बिहु संक्षिप्त तथ्य

त्यौहार का नामबिहु (Bihu)
त्यौहार की तिथि16 जनवरी 2024
त्यौहार का प्रकारसांस्कृतिक
त्यौहार का स्तरप्रादेशिक
त्यौहार के अनुयायीअसमिया

बिहु का इतिहास

बीहू एक प्रमुख त्योहार है जो मुख्य रूप से असम राज्य में मनाया जाता है। बिहु असम के तीन अलग सांस्कृतिक उत्सवों के एक समूह को दर्शाता है और दुनिया भर के असमी प्रवासी इसे धूमधाम से मनाते हैं।

बीहू त्योहार का इतिहास गहन और पौराणिक है। इसे प्राचीन गानों, कथाओं और स्थानीय ऐतिहासिक विश्वासों के माध्यम से संबंधित माना जाता है। इसे असम की भूमि और उसकी कृषि परंपराओं के साथ जोड़कर देखा जा सकता है। बीहू त्योहार असम के लोगों की खेती-बाड़ी के साथ जुड़ा हुआ है और इसे असमी कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। इसके आयोजन में खेती के समय और प्रकृति की संप्रभुता का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बीहू त्योहार का मुख्य उद्देश्य खेती की फसलों की सुरक्षा और परिरक्षण का संकेत देना होता है।

बिहु से संबंधित कहानी

लखिंदा और कोचोपटी - यह कहानी बीहू त्योहार के महत्वपूर्ण पारंपरिक कहानियों में से एक है। इस कहानी में, एक लड़का नामक 'लखिंदा' एक शूद्र दर्जे के लोग होते हैं जो असमी समाज में निचले पदावन्त रहते हैं। लखिंदा और उसके दोस्त कोचोपटी की कहानी में, वे लोग अपनी मेहनत और सामर्थ्य के बावजूद असमी समाज द्वारा अपमानित किए जाते हैं, लेकिन अंत में उनका सम्मान किया जाता है और उन्हें स्वतंत्रता मिलती है। यह कहानी सामाजिक न्याय और समानता के महत्व को प्रदर्शित करती है।

रूप और जानकला - इस कहानी में, एक संगीतकार रूप और एक नृत्यांगना जानकला की कहानी है। रूप एक सर्वश्रेष्ठ संगीतकार बनने की इच्छा रखता है जबकि जानकला एक अत्यंत माहिर नृत्यांगना होती है। दोनों मिलकर अपने कलाओं को साझा करते हैं और अपनी सृजनात्मकता में परिवर्तन लाते हैं। यह कहानी कला और सहयोग के महत्व को प्रकट करती है।

खेतीराजी और बीहू त्योहार - यह कहानी एक किसान खेतीराजी के जीवन के बारे में है जो बीहू त्योहार को अपने परिवार और समुदाय के साथ मनाने की आस्था रखता है। यह कहानी खेती के महत्व, किसानों की मेहनत, और असमी कृषि संस्कृति को बढ़ावा देती है।

बिहु का महत्व

बीहू त्योहार खेती के मौसम में मनाया जाता है और इसे बागवानी सम्बंधित त्योहार के रूप में माना जाता है। इसके माध्यम से खेतीराजी का सम्मान किया जाता है और किसानों को उनकी मेहनत का प्रतीक मिलता है। यह त्योहार फसलों की अच्छी उपज और उनकी सुरक्षा की कामना को प्रकट करता है। बीहू त्योहार सामाजिक एकता और सद्भावना को प्रोत्साहित करता है। इसे परिवारों और समुदायों के साथ मनाने का परंपरागत रूप है जहां लोग मिलकर खाना खाते हैं, नृत्य करते हैं, गीत गाते हैं और परंपरागत खेल खेलते हैं। यह सभ्यता के एक रूप में भी कार्य करता है और लोगों के बीच एकजुटता और साझा भावना को स्थापित करता है।

यह त्योहार असमी सांस्कृतिक और कला परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें विभिन्न परंपरागत नृत्य, संगीत, कला कार्यक्रम और रंगबिरंगे आबोहवा (गेम्स) शामिल होते हैं। इसे कला और संस्कृति के रूप में मान्यता दी जाती है और यह असमी साहित्य, संगीत और नृत्य की धरोहर को जीवित रखता है। त्योहार प्रकृति की पूजा और धन्यवाद करने का एक अवसर है। यह त्योहार पहले शस्त्र युग के बाद आने वाले नव वर्ष का प्रारम्भ बताता है और उत्सव के माध्यम से माता भूमि के लिए आभार व्यक्त करता है।

बिहु कैसे मनाते हैं

बीहू त्योहार असमी समुदाय में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार की मनाने की प्रक्रिया निम्नलिखित रूपों में सम्पन्न होती है:

गोरु बिहू: बीहू का पहला दिन गोरु बिहू के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों के आंगन में मणि तोशा नामक बांस के तनबे (टोटा) का एक छोटा सा स्तम्भ बनाते हैं। यह स्तम्भ घर की देवी या देवताओं को समर्पित होता है। इसके बाद लोग गोरु पूजा करते हैं, जिसमें गायों को पूजा कर उन्हें अदरक, दही, छिदकनी (असमी खाद्य पदार्थ) आदि खिलाए जाते हैं। गोरु बिहू आरंभिक रूप से बीहू त्योहार का प्रारंभ होता है।

मानुह बिहू: यह बीहू का दूसरा दिन होता है। इस दिन लोग अपने घरों के आसपास गांव में नृत्य, गान और खेल आदि का आयोजन करते हैं। लोग मिठाइयों का सेवन करते हैं, खाद्य पदार्थ तैयार करते हैं और आपस में उपहार विनिमय करते हैं।

कोंठ बिहू: बीहू का तीसरा दिन कोंठ बिहू के नाम से जाना जाता है। इस दिन मुख्यतः महिलाएं अपने आंगन में सांझी (एक लकड़ी की प्लेट) पर मेहंदी की लाइनें बनवाती हैं और नृत्य करती हैं। लोग मिठाइयाँ बनाते हैं और इस दिन बीहू धूप का आनंद भी लेते हैं।

बोहाग बिहू: बोहाग बिहू बीहू त्योहार का प्रमुख और सबसे बड़ा दिन होता है। यह त्योहार नव बर्ष का आगमन माना जाता है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, असमी खाना बनाते हैं, गीत-संगीत करते हैं, नृत्य करते हैं और विभिन्न खेल खेलते हैं। गांवों में बोहाग बिहू का मेला भी आयोजित किया जाता है जहां लोग विभिन्न मनोरंजन और व्यापारिक गतिविधियों का आनंद लेते हैं।

बिहु की परंपराएं और रीति-रिवाज

बीहू त्योहार की शुरुआत में लोग अपने घरों के द्वार और आंगन में फूलों की माला बांधते हैं, जिसे कापौ फूलांग कहा जाता है। इसे प्रकृति की आराधना और आनंद के प्रतीक के रूप में समझा जाता है। इसके बाद लोग अपने घरों के द्वारों और आंगनों को खूबसूरती से सजाते हैं, जिसे धोप चेलाई कहा जाती है। इसमें विभिन्न ध्वज, ताजा फूल, तार आदि का उपयोग किया जाता है। यह अपने घर की सुंदरता को बढ़ाने का एक प्रयास है। बीहू त्योहार में मेहंदी लगाना भी एक महत्वपूर्ण रीति है। महिलाएं अपने हाथों और पैरों में खूबसूरत मेहंदी लगाती हैं। मेहंदी की डिज़ाइन में असमी मौलिकता और लोक सांस्कृतिक तत्व दिखते हैं। यह एक सौंदर्यिक परंपरा है और महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाती है।

इसके अलावा, बीहू त्योहार में लोग नृत्य, गान, और खेलों का आयोजन करते हैं। लोग मिठाइयाँ बनाते हैं, खाद्य पदार्थ तैयार करते हैं, और आपस में उपहार विनिमय करते हैं। गांवों में बोहाग बिहू का मेला भी आयोजित किया जाता है, जहां लोग विभिन्न मनोरंजन और व्यापारिक गतिविधियों का आनंद लेते हैं। ये रीति-रिवाज बीहू त्योहार की आधिकारिक और सांस्कृतिक पहचान हैं, जो इसे एक विशेष और रंगीन उत्सव बनाते हैं। इन रीति-रिवाजों के माध्यम से लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को समृद्ध करते हैं और एक-दूसरे के साथ गहरी बंधन बनाते हैं।

बिहु के बारे में अन्य जानकारी

बीहू त्योहार का उल्लेख पहली बार महाभारत काल में भी किया गया है। महाभारत में इसे 'भोगाली बीहू' के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, यह त्योहार असम के राजा शिवसिंह द्वारा भी धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के रूप में प्रचलित किया जाता था। बाद में यह त्योहार लोकप्रिय और समाज में मनाया जाने वाला एक बड़ा त्योहार बन गया है। इस त्योहार के दौरान विभिन्न प्रकार के परंपरागत नृत्य, गान और कला कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लोग रंगबिरंगी आबोहवा (गेम्स) खेलते हैं, बीहू हुड़दांग (तालमण्डली) और बीहू नृत्य का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ खाना खाते हैं और विशेष पकवान जैसे लाडू, पिठा, झालमुड़ी, और माछ-मांस का स्वाद उठाते हैं। बीहू त्योहार एक महत्वपूर्ण और प्रिय त्योहार है जो असमी साहित्य, कला, संगीत और नृत्य की धरोहर को मान्यता देता है। यह एक पर्यावरण और कृषि संबंधी त्योहार होने के साथ-साथ एक आनंददायक और उत्साहपूर्ण मान्यता भी है जो लोगों को उनकी संस्कृति और परंपराओं के प्रति संबंधित रखती है।

महत्वपूर्ण त्योहारों की सूची:

तिथि त्योहार का नाम
28 अक्टूबर 2023 महर्षि वाल्मीकि जयंत्री
25 जनवरी 2024शाकंभरी जयंती
16 जनवरी 2024बिहु
20 अगस्त 2023 – 31 अगस्त 2023ओणम

बिहु प्रश्नोत्तर (FAQs):

इस वर्ष बिहु का त्यौहार 16 जनवरी 2024 को है।

बिहु एक सांस्कृतिक त्यौहार है, जिसे प्रत्येक वर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

बिहु का त्यौहार प्रत्येक वर्ष असमिया धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है।

बिहु एक प्रादेशिक स्तर का त्यौहार है, जिसे मुख्यतः असमिया धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है।

  Last update :  Thu 8 Jun 2023
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