योगमाया मंदिर संक्षिप्त जानकारी
स्थान | महरौली, नई दिल्ली (भारत) |
निर्मित | 1827 ई. |
निर्माता | लाला सेठमल |
वास्तुकला | हिंदू मंदिर वास्तुकला |
प्रकार | सांस्कृतिक, धार्मिक मंदिर |
योगमाया मंदिर का संक्षिप्त विवरण
योगमाया मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और भव्य मन्दिरों में से एक है। यह मंदिर भारत की राजधानी और देश के दूसरे सबसे बड़े महानगर नई दिल्ली के महरौली क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर देश की संस्कृति, वास्तुकला और भक्तो की आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
योगमाया मंदिर का इतिहास
इस अद्भुत और प्राचीन मंदिर का इतिहास कुछ ज्यादा स्पष्ट नही है, परंतु इसके स्थान का उल्लेख 12वीं शताब्दी में रचित एक जैन धर्म ग्रन्थ में मिलता है, जिसमे महरौली स्थान का उल्लेख योगिनिपुरा के रूप में किया गया है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों द्वारा बनाया गया था।
यह मंदिर महरौली में स्थित है जो उन सात प्राचीन शहरों में से एक है जो दिल्ली की वर्तमान स्थिति में भी मौजूद हैं। इस मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण लाला सेठमल द्वारा मुगल सम्राट अकबर II (1806-37) के शासन काल के दौरान किया गया था।
योगमाया मंदिर के रोचक तथ्य
- इस भव्य और प्रसिद्ध मंदिर का पुनर्निमाण वर्ष 1827 ई. में मुगल दरबार में कार्यरत एक विख्यात व्यक्ति लाला सेठमल द्वारा करवाया गया था।
- यह आकर्षक मंदिर कुतुब परिसर में स्थित लौहे के स्तंभ से लगभग 260 गज की दूरी पर स्थित है।
- इस मंदिर में एक प्रवेश कक्ष और एक पवित्र कमरा है, जिसमें लगभग 2 फुट चौड़ा और लगभग 1 फुट ऊँचा एक छोटा सा संगमरमर का कुआँ स्थित है, जिसमे काले रंग के पत्थर से बनी देवी योगमया मुख्य मूर्ति है।
- इस मंदिर के पवित्र कमरे की छत समतल है जो लगभग 17 वर्ग फुट के क्षेत्रफल में फैली हुई है, इस छत पर एक छोटा सा शिकारा (टावर) बनाया गया है।
- इस मंदिर के गर्भग्रह की छत से एक सुंदर पंखा लटक रहा है जिसमे से एक झूमर जैसे आकृति की वस्तु निकल कर लटकी रहती है, यह वस्तु और पंखा एक ही सामग्री से बनाए गये थे, जो भूमि पर स्थित देवी की प्रमुख मूर्ति को स्पर्श करते रहते है।
- इस मंदिर के चार कोनों में टावरों के साथ एक दीवार वाला एक घेरा है, जो लगभग 400 वर्ग फुट के क्षेत्रफल मे फैला हुआ है।
- इस मंदिर का पहला स्वरूप लाल रंग लाल पत्थर से बनाया गया था, जिसे बाद में सुड माल नामक एक व्यक्ति के आदेश पर संगमरमर में परिवर्तित करवा दिया गया था और मंदिर परिसर में लगभग 22 खंबो का भी निर्माण किया गया था।
- गर्भग्रह के ऊपर एक मुख्य शिखर स्थित (टावर) जिसकी ऊंचाई लगभग 42 फीट है और इसमें तांबा जड़ा गया है।
- इस मंदिर में भक्तो द्वारा अर्पित की गई फूलों की माला और मिठाई को एक 18 इंच वर्ग की संगमरमर की मेज पर रखा जाता है जिसे बाद में माता योगमाया को समर्पित किया जाता है।
- एक प्रसिद्ध लोककथा के अनुसार जब मुगल सम्राट अकबर II के पुत्र मिर्जा जहांगीर को अंग्रेजो द्वारा लाल किले से निकाल कर बंदी बना लिया गया था ,तो तब उनकी माता ने इस मंदिर में अपने पुत्र की स्वतंत्रता की मन्नत मांगी थी जो पूरी हो गई थी।
- यहाँ के स्थानीय लोगो का मानना है की यह मंदिर यहाँ लगभग पिछले 5000 वर्षो से है जिसकी देखभाल उनके पूर्वजो ने की थी, वर्तमान में लगभग 200 से अधिक लोग इस मंदिर की देखभाल करते है।