श्री एकलिंग जी मंदिर संक्षिप्त जानकारी
स्थान | उदयपुर जिला, राजस्थान, (भारत) |
निर्माता | बप्पा रावल |
निर्माण | 8वीं शताब्दी |
प्रकार | ऐतिहासिक हिन्दू मंदिर |
देवता | भगवान शिव |
समर्पित | श्री एकलिंग महादेव |
अन्य नाम | हरिहर मंदिर एवं मीरा मंदिर |
श्री एकलिंग जी मंदिर का संक्षिप्त विवरण
एकलिंग जी का मंदिर एक हिन्दू मंदिर है। यह राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है। यह मंदिर उदयपुर जिले से लगभग 18 किमी दूर पर दो पहाड़ियों के मध्य स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है, परंतु इस मंदिर में उनकी श्री एकलिंग महादेव के रूप में पुजा होती है। मेवाड़ के महाराणाओं द्वारा श्री एकलिंग महादेव को मेवाड़ रियासत का एक शासक देवता माना जाता था और मेवाड़ के सभी राजा उनके प्रतिनिधि के रूप में शासन करते थे। इसी कारण उदयपुर के महाराणा को दीवाण जी कहा जाता है।
श्री एकलिंग जी मंदिर का इतिहास
एकलिंगजी मंदिर के मूल मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में उदयपुर जिले के शासक बप्पा रावल द्वारा किया गया था। परंतु बाद में दिल्ली सल्तनत के शासकों के आक्रमणों द्वारा मूल मंदिर और मूर्ति को नष्ट कर दिया गया।
इसके बाद 14वीं शताब्दी में राजस्थानी मेवाड़ के राजा और सीसोदिया वंश के संस्थापक राजा हमीर सिंह ने इसे पुनः निर्माण कराया और सबसे पुरानी विलुप्त मूर्ति की स्थापना की थी। । इसके बाद 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के दूसरे राजा राणा कुंभा जब विष्णु मंदिर का निर्माण करवा रहे थे, तब उन्होने एकलिंगजी मंदिर का भी पुनः निर्माण कराया।
जिसके बाद एक 1460 के लेख में राणा कुंभा को "एकलिंग के निजी सेवक" के रूप में संभोधित किया गया। इसके बाद 15वीं शताब्दी के अंत में मालवा सल्तनत के घियाथ शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर एकलिंगजी के मंदिर को नष्ट कर दिया। 1473 ई॰ से 1509 ई॰ के मध्य राणा कुंभा के पुत्र राणा रायमल ने उसे पराजित कर उसे बंधी बना लिया
जिसके बाद राणा रायमल ने उसकी रिहाई के लिए फिरौती की मांग की इस फिरौती से राजा ने मंदिर का पुनः निर्माण कराया। राणा रायमल द्वारा इस मंदिर का अंतिम बार संरक्षण कार्य सम्पन्न हुआ जिसमें उन्होने मंदिर की वर्तमान मूर्ति स्थापित की। इसके बाद 16 वीं शताब्दी में यह मंदिर रामानंदियों के नियंत्रण में आया।
श्री एकलिंग जी मंदिर के रोचक तथ्य
- एकलिंगजी मंदिर मुख्य शहर से लगभग 24 किमी दूरी पर स्थित है।
- यह मंदिर 2500 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला हुआ है और इस मंदिर के परिसर में 108 मंदिर हैं।
- वर्तमान मंदिर के निर्माण का संपूर्ण श्रेय मेवाड़ महाराणा रायमल को जाता है
- मंदिर में स्थापित काले संगमरमर से निर्मित महादेव की चतुर्मुखी प्रतिमा की स्थापना महाराणा रायमल द्वारा ही की गई थी।
- मंदिर के दक्षिणी द्वार के सामने एक ताखे में महाराणा रायमल संबंधी 100 श्लोकों का एक स्तुतिपाठ लगा हुआ है
- प्रमुख मंदिर के अलावा अंदर और भी कई मंदिर निर्मित हैं जिनमे महाराणा कुंभा द्वारा निर्मित विष्णु मंदिर शेष है।
- इस मंदिर को हरिहर मन्दिर, मीरा मन्दिर के नामों से भी जाना जाता है।
- एकलिंग जी के मंदिर के नीचे की ओर विंध्यवासिनी देवी का एक अन्य मंदिर भी स्थित है।
- मंदिर के लिए एक जन-प्रसिद्ध अफवाह से पता चलता है, की गुरु नाथ हारीत राशि जो बप्पा रावल का गुरु था, उसके द्वारा दी गई शिक्षा के अनुरूप बप्पा रावल ने एकलिंग जी के मंदिर का कार्य सँभाला था।
- एकलिंग जी के मंदिर में बप्पा रावल के गुरु और एकलिंग जी के मंदिर के महंत, का प्राचीन मठ आज भी बना हुआ है।
- एकलिंगजी की मूर्ति में चारों ओर मुख हैं। अर्थात् जिसका अर्थ है की यह चतुर्मुख लिंग है।
- मंदिर के मंच और गर्भगृह के बीच के द्वार पर वर्तमान श्री अरविन्द मेवाड़ जी ने किवाड़ पर चांदी कि परत चढ़वाई हैं।
श्री एकलिंग जी मंदिर कैसे पहुँचे
- एकलिंगजी मंदिर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन खेमली रेलवे स्टेशन एवं देबारी रेलवे स्टेशन है।
- इसके अतिरिक्त मंदिर का सबसे निकटतम रोड मार्ग उदयपुर देलवाड़ा मार्ग से जुड़ता है।
- इसके अलावा एकलिंगजी मंदिर का सबसे निकटतम हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, उदयपुर और उदयपुर एयरपोर्ट है।