंबरेश्वर मंदिर भारतीय राज्य तमिलनाडु के कांचीपुरम शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। इस मंदिर को एकाम्बरनाथ मन्दिर भी कहा जाता हैं। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

दक्षिण भारत में मंदिरों की कोई कमी नहीं है और इन ऐतिहासिक मंदिरों का निर्माण अभी नहीं, बल्कि हजारों वर्ष पहले किया गया था। यह मंदिर दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला का एक अदभुत उदाहरण है, जिसे देखने के लिए हजारो की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते है।

एकंबरेश्वर मंदिर का इतिहास

कांचीपुरम में बने इस प्राचीन मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में पल्लव वंश के शासको द्वारा करवाया गया था। 10वी सदी के आदी शंकराचार्य ने इस मंदिर का पुन:निर्माण करवाया और इस मंदिर के अलावा कामाक्षी अम्मन मंदिर और वरदराज पेरूमल मंदिर का भी निर्माण करवाया था।

15वीं सदी में विजयनगर के सम्राटों द्वारा राजगोपुरम सहित बड़े पैमाने पर नवर्निर्माण कार्य सम्पन्न किये गये थे, इसके साथ तंजावूर के नायकों का भी मंदिर में भी काफी योगदान रहा है।

कांचीपुरम में सबसे बड़ा मंदिर होने के साथ ही यह विजयनगर वंश का उच्च प्रतीक है। इस मंदिर को पंचभूत स्थलम के 5 पवित्र शिव मंदिरों में से एक का दर्जा प्राप्त है और यह धरती तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।

एकंबरेश्वर मंदिर के रोचक तथ्य

  1. तमिलनाडु में स्थित 40 एकड़ में फैला यह भव्य मंदिर 11 मंजिल ऊँचा है।
  2. द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है।
  3. मंदिर में विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय द्वारा 59 मीटर ऊंचा गोपुरम (मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार) बनवाया गया था।
  4. जब आप मंदिर परिसर के मुख्य चौबारे में प्रवेश करते हैं, तो एक विशाल गलियारा आपका स्वागत करता है। मंदिर में ऐसे 5 बड़े गलियारे बने हुए हैं।
  5. मंदिर के मुख्य मंडप में भगवान शिव विराजमान हैं, यहाँ माता पार्वती का कोई मंदिर नहीं हैं, क्योंकि शहर का कामाक्षी मंदिर उनका प्रतिनिधित्व करता है।
  6. मंदिर के अन्दर ढाई फीट लंबा बालू से निर्मित एक शिवलिंग भी बना हुआ है। इसका जलाभिषेक नहीं, तैलाभिषेक करके पूजन किया जाता है। श्रद्धालुओं को शिवलिंग तक जाने की अनुमति नहीं है।
  7. मंदिर में भगवान विष्णु की एक छोटी प्रतिमा भी स्थापित है, जिन्हें यहां वामन मूर्ति कहा जाता है।
  8. अविराम काल मंडपम मंदिर के मुख्य आकर्षण में से एक है, जिसमें 1000 खम्बे हैं। इन स्तंभों पर अद्भुत नक्काशी की गई है, जो इसकी भव्यता में चार चाँद लगा देती है।
  9. मंदिर के भीतरी प्रांगण की दीवारों के साथ-साथ 1008 शिवलिंगम भी स्थापित किए गए हैं।
  10. मंदिर परिसर में मंडप युक्त एक सुंदर तालाब भी है, जिसे शिव गंगा तीर्थम कहते हैं। इस सरोवर के मध्य में शिव पुत्र भगवान गणेश जी की एक मूर्ति भी स्थापित है।
  11. मन्दिर के पीछे बने चबूतरे पर लगभग 3,500 साल पुराना एक आम का वृक्ष है। कहा जाता है कि इसी वृक्ष के नीचे पार्वती ने शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था। भगवान शिव प्रसन्न होने के बाद इस आम्र वृक्ष में प्रकट हुए, इसलिए उनका नाम 'एकंबरेश्वर' अर्थात आम वृक्ष का देवता पड़ा था। इसके वृक्ष के तने को काट कर मंदिर में धरोहर के रूप में रखा गया है। यह वृक्ष चार वेदों का प्रतीक है तथा माना जाता है कि यह चार अलग-अलग स्वाद वाले आम देता है।
  12. आम लोगो के लिए मंदिर रोजाना सुबह 6 बजे से दोपहर 12.30 तक और शाम को 4 बजे से रात्रि 8.30 बजे तक खुलता है।
  13. इस मंदिर का सबसे बड़ा त्योहार मार्च-अप्रैल में मनाया जाने वाला फाल्गुनी उथीरम होता है।
  14. तमिलनाडु का कांचीपुरम शहर देश के अन्य राज्यों से सड़क और रेलमार्ग दोनों से जुड़ा हुआ है। कांचीपुरम चेन्नई से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कांचीपुरम का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा चेन्नई है।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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