चिकित्साशास्त्र का अर्थ व चिकित्साशास्त्र किसे कहते है?  चिकित्साशास्त्र आयुर्विज्ञान की एक शाखा है, जिसमे अस्वस्थ्य मनुष्य को स्वस्थ्य बनाने से सम्बन्धित क्रियाक्लाप किए जाते है। इस विज्ञान में अस्वस्थ्य मनुष्य के कष्ट व रोग का अध्ययन किया जाता है, जिसके बाद उस रोग का डायगनोज और उस का निवारण किया जाता है। चिकित्साशास्त्र का जनक हिप्पोक्रेटीज को कहा जाता है। चिकित्सा शास्त्र की ऐतिहासिक घटनाओं की सूची:
वर्ष अविष्कार अविष्कारक
20000-1000 ई.पू. आयुर्वेद आत्रेय- Atreya (भारत)
ऋषि आत्रेय, या ऐतरेय पुनर्वसु, ऋषि अत्रि के वंशज थे, जो महान हिंदू ऋषियों में से एक थे, जिनकी सिद्धियाँ पुराणों में विस्तृत हैं। वे तक्षशिला, गांधार के मूल निवासी थे। ऋषि अत्रेय आयुर्वेद के प्रसिद्ध विद्वान थे और प्रारंभिक आयुर्वेद के छह विद्यालयों की स्थापना उनकी शिक्षाओं के आधार पर की गई थी।
460-370 ई.पू. पाश्चात्य वैज्ञानिक पद्दति हिपोक्रेटिस- Hippocrates (यूनान)
हिपोक्रेटिस, या बुकरात, प्राचीन यूनान के एक प्रमुख विद्वान थे। ये यूनान के पाश्चात्य चिकित्सा शास्त्र के जन्म दाता थे। इन्होने मानव रोगों पर प्रथम ग्रन्थ लिखा। इन्हे चिकीत्साशास्त्र का जनक भी कहते है।
200-100 ई.पू. योग पंतजलि- Patanjali (भारत)
पतंजलि प्राचीन भारत के एक मुनि थे जिन्हे संस्कृत के अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का रचयिता माना जाता है। इनमें से योगसूत्र उनकी महानतम रचना है जो योगदर्शन का मूलग्रन्थ है। भारतीय साहित्य में पतंजलि द्वारा रचित 3 मुख्य ग्रन्थ मिलते हैं। योगसूत्र, अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रन्थ।
550 ई.पू. अष्टांग ह्रदय वाग्मट- Vagbhata (भारत)
आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ अष्टांगसंग्रह तथा अष्टांगहृदय के रचयिता। प्राचीन संहित्यकारों में यही व्यक्ति है, जिसने अपना परिचय स्पष्ट रूप में दिया है। अष्टांगसंग्रह के अनुसार इनका जन्म सिंधु देश में हुआ। इनके पितामह का नाम भी वाग्भट था। ये अवलोकितेश्वर गुरु के शिष्य थे। इनके पिता का नाम सिद्धगुप्त था। यह बौद्ध धर्म को माननेवाले थे।
750 ई. सिद्धयोग वृदुकुंट
1316 ई. शारीर-विज्ञान-कीमियो मोडिनो- Mondino de Luzzi (इटली)
मोंडिनो डी लुज़ी एक इटेलियन चिकित्सक, एनाटोमिस्ट और सर्जरी के प्रोफेसर थे। उन्हें अक्सर शरीर रचना विज्ञान के पुनर्स्थापक के रूप में श्रेय दिया जाता है क्योंकि उन्होंने मानव शवों के सार्वजनिक विच्छेदन की प्रथा को फिर से शुरू करके और पहला आधुनिक शारीरिक पाठ लिखकर इस क्षेत्र में मौलिक योगदान दिया।
1493-1541 ई. रसायन चिकित्सा पैरासेल्सस- Paracelsus (स्विजरलैंड)
पैरासेल्सस स्विट्सरलैण्ड के एक प्रतिष्ठ रसायनज्ञ थे। इनका वास्तविक नाम 'थिओफ्रैस्टस बॉम्बैस्टस फॉन् होहेनहाइम' (Theophrastus Bombastus von Hohenheim) था। यूरोप में सर्वप्रथम इन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में धातुओं से बने यौगिकों का प्रयोग किया। यूरोप में इन्हें औषध रसायन का प्रवर्तक माना जाता है।
चिकित्सा शास्त्र के प्रमुख आविष्कारक और खोजकर्ता व उनके आविष्कारों (खोजों) की सूची
अविष्कार/खोज वर्ष अविष्कारक/खोजकर्ता
रक्त का परिसंचरण 1628 विलियम हार्वे (ब्रिटने)
बायोकेमिस्ट्री 1648 जान वापटीसा वान हेल मांट (बेल्जियम)
बैक्टीरिया (जीवाणु) 1683 ल्यूवेन हॉक (नीदरलैंड)
न्यूरोलॉजी (तंत्रिकातंत्र) 1758-1828 फ्रांज जोसफ गाल (जर्मनी)
शरीर विज्ञान 1757-66 एलब्रेच्ट वान हालर (स्विजरलैंड)
टीका लगाना 1796 एडवर्ड जेनर (ब्रिटेन)
उत्तक विज्ञान 1771-1802 मेरी बिचात (फ्रांस)
भ्रूण विज्ञान 1792-1896 कार्ल अर्नस्टावान बेअर (एस्ट्रोनिया)
माफ्रीन 1805 फ्रैडरिक (जर्मनी)
क्लोरोफार्म 1847 सर जेम्स हेरीसन (ब्रिटेन)
रैबीज टीका 1860 लुई पास्चर (फ्रांस)
जीवाणु विज्ञान 1872 फद्रिनांड कोहन (जर्मनी)
कुष्ठ के बैसिलस 1873 आर्मोर हैन्सेन (नर्वे)
हैजे और तपेदिक के रोगाणु 1877 राबर्ट कोच (जर्मनी)
मलेरिया 1880 चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरन (फ्रांस)
मनोविशलेषण (मनोविज्ञान) 1895 सिग्मंड फ़्राइड (ऑस्ट्रिया)
सीरम विज्ञान 1884-1915 पॉल एरिक (जर्मनी)
एंटी टॉक्सिन 1890 बेहरिंग और कितासातो (जर्मनी, जापान)
एड्रीलिन 1894 शाफर और आलिवर (ब्रिटेन)
अंत: स्राव विज्ञान 1902 बेलिस और स्ट्रिलन (ब्रिटेन)
इलेक्ट्रो कार्डियोग्राफ 1906 आइन्योवा (हॉलैंड)
टाइफस टीका 1909 जे. निकोले (फ्रांस)
लिंग हर्मोने 1910 इयुगन स्टेनाच (ऑस्ट्रिया)
विटामिन 1912 सर एफ.जी. हापकिंस (ब्रिटेन)
विटामिन-सी 1912 यूजोक्स होल्कट (नर्वे)
विटामिन-ए 1913 मैकुलन (अमेरिका)
विटामिन-बी 1916 मैकुलन (अमेरिका)
संश्लिष्ट प्रतिजन (एंटीजन) 1917 लैंडस्टीनर (अमेरिका)
थाईरॉक्सीन 1919 एडवर्ड केन्डाल (अमेरिका)
मधुमेह का इंसुलिन 1921 बेंटिंग और बेस्ट (कनाडा)
विटामिन-डी 1922 हापकिन्स (अमेरिका)
विटामिन-बी 1 1926 मिनाट और मरफी (अमेरिका)
पेनीसिलिन 1928 एलेक्जेंडर फ्लेमिंग (ब्रिटेन)
कर्टिसोन 1936 एडवर्ड केन्डाल (अमेरिका)
डी. डी.टी. (डाइक्लोरो डाइफेनिल-ट्राईक्लोरोइथेन) 1939 पॉल मूलर (जर्मनी)
आर एच-कारक 1940 कार्ल लैंडस्टीनर (अमेरिका)
स्ट्रेप्टोमाइसिन 1944 सेलमन वाक्समैन (अमेरिका)
एल. एस. डी.  (लीसर्जिक एसिड डाईएथिलेमाइड) 1943 हाफमैन (स्विट्ज़रलैंट)
किडनी मशीन 1944 कोल्फ़ (हॉलैंड)
क्लोरोमाइसिटिन 1947 बर्कहोल्डर (अमेरिका)
आरिओमाइसिन 1948 डग्गर (अमेरिका)
रिसप्रिन 1949 जल वाकिल (भारत)
निम्नतापीय-शल्य-चिकित्सा 1953 हेनरी स्वैन (अमेरिका)
टैरामाइसिन 1950 फिनले और अन्य (अमेरिका)
ओपन हार्ट सर्जरी 1953 वाल्टन लिलेहल (अमेरिका)
पोलियो माइलिटिस टीका 1954 जोनास साल्क (अमेरिका)
पोलियो का मुख टीका 1954 एलबर्ट सैबिन (अमेरिका)
गर्भ निरोधक गोलियां 1955 पिनकस (अमेरिका)
शल्य चिकित्सा के दौरान क्रत्रिम ह्रदय का पयोग 1963 माइकेल डी बाके (अमेरिका)
ह्रदय प्रतिरोपण शल्य चिकित्सा 1967 क्रिश्चियन बर्नार्ड (दक्षिण अफ्रीका)
प्रथम परखनली शिशु 1978 स्टेप्टो और राबर्ट एडवडर्स (ब्रिटेन)
जीन चिकित्सा मानव पर 1980 मार्टिन क्लाव (अमेरिका)
चेचक का उन्मूलन 1980 विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा (अमेरिका)
कैंसर से जुड़े जीन 1982 राबर्ट वींनवर्ग और अन्य (अमेरिका)
एस्प्रीन 1899 हेनरिच ड्रेसर (जर्मनी)
डिप्थीरिया के जीवाणु 1883 एडविन कलेब्स

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चिकित्सा शास्त्र के आविष्कार से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗

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चिकित्सा शास्त्र आविष्कार प्रश्नोत्तर (FAQs):

जोनास साल्क ओरल पोलियो वैक्सीन के खोजकर्ता थे। जोनास सॉल्क, एक अमेरिकी वैज्ञानिक थे जिन्होंने 1955 में पोलियोवायरस के खिलाफ टीका (जिसे ओरल पोलियो वैक्सीन भी कहा जाता है) विकसित किया था। लगभग पूरी दुनिया में पोलियो के खिलाफ सफल कार्यक्रमों में इस टीके का इस्तेमाल किया जाता है।

चेचक के टीके का आविष्कार एडवर्ड जेनर ने किया था। ब्रिटिश चिकित्सक जेनर ने 1796 में चेचक से संक्रमित गाय से ली गई सामग्री का उपयोग करके पहला टीका विकसित किया।

शल्य चिकित्सा के लिए कृत्रिम ह्रदय का प्रयोग क्रिस्टियन बर्नार्ड (Christiaan Barnard) ने शुरू किया था। विश्व का पहला मानव हृदय प्रत्यारोपण 3 दिसम्बर 1967 में दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन शहर में क्रिस्टियन बर्नार्ड के द्वारा किया गया था

धन्वन्तरि को आयुर्वेद के वैद्य ‘चिकित्सा का भगवान’ माना जाता है। धन्वन्तरि हिन्दू धर्म में विष्णु अंश अवतार देवता हैं। वे आयुर्वेद प्रवर्तक हैं। हिन्दू धर्म अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था।

हैजा व टीबी के जीवाणुओं की खोज राबर्ट कोच ने वर्ष 1982 में की थी। रॉबर्ट कोच सूक्ष्मजैविकी के क्षेत्र में युगपुरूष माने जाते हैं। इन्हें जीवाणुओं की खोज के लिए वर्ष 1905 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  Last update :  Wed 7 Sep 2022
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