वर्ष | अविष्कार | अविष्कारक |
20000-1000 ई.पू. | आयुर्वेद | आत्रेय- Atreya (भारत) |
ऋषि आत्रेय, या ऐतरेय पुनर्वसु, ऋषि अत्रि के वंशज थे, जो महान हिंदू ऋषियों में से एक थे, जिनकी सिद्धियाँ पुराणों में विस्तृत हैं। वे तक्षशिला, गांधार के मूल निवासी थे। ऋषि अत्रेय आयुर्वेद के प्रसिद्ध विद्वान थे और प्रारंभिक आयुर्वेद के छह विद्यालयों की स्थापना उनकी शिक्षाओं के आधार पर की गई थी। | ||
460-370 ई.पू. | पाश्चात्य वैज्ञानिक पद्दति | हिपोक्रेटिस- Hippocrates (यूनान) |
हिपोक्रेटिस, या बुकरात, प्राचीन यूनान के एक प्रमुख विद्वान थे। ये यूनान के पाश्चात्य चिकित्सा शास्त्र के जन्म दाता थे। इन्होने मानव रोगों पर प्रथम ग्रन्थ लिखा। इन्हे चिकीत्साशास्त्र का जनक भी कहते है। | ||
200-100 ई.पू. | योग | पंतजलि- Patanjali (भारत) |
पतंजलि प्राचीन भारत के एक मुनि थे जिन्हे संस्कृत के अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का रचयिता माना जाता है। इनमें से योगसूत्र उनकी महानतम रचना है जो योगदर्शन का मूलग्रन्थ है। भारतीय साहित्य में पतंजलि द्वारा रचित 3 मुख्य ग्रन्थ मिलते हैं। योगसूत्र, अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रन्थ। | ||
550 ई.पू. | अष्टांग ह्रदय | वाग्मट- Vagbhata (भारत) |
आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ अष्टांगसंग्रह तथा अष्टांगहृदय के रचयिता। प्राचीन संहित्यकारों में यही व्यक्ति है, जिसने अपना परिचय स्पष्ट रूप में दिया है। अष्टांगसंग्रह के अनुसार इनका जन्म सिंधु देश में हुआ। इनके पितामह का नाम भी वाग्भट था। ये अवलोकितेश्वर गुरु के शिष्य थे। इनके पिता का नाम सिद्धगुप्त था। यह बौद्ध धर्म को माननेवाले थे। | ||
750 ई. | सिद्धयोग | वृदुकुंट |
1316 ई. | शारीर-विज्ञान-कीमियो | मोडिनो- Mondino de Luzzi (इटली) |
मोंडिनो डी लुज़ी एक इटेलियन चिकित्सक, एनाटोमिस्ट और सर्जरी के प्रोफेसर थे। उन्हें अक्सर शरीर रचना विज्ञान के पुनर्स्थापक के रूप में श्रेय दिया जाता है क्योंकि उन्होंने मानव शवों के सार्वजनिक विच्छेदन की प्रथा को फिर से शुरू करके और पहला आधुनिक शारीरिक पाठ लिखकर इस क्षेत्र में मौलिक योगदान दिया। | ||
1493-1541 ई. | रसायन चिकित्सा | पैरासेल्सस- Paracelsus (स्विजरलैंड) |
पैरासेल्सस स्विट्सरलैण्ड के एक प्रतिष्ठ रसायनज्ञ थे। इनका वास्तविक नाम 'थिओफ्रैस्टस बॉम्बैस्टस फॉन् होहेनहाइम' (Theophrastus Bombastus von Hohenheim) था। यूरोप में सर्वप्रथम इन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में धातुओं से बने यौगिकों का प्रयोग किया। यूरोप में इन्हें औषध रसायन का प्रवर्तक माना जाता है। |
अविष्कार/खोज | वर्ष | अविष्कारक/खोजकर्ता |
रक्त का परिसंचरण | 1628 | विलियम हार्वे (ब्रिटने) |
बायोकेमिस्ट्री | 1648 | जान वापटीसा वान हेल मांट (बेल्जियम) |
बैक्टीरिया (जीवाणु) | 1683 | ल्यूवेन हॉक (नीदरलैंड) |
न्यूरोलॉजी (तंत्रिकातंत्र) | 1758-1828 | फ्रांज जोसफ गाल (जर्मनी) |
शरीर विज्ञान | 1757-66 | एलब्रेच्ट वान हालर (स्विजरलैंड) |
टीका लगाना | 1796 | एडवर्ड जेनर (ब्रिटेन) |
उत्तक विज्ञान | 1771-1802 | मेरी बिचात (फ्रांस) |
भ्रूण विज्ञान | 1792-1896 | कार्ल अर्नस्टावान बेअर (एस्ट्रोनिया) |
माफ्रीन | 1805 | फ्रैडरिक (जर्मनी) |
क्लोरोफार्म | 1847 | सर जेम्स हेरीसन (ब्रिटेन) |
रैबीज टीका | 1860 | लुई पास्चर (फ्रांस) |
जीवाणु विज्ञान | 1872 | फद्रिनांड कोहन (जर्मनी) |
कुष्ठ के बैसिलस | 1873 | आर्मोर हैन्सेन (नर्वे) |
हैजे और तपेदिक के रोगाणु | 1877 | राबर्ट कोच (जर्मनी) |
मलेरिया | 1880 | चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरन (फ्रांस) |
मनोविशलेषण (मनोविज्ञान) | 1895 | सिग्मंड फ़्राइड (ऑस्ट्रिया) |
सीरम विज्ञान | 1884-1915 | पॉल एरिक (जर्मनी) |
एंटी टॉक्सिन | 1890 | बेहरिंग और कितासातो (जर्मनी, जापान) |
एड्रीलिन | 1894 | शाफर और आलिवर (ब्रिटेन) |
अंत: स्राव विज्ञान | 1902 | बेलिस और स्ट्रिलन (ब्रिटेन) |
इलेक्ट्रो कार्डियोग्राफ | 1906 | आइन्योवा (हॉलैंड) |
टाइफस टीका | 1909 | जे. निकोले (फ्रांस) |
लिंग हर्मोने | 1910 | इयुगन स्टेनाच (ऑस्ट्रिया) |
विटामिन | 1912 | सर एफ.जी. हापकिंस (ब्रिटेन) |
विटामिन-सी | 1912 | यूजोक्स होल्कट (नर्वे) |
विटामिन-ए | 1913 | मैकुलन (अमेरिका) |
विटामिन-बी | 1916 | मैकुलन (अमेरिका) |
संश्लिष्ट प्रतिजन (एंटीजन) | 1917 | लैंडस्टीनर (अमेरिका) |
थाईरॉक्सीन | 1919 | एडवर्ड केन्डाल (अमेरिका) |
मधुमेह का इंसुलिन | 1921 | बेंटिंग और बेस्ट (कनाडा) |
विटामिन-डी | 1922 | हापकिन्स (अमेरिका) |
विटामिन-बी 1 | 1926 | मिनाट और मरफी (अमेरिका) |
पेनीसिलिन | 1928 | एलेक्जेंडर फ्लेमिंग (ब्रिटेन) |
कर्टिसोन | 1936 | एडवर्ड केन्डाल (अमेरिका) |
डी. डी.टी. (डाइक्लोरो डाइफेनिल-ट्राईक्लोरोइथेन) | 1939 | पॉल मूलर (जर्मनी) |
आर एच-कारक | 1940 | कार्ल लैंडस्टीनर (अमेरिका) |
स्ट्रेप्टोमाइसिन | 1944 | सेलमन वाक्समैन (अमेरिका) |
एल. एस. डी. (लीसर्जिक एसिड डाईएथिलेमाइड) | 1943 | हाफमैन (स्विट्ज़रलैंट) |
किडनी मशीन | 1944 | कोल्फ़ (हॉलैंड) |
क्लोरोमाइसिटिन | 1947 | बर्कहोल्डर (अमेरिका) |
आरिओमाइसिन | 1948 | डग्गर (अमेरिका) |
रिसप्रिन | 1949 | जल वाकिल (भारत) |
निम्नतापीय-शल्य-चिकित्सा | 1953 | हेनरी स्वैन (अमेरिका) |
टैरामाइसिन | 1950 | फिनले और अन्य (अमेरिका) |
ओपन हार्ट सर्जरी | 1953 | वाल्टन लिलेहल (अमेरिका) |
पोलियो माइलिटिस टीका | 1954 | जोनास साल्क (अमेरिका) |
पोलियो का मुख टीका | 1954 | एलबर्ट सैबिन (अमेरिका) |
गर्भ निरोधक गोलियां | 1955 | पिनकस (अमेरिका) |
शल्य चिकित्सा के दौरान क्रत्रिम ह्रदय का पयोग | 1963 | माइकेल डी बाके (अमेरिका) |
ह्रदय प्रतिरोपण शल्य चिकित्सा | 1967 | क्रिश्चियन बर्नार्ड (दक्षिण अफ्रीका) |
प्रथम परखनली शिशु | 1978 | स्टेप्टो और राबर्ट एडवडर्स (ब्रिटेन) |
जीन चिकित्सा मानव पर | 1980 | मार्टिन क्लाव (अमेरिका) |
चेचक का उन्मूलन | 1980 | विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा (अमेरिका) |
कैंसर से जुड़े जीन | 1982 | राबर्ट वींनवर्ग और अन्य (अमेरिका) |
एस्प्रीन | 1899 | हेनरिच ड्रेसर (जर्मनी) |
डिप्थीरिया के जीवाणु | 1883 | एडविन कलेब्स |
अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?
☞ चिकित्सा शास्त्र के आविष्कार से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗
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चिकित्सा शास्त्र आविष्कार प्रश्नोत्तर (FAQs):
जोनास साल्क ओरल पोलियो वैक्सीन के खोजकर्ता थे। जोनास सॉल्क, एक अमेरिकी वैज्ञानिक थे जिन्होंने 1955 में पोलियोवायरस के खिलाफ टीका (जिसे ओरल पोलियो वैक्सीन भी कहा जाता है) विकसित किया था। लगभग पूरी दुनिया में पोलियो के खिलाफ सफल कार्यक्रमों में इस टीके का इस्तेमाल किया जाता है।
चेचक के टीके का आविष्कार एडवर्ड जेनर ने किया था। ब्रिटिश चिकित्सक जेनर ने 1796 में चेचक से संक्रमित गाय से ली गई सामग्री का उपयोग करके पहला टीका विकसित किया।
शल्य चिकित्सा के लिए कृत्रिम ह्रदय का प्रयोग क्रिस्टियन बर्नार्ड (Christiaan Barnard) ने शुरू किया था। विश्व का पहला मानव हृदय प्रत्यारोपण 3 दिसम्बर 1967 में दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन शहर में क्रिस्टियन बर्नार्ड के द्वारा किया गया था
धन्वन्तरि को आयुर्वेद के वैद्य ‘चिकित्सा का भगवान’ माना जाता है। धन्वन्तरि हिन्दू धर्म में विष्णु अंश अवतार देवता हैं। वे आयुर्वेद प्रवर्तक हैं। हिन्दू धर्म अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था।
हैजा व टीबी के जीवाणुओं की खोज राबर्ट कोच ने वर्ष 1982 में की थी। रॉबर्ट कोच सूक्ष्मजैविकी के क्षेत्र में युगपुरूष माने जाते हैं। इन्हें जीवाणुओं की खोज के लिए वर्ष 1905 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।