विटामिन के स्रोत, कार्य, प्रभाव, एवं कमी से होने वाले मुख्य रोग: (Vitamin Deficiency Diseases List in Hindi)
विटामिन किसे कहते है?
विटामिन जटिल कार्बनिक पदार्थ होते हैं तथा शरीर की उपापचयी क्रियाओं (metabolic activities) में भाग लेते हैं। इन्हें वृद्धिकारक भी कहते हैं। इनकी कमी से अपूर्णता रोग हो जाते हैं। ये कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा गन्धक आदि तत्वों से बने सक्रिय एवं जटिल कार्बनिक यौगिक (organic compounds) हैं। ये अल्पांश में हमारे शरीर को स्वस्थ एवं निरोग रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इनकी कमी से अनेक रोग हो जाते हैं। इन्हें दो वर्गों में विभक्त किया जाता है:-- जल में घुलनशील विटामिन, जैसे- विटामिन 'B', 'C'।
- वसा में घुलनशील विटामिन, जैसे- विटामिन 'A', 'D', 'K' आदि।
विटामिन की खोज किसने की?
विटामिन की खोज एफ.जी. हाफकिन्स (F G. huffkins) ने की थी, परन्तु इसे विटामिन का नाम फुन्क महोदय ने दिया। विटामिन कार्बनिक यौगिक है, जो शरीर के विकास एवं रोगों से रक्षा के लिए आवश्यक है। ये ऊतकों में एन्जाइम का निर्माण करते है। विटामिन "डी" हमारे शरीर में स्वतः बनता है जबकि विटामिन "के" आंत्र में उपस्थित ‘कोलोन’ नामक बैक्टीरिया बनाता है।विटामिन की कमी से होने वाले मुख्य रोग:
- विटामिन 'A' की कमी से—रेटीनाल व जीरोफ्थैल्मिया।
- विटामिन 'B' की कमी से—बेरी–बेरी, रक्ताल्पता आदि।
- विटामिन 'C' की कमी से—स्कर्वी।
- विटामिन 'D' की कमी से—रिकेट्स व आटोमैलेशिया।
- विटामिन 'E' की कमी से—प्रजनन शक्ति का कम हो जाना।
- विटामिन 'K' की कमी से—रुधिर का थक्का देर से जमना।
विटामिन, उनके स्रोत, कार्य, प्रभाव एवं कमी से होने वाले मुख्य रोगों की सूची:
विटामिन का नाम | स्रोत का नाम | कमी से होने वाले मुख्य रोग या प्रभाव |
वसा में घुलनशील | ||
A-रटिनाल | दूध, मक्खन, अण्डा, जिगर, मछली का तेल। | रंतौधी। |
नेत्र की रोड्स में राडाप्सिन का संश्लेषण एपिथिलियम स्तर में वृद्धि। | ||
D-अगाकल्सोफराल कालोकल्सोफराल | मक्खन, जिगर, मछली का तेल, गेंहू, अण्डा में। | सूखा रोग, तथा आस्टियामलसिया |
कैल्शियम व फॉस्फोरस का उपापचय, हड्डियाँ और दाँतों की वृद्धि। | ||
E-टाकाफरोल | हरी पत्तियाँ, गेहूँ, अण्डे की जर्दी। | जनन क्षमता की कमी, पेशियाँ कमज़ोर। |
जननिक एपिथीलियम की वृद्धि, पेशियों की क्रियाशीलता। | ||
K-नफ्थनक्विनान | हरी पत्तियाँ, पनीर, अण्डा, जिगर, टमाटर। | रक्त का थक्का नहीं जमता। |
जिगर में पाथांम्बिन का निर्माण। | ||
जल में घुलनशील | ||
विटामिन बी कॉम्पलैक्स | ||
B-1 थायमीन | अनाज, फलियाँ, यीस्ट, अण्ड, माँस, | बेरी–बेरी |
कार्बोहाइड्रेट एवं वसा उपापचय के लिए ज़रूरी | ||
B-2(G) राइबोफ्लेविन | पनीर, अण्डा, यीस्ट, हरी पत्तियाँ, गेहूँ, जिगर, माँस। | कोलासिस, ग्लासाइटिस तथा साबारिक डमटाइसिस। |
उपापचय व महत्त्वपूर्ण, F AD का घटक। | ||
B-3 नियासिन, निकोटिनिक एसिड | यीस्ट, अण्ड, जिगर, माँस, दूध,बादाम, अखरोट, टमाटर, मूँगफली, गन्ना। | चर्म रोग, वृद्धि कम, बाल सफ़ेद, हाथ पैरो के जोड़ अकड़ना, शरीर में सूजन आना, नींद कम आना, मुत्राशय मसाने में दोष आना। |
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B-5 पैंटोथैनिक एसिड | मशरूम, अण्डा, सूरजमुखी के बीज, शकरकंद,एवोकाडो, ब्रोकली, आलू, बीन्स, मटर, दालें, दुग्ध पदार्थ, नट्स (ड्राई फ्रूट्स), चिकन, मछली, चीज। | दस्त, सीने में जलन, डिहाइड्रेशन (पानी की कमी), जोड़ों में दर्द, सूजन रक्त वाहिकाओं का सख्त होना, अवसाद। |
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B-6 पाइरोडोक्सिन | दूध, यीस्ट, माँस, अनाज, जिगर, सब्जी, दाल व फल। | रक्ताल्पता, चर्म रोग, पेशीय ऐठन। |
प्रोटीन एवं अमीनों अम्ल उपापचय में महत्त्वपूर्ण। | ||
B-12 सायनाकाबालमीन | माँस, मछली, अण्डा जिगर, दूध, बक्टोरिया। | रक्तक्षीणता और धीमी वृद्धि। |
वृद्धि रुधिराणुओं का निर्माण। | ||
फालिक अम्ल समूह | हरी पत्तियाँ, जिगर, सोयाबीन, यीस्ट, गद। | रक्तक्षीणता, धीमी वृद्धि। |
वृद्धि, रुधिराणुओं का निर्माण, DNA का संश्लेषण। | ||
H-बायाटिन | यीस्ट, गेहूँ, अण्डा, मूँगफली, चॉकलेट, सब्ज़ी, फल। | चर्म रोग, बालों का झड़ना, तन्त्रिका तन्त्र में विकार। |
वसीय अम्लों के संश्लेषण एवं ऊर्जा उत्पादन के लिए ज़रूरी | ||
C-एस्कांबिक अम्ल | नीबू वंश के फल, टमाटर, सब्जियाँ, आलू व अन्य फल। | स्कर्वी रोग। |
अन्तराकोशिकीय सोमट, कालजन, तन्तुओं, हड्डियों के मटिक्स, दाँतों के डेन्टोन का निर्माण। |
📅 Last update : 2021-09-02 15:10:07